Bhilai: शहर में अमन के लिए खास इबादत ‘एतकाफ’ पर बैठे लोग, शबे कद्र की तैयारियां शुरू

शहर में अमन के लिए खास इबादत ‘एतकाफ’ पर बैठे लोग, शबे कद्र की तैयारियां शुरू

माहे रमजान की विदाई के दौर में जारी है इबादतों का सिलसिला, इफ्तार का भी चल रहा सिलसिला

रमेश गुप्ता
भिलाई। माहे रमजान की विदाई के इस दौर में शहर की तमाम मस्जिदों और घरों में खास इबादत का सिलसिला चल रहा है। रमजान के इस आखिरी अशरे (दस रोज) में शहर में अमन व हिफाजत की दुआओं के साथ लोग मस्जिदों और घरों में खास इबादत ‘एतकाफ’ के लिए बैठ गए हैं। दुआओं का सिलसिला जारी है, वहीं जगह-जगह रोजा-इफ्तार का भी आयोजन हो रहा है। ‘एतकाफ’ पर बैठे लोग अब आखिरी रोजे पर चांद देखने के बाद अपनी इबादत पूरी कर घर लौटेंगे।

इस संबंध में इस्लामिक मामलों के जानकार व खुर्सीपार निवासी सैयद असलम ने बताया कि रमज़ान के आखिरी दस दिनो में 21वी शब (रात) से चांद देखने तक मस्जिदों में ‘एतकाफ’ शुरू होता है। हज़रत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि सल्लम वैसे पूरे रमजान में इबादत का बहुत ही ख़ास एहतेमाम फरमाया करते थे और शबे कद्र की तलाश में ‘एतकाफ’ फरमाया करते थे। शेखुल हदीस हजरत मौलाना जकरिया रहमतुल्लाह ने फजाईले रमजान मुबारक में ‘एतकाफ’ के बारे में 7 हदीस नकल करते हुए लिखा है कि ‘एतकाफ’ का असल मकसद अल्लाह को मनाना है।

हाजी एमएच सिद्दीकी बताते हैं-‘एतकाफ’ कहते हैं मस्जिद में  नीयत करके ठहरने को। इमाम अबू हनीफा रहमतुल्लाह के नजदीक इसकी तीन किस्में हैं एक वाजिब, जो मन्नत वगैरह मानने पर किया जाता है जैसे कि मान लें मेरा फला काम हो जाएगा तो अल्लाह के घर इतने-इतने दिनों का‘एतकाफ’ करूंगा वो वाजिब कहलाता है। दूसरी सुन्नत है जो रमजान मुबारक के आखिरी अशरा में नबी करीम सल्लाहु अलैहिस्सलाम की आदत मुबारक थी कि ‘एतकाफ’ फरमाया करते थे और तीसरी नफल है।

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दारूल कजा भिलाई के शहर काजी मुफ्ती मोहम्मद सोहेल साहब ने ‘एतकाफ’ करने वालों को इस संबंध में उसके नियम कानून बताए कि सबसे अच्छी जगह मक्का मुकर्रम उसके बाद मस्जिद नबवी मदीना और तीसरा बैतुल मुक़द्दस और उसके बाद अपने शहर की जामा मस्जिद ओर फिर अपने मोहल्ले की मस्जिदों में बेहतर होता है। इमाम अबू हनीफा रहमतुल्लाह के नजदीक ‘एतकाफ’ के लिए जिस मस्जिद में पांच वक्त नमाज अदा किया जाएगा वो शर्त है मोतकिफ की मिसाल उस शख्स की है जो किसी के दर पर जा पड़े जब तक उसकी दरख्वास्त कबूल ना हो इसलिए जब कोई शख्स दुनिया से एक तरफ कर अल्लाह के दर पर पड़ जाता तो करीम जात बख़्शिश के बहाने ढूंढती है और माफ कर देती है।
हाजी एम एच सिद्दीकी ने कहा कि ‘एतकाफ’ का बहुत सवाब है। ‘एतकाफ’ करने वाले का सोना, जागना, बैठना, खाना पीना सब इबादत में शामिल होता है। ‘एतकाफ’ का एक मकसद शबे कद्र की तलाश भी है। मोहल्ले वालों के तरफ़ से कोई एक व्यक्ति भी ‘एतकाफ’ पर बैठे तो सबकी तरफ से हो जाता है। मर्दों के लिए सबसे बेहतर जगह मस्जिद है औरतों के लिए उनका घर जहां वे नमाज़ अदा करतीं हैं। इस दौरान सभी के लिए अल्लाह से रहमत बरकत ओर अमन की दुआ करनी चाहिए ताकि दुनिया में अमन-चैन खुशहाली हासिल हो।

शबे कद्र आज और अलविदा जुमा कल

माहे रमजान में खास इबादत की रात शबे कद्र 27 मार्च को है। इस रोज शहर की तमाम मस्जिदों में तरावीह की नमाज में पढ़ा गया पवित्र कुरआन मुकम्मल होने पर दुआएं की जाएंगी। वहीं तरावीह पढ़ाने वाले हाफिजों, मस्जिद के इमामों और मुअज्जिनों सहित तमाम लोगों का इस्तकबाल किया जाएगा। वहीं लोग मस्जिदों में रात भर ठहर कर इबादतें करेंगे। घरों में भी लोग रात भर इबादत करेंगे। शबे कद्र को देखते हुए शहर की तमाम मस्जिदों में खास इंतजाम किए गए हैं। इसी तरह माहे रमजान का आखिरी जुमा 28 मार्च को होगा। जिसमें जुमे की नमाज में दोपहर में बड़ी तादाद में लोग मस्जिदों में जुटेंगे। इसे देखते हुए खास तैयारियां मस्जिद कमेटियों की ओर से की जा रही है।

तमाम मस्जिदों में नमाजी बैठे हैं ‘एतकाफ’ पर

शहर की तमाम मस्जिदों में लोग ‘एतकाफ’ पर बैठे हैं। इनमें जामा मस्जिद सेक्टर-6 में कुल 18 इबादत गुजार दिन-रात इबादत में लगे हैं। इनमें ज्यादातर नौजवान हैं। इसी तरह मस्जिद हजरत बिलाल हुडको में 4, गौसिया मस्जिद कैंप-1 में 2, मस्जिद शेरे खुदा हाउसिंग बोर्ड में 1, मस्जिद अहले सुन्नत वल जमाअत रिसाली सेक्टर में 1 और रूआबांधा मदरसा में 1,अशरफी मस्जिद खुर्सीपार भिलाई में 5,मदनी मस्जिद जोन 1/2 खुर्सीपार भिलाई में 2 और फलकनुमा मस्जिद अयप्पा नगर में 3 नमाजी ‘एतकाफ’ पर बैठे हैं। शहर की अन्य मस्जिदों में भी लोग ‘एतकाफ’ पर बैठ कर इबादत कर रहे हैं।

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