Greenery of vegetables- सब्जी की हरियाली से संवर रहा है भविष्य

जिले की ग्रामीण महिलाएं जैविक खेती से बन रहीं आत्मनिर्भर

कोरिया
कोरिया जिले के सोनहत विकासखण्ड स्थित ग्राम केशगंवा की महिलाएं अब जैविक खेती के जरिये आत्मनिर्भरता की नई मिसाल गढ़ रही हैं। यहां स्व-सहायता समूह की 20 महिलाओं ने उद्यानिकी विभाग की मदद से 3 एकड़ भूमि पर करेला, टमाटर, मिर्ची और लौकी जैसी मौसमी सब्जियों की खेती की है, जिसमें रासायनिक खाद या कीटनाशकों का कोई प्रयोग नहीं किया गया।

यह फसल अब खेतों में लहलहा रही है और इन महिलाओं के चेहरों पर आत्मविश्वास और आशा की मुस्कान दिख रही है।

कलेक्टर ने की प्रशंसा, बताया आय का सशक्त जरिया
विगत दिनों ग्राम भ्रमण के दौरान कलेक्टर चन्दन त्रिपाठी ने खेतों का निरीक्षण किया और समूह की महिलाओं से चर्चा की। उन्होंने कहा, ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह के प्रयास महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तीकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर है, बल्कि इससे परिवार की आय में भी वृद्धि होगी।

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शुद्धता और स्वाद का मेल- जैविक सब्जियां
यहां कार्यरत महिलाओं ने बताया कि ये सब्जियां पूरी तरह जैविक हैं और इनका स्वाद बाजार की आम सब्जियों से अलग और अधिक पौष्टिक होगी। इन सब्जियों को स्थानीय थोक मंडियों और फुटकर विक्रेताओं को बेचा जाएगा, जिससे नियमित आय सुनिश्चित होगी।

परिवार, समाज और पर्यावरण तीनों को लाभ
इस पहल से न केवल महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि उनके आत्मविश्वास, सामाजिक पहचान और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगी। यह ग्रामीण महिलाएं अब खुद को ‘किसान’ कहने में गर्व महसूस कर रही हैं।

गांव की एक महिला सदस्य ने कहा,पहले हम सिर्फ घर तक सीमित थीं, लेकिन कलेक्टर चन्दन त्रिपाठी के मार्गदर्शन, मदद, सुझाव और हमारी मेहनत ने हमारी पहचान खेत और किसान बन गया है। हमें यकीन है कि यह शुरुआत भविष्य में सुखद बदलाव करेगी।

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