नई दिल्ली। आज, 10 अक्टूबर 2025 को देशभर में करवा चौथ का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को करवा माता की पूजा और चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण किया जाता है। शास्त्रों में इस व्रत को सौभाग्य और वैवाहिक जीवन की खुशहाली बढ़ाने वाला बताया गया है।
करवा चौथ की पूजा और परंपरा
महिलाएं इस दिन स्नान-ध्यान कर नए वस्त्र धारण करती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। इसके बाद करवा माता और भगवान गणेश की पूजा की जाती है, साथ ही करवा चौथ की कथा का पाठ किया जाता है। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। फिर छलनी के माध्यम से पहले चंद्रमा और बाद में पति का चेहरा देखकर पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत खोला जाता है।
चंद्रमा न दिखने पर क्या करें?
करवा चौथ के व्रत में चंद्र दर्शन का विशेष महत्व है, लेकिन कई बार खराब मौसम के कारण चंद्रमा दिखाई नहीं देता। ऐसी स्थिति में शास्त्रों में वैकल्पिक विधि का उल्लेख है। यदि चंद्रमा नजर न आए, तो महिलाएं चंद्रमा की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थल पर रखकर उसकी पूजा कर सकती हैं। इसके बाद छलनी से मूर्ति या तस्वीर को देखकर और फिर पति का चेहरा देखकर व्रत का पारण किया जा सकता है। यह विधि शास्त्रसम्मत मानी जाती है और व्रत की पूर्णता में कोई कमी नहीं आती।