- मैकाले की शिक्षा पद्धति सनातन धर्म को नष्ट करने व नौकर बनाने के लिए
- जल्द ही 1000 एकड़ भूमि पर सनातन विश्वविद्यालय का निर्माण होगा
दिलीप गुप्ता
सरायपाली :- “रामायण व महाभारत काल के समय से ही सरायपाली का इतिहास जुड़ा हुआ है । जब पुराने समय मे पवित्र धार्मिक स्थल श्री जगन्नाथपुरी जाना होता था तो पैदल यात्रा के समय सरायपाली होकर ही आम जनता , साधु संत , महात्मा , ऋषिवर जाया करते थे । यह याद रखे जिस भी क्षेत्र से यह सब महात्मा गुजरते हैं वहां के आसपास का वातावरण इत्र के समान सुगंधित ही नही बल्कि ज्ञान , शिक्षा , समृद्धि , सद्बुद्धि , धर्म , संस्कार , परम्पराओ का भी बीज बोते जाते हैं । जिसके सानिध्य में आकर क्षेत्र व वहां के रहने वाले लोग , पशु , पक्षी भी प्रसन्नचित व खुशहाल होते हैं ” उक्त आध्यात्मिक प्रवचन वृंदावन आनंदम धाम पीठ के पीठाधीश्वर श्री ऋतेश्वर जी महाराज द्वारा आज धर्मनगरी सरायपाली में हजारों की संख्या में पधारे भक्त जनों व श्रद्धालुओ को देते हुवे कहा ।
लगभग 2 घंटे के अपने आध्यात्मिक प्रवचन में श्री ऋतेश्वर महाराज ने कहा कि भारत मे अंग्रेजो द्वारा भारत मे भारतीय व सनातनी संस्कृति , परंपरा , शिक्षा , गुरुकुल पद्धति , ज्ञान को समाप्त करने के लिए ही मैकाले शिक्षा पद्धत्ति थोपी गई । यह शिक्षा देश को शिक्षित नही बल्कि नौकर बनाये रखने के लिए थोपी गई । अंग्रेजो को मालूम था कि जब तक भारतीयों में उनकी सनातन शिक्षा , पद्धति , संस्कृति व ज्ञान को समाप्त नही किया जाएगा तब तक हम भारतीयों को नौकर नही बना सकते । डेज़ह व विभिन्न क्षेत्रों में सनातन गुरुकुल व शिक्षा पद्धत्ति की अब नितान्त आवश्यकता है । इसके लिए हम देश मे 1000 एकड़ भूमि पर विशाल व भव्य सनातन विश्वविद्यालय का निर्माण करने जा रहे हैं जहां सनातनी शिक्षा पद्धत्ति , संस्कृति , ज्ञान , 16 संस्कार व 64 कलाओं की शिक्षा के साथ साथ हावर्ड व कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाने वाले आधुनिक वैज्ञानिक की पढ़ाई भी कराई जायेगी । भारतीय संस्कृति में 16 संस्कारो व 64 कलाओं का वैज्ञानिक संबंध है ।
पीठाधीश्वर श्री ऋतेश्वर महाराज ने नगर वासियों व खासकर युवाओ से आग्रह किया कि वे सरायपाली में एक विशाल सनातन गुरुकुल का निर्माण करें धन की चिंता न करें । विज्ञान अभिशाप है या वरदान पर कहा कि यह देश के लिए अभिशाप बन चुका है । समय की बचत के बावजूद किसी के पास आज भी समय नही है । लोग टीवी व मोबाइल पर चिपक गए हैं । संवादहीनता बढ़ गई है । लोग एक दुसरो से दूर होते जा रहे हैं । विज्ञान ने सबसे अधिक नुकसान मानव शरीर को किया है । खेतो , फसलों , सब्जियों में लगातार बढ़ रही पेस्टीसाइड , यूरिया , कीटनाशक दवाइयों की बढ़ोतरी ने व किसानों में हाइब्रिड फसलों व फसलों की दोगुनी उत्पादनों की लालच ने सर्वाधिक नुकसान शरीर को पहुंचाया है । आज किसी भी प्रदेश के हिस्से में चले जाओ जिसके पास 20 एकड़ खेती है वह 2 एकड़ खेती में देशी खाद का उपयोग कर अपने बच्चों को खिलता है तो वही शेष 18 एकड़ की खेती वह पेस्टीसाइड , कीटनाशक दवाइयों व फसल बढ़ोतरी के लिए जहरीली दवाइयों का उपयोग कर फसल बढ़ाकर अन्य दुसरो बच्चो को खिलाता है क्या यह धर्म की श्रेणी में आता है यह धर्म नही अधर्म है ।। जिसके चलते देश में मनोवृति व मानसिक रोगों में बढ़ोतरी हो रही है ।
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विश्व मे लगातार बढ़ रही हिंसा , रक्तपात , हत्याओं के जिक्र करते हुवे कहा कि भगवान की सबसे सुंदर कृति मनुष्य है और इस सुंदर कृति को नष्ट किया जा रहा है जो बहुत ही गंभीर है । इसे नष्ट व समाप्त करने वाले धार्मिक हो ही नही सकते वे धर्म का पालन न करते हुवे हिंसक व अधर्मी है कट्टर हैं व ऐसे लोग मानव समाज के दुश्मन हैं ।
आनन्द धाम पीठ वृंदावन के पीठाधीश्वर सद्ग्ररू श्री ऋतेश्वर महाराज जी का यह प्रथम नगर आगमन था । आज शाम बस्ती सरायपाली तालाब के पास प्रथम आध्यात्मिक प्रवचन था । विशाल पंडाल व व्यवस्थाओं से युक्त इस पंडाल में आसपास ग्रामीण क्षेत्र के भक्तजन भी प्रवचन का आनंद लेने सैकड़ो की संख्या में पहुंचे थे । शाम 4 बजे वाहनों का काफिला
सरायपाली के अग्रसेन चौक पहुंचा जहां से एक रैली के रूप में कीर्तन मंडलियों के साथ नगर भ्रमण करते हुवे शंकर राइस मिल पहुंचे । रास्ते मे नगरवासियो ने पुष्पो से स्वागत किया । कीर्तन मंडली के थाप व संगीत ने श्री ऋतेश्वर महाराज को नृत्य मंडली के साथ नृत्य करने मजबूर कर दिया ।वे काफी प्रसन्नचित व उत्साहित दिख रहे थे । कीर्तन मंडली के सदस्यों को उन्होंने आशीर्वाद भी दिया । । शंकर राइस मिल मे नगर के अनेक सामाजिक लोगों ने पुष्पहार से स्वागत व सत्कार किया । पश्चात वे प्रवचन स्थल पहुंचे । आध्यात्मिक प्रवचन के पूर्व उन्होंने देवी के तैलचित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर पूजा अर्चना की । लगभग 2 घंटे तक चले इस आध्यात्मिक कार्यक्रम का श्रद्धालुओ ने खूब आनंद उठाया । इस दौरान भक्तों के साथ महराज ने पुष्पों की होली भी खेली । कार्यक्रम समाप्ति के बाद श्री ऋतेश्वर महाराज शिवरीनारायण के लिए प्रस्थान किये ।