Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – डीएमएफ से किसका विकास 

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

छत्तीसगढ़ विधानसभा में एक बार फिर डीएमएफ को लेकर सवाल उठा। आखिर ये डीएमएफ क्या बला है और इसको लेकर अक्सर घपले घोटाले की बात क्यों जुड़ती है, इसे समझना होगा। कांग्रेस विधायक लखेश्वर बघेल ने सदन में इस फंड से बस्तर में स्वीकृत कार्यों की जानकारी मांगी। मुख्यमंत्री से जुड़े इस विभाग का जवाब देते हुए मंत्री ओपी चौधरी ने जानकारी दी कि 34 करोड़ के काम बस्तर में स्वीकृत किए गए हैं। दरअसल भारत के खनिज समृद्ध जिलों के साथ विडंबना यह है कि यहाँ भारत का सबसे गरीब तबका निवासरत है। देश का एक प्रमुख खनिज राज्य होने के बाद भी छत्तीसगढ़ पर गहरी आर्थिक और सामाजिक असमानता थोप दी गई है। भारत सरकार के नवीनतम गरीबी अनुमान के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में 45 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे निवास करते हैं, जो राष्ट्रीय औसत 26 प्रतिशत की तुलना में काफी अधिक है। इसके अलावा योजना आयोग ने राज्य के 15 जिलों की पहचान पिछड़े जिले के रूप में की है। इन क्षेत्रों में जनजातीय आबादी की स्थिति और भी बदतर है, क्योंकि उनमें से लगभग 55 प्रतिशत गरीबी रेखा से नीचे निवास करते हैं।
भारतीय लोकतंत्र के लिए, यह असमानता अन्धकार का विषय बना हुआ है। वर्ष 2008 में, सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरॉन्मेंट ने ‘रिच लैंड, पूअर पीपुल: इज ससटेनेबल माइनिंग पॉसिबलÓ शीर्षक से एक नागरिक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें खनन प्रभावित क्षेत्रों में असमानता के बोझ के प्रति ध्यान आकर्षित करने के लिए एक नए सामाजिक और पर्यावरण संबंधी अनुबंध की सिफारिश की गई है। एक दशक तक विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से इसको लेकर चर्चाओं और वार्ताओं का दौर चला। अंत में वर्ष 2015 में खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम 1957 में संशोधन किया गया और इसके तहत जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) का गठन किया गया।
छत्तीसगढ़ में इस बार भाजपा की सरकार बनने के बाद डीएमएफ राशि के दुरुपयोग पर रोक लगाने की कवायद शुरू की गई है। सरकार ने अपनी नई पॉलिसी के तहत डीएमएफ के ऐसे सारे काम रोक दिए जिसकी राशि मंजूर थी, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ हो पाया था। साथ ही वित्त विभाग ने बड़े प्रोजेक्ट्स के फंड पर फिर अप्रूवल लेने के लिए कहा। शासन की ओर से जारी आदेश में सभी विभागों को खर्च कम करने के निर्देश दिए गए। पिछले वर्ष दिसंबर में जारी एक आदेश के मुताबिक डीएमएफ के पैसों से होने वाले काम जो अब तक शुरू नहीं हुए हैं, उनकी फिर से मंजूरी लेनी होगी। मंजूरी लेने के लिए डीएमएफ परिषद नए सिरे से बनाई जाएगी। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि जिले के सभी नवनिर्वाचित विधानसभा सदस्य, डीएमएफ शासी परिषद के पदेन सदस्य होंगे। साथ ही यह भी कहा गया कि तीन साल तक की अवधि पूरी करने वाले जनप्रतिनिधियों और सदस्यों के स्थान पर नए सदस्यों के नामांकन किये जाएंगे।
दरअसल, पिछले करीब पांच सालों में यह देखने को मिला कि प्रदेश के रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई, बलौदाबाजार, कोरबा, रायगढ़, बस्तर समेत सरगुजा इलाको में डीएमएफ की राशि में सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा हुआ है। इन सभी जिलों में खनिज उत्खनन से प्राप्त होने वाली राशि के लिए जिला खनिज न्यास निधि माध्यम से शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जमकर खर्च किया गया। इसके साथ ही स्थानीय मंडई मेलों में भी इस राशि का मनमाना उपयोग किया गया था। वहीं, स्थानीय जनप्रतिनिधि और कई कलेक्टरो ने इस फंड की राशि का अपने क्षेत्रों में छोटे-छोटे विकास कार्यों के नाम पर करते रहे हैं। इस सम्बन्ध में भी लगातार शिकायतें सामने आती रही हैं। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद डीएमएफ को लेकर एंटी करप्शन ब्यूरो यानि एसीबी एक्टिव हो गयी है। एसीबी ने डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड यानि डीएमएफ में घोटाले में एफआईआर के साथ जांच शुरू कर दी है। छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है जहां खनिज की प्रचुर मात्रा है इसलिए यहां माइंस की भरमार हैं। इसके एक छोटी सी राशि राज्य सरकार के खजाने में जाती है जो अलग-अलग जिलों में निर्धारित विकास कार्यों के लिए खर्च होती है। इन्हीं पैसों पर लूटमार के आरोप हैं।
इस बीच, छत्तीसगढ़ राज्य विधानसभा में डीएमएफ का मुद्दा आज फिर गरमाया रहा। कांग्रेस विधायक लखेश्वर बघेल का आरोप था कि डीएमएफ के स्वीकृत कार्यों को सरकार द्वारा रोका गया है। वहीं, नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री की ओर से प्रश्न का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ओ पी चौधरी ने कहा कि डीएमएफ फंड का उपयोग साशी न्यास के माध्यम से किया जाता है। किसी जनप्रतिनिधि की उपेक्षा नहीं की जाती, जरूरत के अनुसार कार्य स्वीकृत किए जाते हैं। सदन में यह जानकारी भी मांगी गई कि बस्तर विधनासभा क्षेत्र में डीएमएफ के अंर्तगत ग्रामीण इलाकों से 2021 से 2024 में खनिजों से कितनी राशि प्राप्त हुई? साथ ही उस राशि से ग्रामीण इलाकों में निर्माण और अन्य कामो में कितनी राशि आवंटित की गई? मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि बस्तर विधानसभा क्षेत्र में डीएमएफ के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण इलाकों में साल 2021 से जनवरी 2024 तक 204 करोड़ 754 लाख रुपए डीएमएफ मद में प्राप्त हुए। इस समय मे दंतेवाड़ा जिला खनिज न्यास से बस्तर जिला को 43056.69 लाख रुपए प्राप्त हुआ। जो भी राशि प्राप्त हुई है उसमें से ग्रामीण इलाकों में निर्माण और अन्य कामो के लिए 3406.006 लाख रुपए की स्वीकृति भी की गई है। खनिज न्यास जिलों से प्राप्त डीएमएफ राशि में से 70 प्रतिशत राशि उन्ही इलाकों में खर्च करने का प्रावधान है। इसके लिए जिला खनिज न्यास नियम 2015 में जरूरी संशोधन की कार्यवाही भी चल रही है।
डीएमएफ के संबंध में राज्यों की समीक्षा से सामने आया कि डीएमएफ का पैसा खर्च तो किया जा रहा है, लेकिन कुछ मूलभूत दायित्वों की पूर्ति अभी भी नहीं हो रही। इस फंड के खर्च में प्रभावित इलाकों के लोगों की भागीदारी काफी कम है। इस योजना को निगरानी करने वाली संस्था में सांसद, विधायक और जिले के अधिकारी ही ज्यादातर शामिल होते हैं। छत्तीसगढ़ एकलौता राज्य है, जहां ग्राम सभा का सदस्य अगस्त 2019 में कानून में बदलाव की वजह से इस निगरानी तंत्र का हिस्सा होता है।

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