Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से -चुनाव में धान और शराब बनेंगे बड़े मुद्दे !

Editor-in-Chief

From the pen of Editor-in-Chief Subhash Mishra – Paddy and liquor will become big issues in the elections!

– सुभाष मिश्र

प्रधानमंत्री मोदी के छत्तीसगढ़ दौरे के बाद से प्रदेश की सियासी फिजां बदल गई है और ये पूरी तरह चुनावी मोड में शिफ्ट होते नजर आ रही है। चुनाव से पहले जिस तरह की कवायद और आर-पार के बयान सुनाई पड़ते हैं, उस तरह का माहौल अब प्रदेश में पूरी तरह बनते नजर आ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दौरे के दौरान छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार पर जमकर निशाना साधा और कई तरह के आरोप लगाए। खासतौर पर धान खरीदी को लेकर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इसकी वाहवाही लूट रही है लेकिन यहां के किसानों का धान केन्द्र सरकार लेती है। इसी तरह उन्होंने आवास योजना को लेकर राज्य सरकार को घेरा, इसके अलावा शराब घोटाला, कांग्रेस का एटीएम होने के भी गंभीर आरोप उन्होंने राज्य सरकार पर जड़ते हुए एक तरह से माहौल को चुनावी बनाते हुए बदलबो बदलबो का नारा दिया। उनके यहां से जाने के बाद मुख्यमंत्री बघेल ने भी पलटवार किया है। मीडिया में बयान देने के साथ ही सोशल मीडिया पर भी उन्होंने प्रधानमंत्री के आरोपों का जवाब दिया है। भूपेश बघेल ने कहा कि जो भाजपा कलेक्ट्रेट परिसर में छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा लगाने का विरोध कर रही थी, उनके सबसे बड़े नेता छत्तीसगढ़ महतारी का जयकारा बुलाते हैं और छत्तीसगढ़ी में अपने भाषण की शुरुआत करते हैं। बघेल ने व्यंग्य बाण चलाते हुए कहा कि आगे आप इन्हें हरेली में गेड़ी चढ़ते भी देखेंगे और कुछ दिन और रुकिए इन्हें हम एकात्म परिसर में बोरे बासी भी खिलवाएंगे। इसके अलावा प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार वाले बयान पर बघेल ने कहा कि वे किस मुंह से भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं जब राहुल गांधी ने पूछा था 20 हजार करोड़ किसके हैं तो चुप्पी क्यों। गरीब की चिंता है तो चिटफंड घोटाले की जांच क्यों नहीं करा लेते। शराब घोटाले पर जवाब देते हुए सीएम बघेल ने कहा कि भाजपा के समय में 3900 करोड़ राजस्व आता था। आज बढ़कर 6500 करोड़ हो गया है तो राज्य के राजस्व में तो कहीं कमी नहीं हुई नुकसान नहीं हुआ। कहते हैं होलोग्राम लगाने में गड़बड़ी हुई तो होलोग्राम लगने का काम शराब फैक्ट्री में होता है अगर कोई अधिकारी और फैक्ट्री मालिक ने मिलकर गड़बड़ी की तो उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन डिस्टलर के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हो रहा है यानि सेटिंग हुई है। इस तरह शराब घोटाला के प्रधानमंत्री के आरोपों पर सीएम बघेल ने जवाब दिया। इसी तरह केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच धान खरीदी को लेकर जमकर घमासान मचा हुआ है। सीएम बघेल ने कहा कि केंद्र चावल ले या न ले, राज्य सरकार धान खरीदी करेगी। सीएम बघेल ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी झूठ बोलती है। उन्होंने कहा कि एक झूठ को सौ बार बोलो तो सच लगता है, इसलिए भाजपा झूठ बोलती है। इससे पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि केंद्र सरकार चावल लेती है ये राज्य सरकार विधानसभा में स्वीकार भी कर चुकी है कि केंद्र की एजेंसी के रूप में धान की खरीदी करती है। अरुण साव के बयान पर मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि धान खरीदी की सारी व्यवस्था राज्य सरकार करती है, केन्द्र सरकार इसके लिए 1 रुपए भी नहीं देती। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार प्रदेश के पंजीकृत किसानों से धान खरीदी करती है और बैंकों से ऋण लेकर भुगतान करती है। केन्द्र सरकार द्वारा धान खरीदी के लिए कोई अनुदान, सहायता या लोन नहीं दिया जाता।
धान खरीदी का एक सिस्टम है, राज्य सरकार किसानों से धान खरीदी करती है फिर कस्टम मिलिंग के बाद सेन्ट्रल पूल में चावल जमा किया जाता है। उसके बाद केन्द्र सरकार द्वारा जमा चावल के एवज में निर्धारित दर पर भुगतान किया जाता है। साल 2023-24 में 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का अनुमान है। उन्होंने बताया कि किसानों से अब तक 15 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से धान खरीदी की जा रही थी, जिसे राज्य सरकार ने बढ़ाकर 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदने का फैसला लिया है।
छत्तीसगढ़ सरकार के मुताबिक पिछले पांच साल में प्रदेश में धान खरीदी और एफसीआई द्वारा लिए गए चावल के आंकड़े इस तरह है-
साल- 2018-19 में 80.38 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी हुई इस साल एफसीआई ने 23.94 लाख मीट्रिक टन चावल छत्तीसगढ़ से लिया। साल 2019-20 में 83.95 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी हुई और इस साल एफसीआई ने 26.38 लाख मीट्रिक टन चावल छत्तीसगढ़ से लिया। साल 2020-21 में 92.02 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी हुई और इस साल एफसीआई ने 22.84 लाख मीट्रिक टन चावल छत्तीसगढ़ से लिया। साल 2021-22 में 97.99 लाख मिट्रीक टन धान खरीदी हुई और इस साल एफसीआई ने 32.45 लाख मीट्रिक टन चावल छत्तीसगढ़ से लिया। 2022-23 में 107.53 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी हुई और इस साल एफसीआई ने 36.12 लाख मिट्रीक टन चावल छत्तीसगढ़ से लिया।
मंत्री मो. अकबर ने बताया कि पूरे देश में छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है, जहां हमारी सरकार बनने के बाद से किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीद के साथ ही प्रतिपूर्ति के रूप में राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत अतिरिक्त राशि प्रदान की जाती है। इस तरह धान जिस पर छत्तीसगढ़ की राजनीति अक्सर आकर टिक जाती है, उस पर एक बार फिर घमासान की स्थिति है। शराब घोटाले पर जिस तरह का पलटवार मुख्यमंत्री ने किया उस पर अभी जवाब आना बाकी है। मुद्दा धान खरीदी कौन करता है, से ज्यादा ये है कि किसानों की जिंदगी में बदलाव कैसे होना चाहिए। 2022 में किसानों की आय दोगुनी होने वाले वादे भी कसौटी पर कसे जाएंगे। दोनों तरफ से जिस तरह खरी-खरी बयानों और आरोपों का दौर चल रहा है, उससे साफ है कि इस बार भी विधानसभा चुनाव में धान और शराब का मुद्दा हावी रह सकता है, भले ही भाजपा विकास कार्यों को लेकर उतरने की बात कह रही हो लेकिन जिस तरह दोनों तरफ से आरोपों की बौछार हो रही है उससे ये लगता नहीं है।

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