Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – ट्रेन पलटाने की साजिश और नागरिक दायित्व 

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

कहा जाता है कि रेल पटरी पर है। इसके बहुत से अर्थ होते हैं। आमतौर बोलचाल में कहा जाता है कि जीवन पटरी पर है। इसका मतलब है कि जीवन ठीक-ठाक चल रहा है। जब ट्रेन पटरी से उतरती है तो दुर्घटनाएं होती हैं। इसके बहुत से कारण हैं या तो ट्रेन का संतुलन बिगड़ता है या कोई लापरवाही होती है या कोई ऐसी शरारत की जाती है, जिससे ट्रेन पटरी से उतर जाती है। हमारे देश में यातायात की सबसे बड़ी व्यवस्था रेल है। चाहे मालगाड़ी हो या सवारी गाड़ी इसको लेकर भी बहुत राजनीति होती है। छत्तीसगढ़ में भी यातायात का मुख्य साधन रेल ही है। छत्तीसगढ़ हावड़ा-बांबे रेलमार्ग पर पड़ता है। यह रेलमार्ग रायगढ़ से होकर वाया गोंदिया महाराष्ट्र के लिए जाती है। कुछ ट्रेन अभी जगदलपुर तक जा रही हैं। छत्तीसगढ़ खनीज संपदा से भरपूर राज्य है, इसलिए अक्सर आरोप लगता है कि यहाँ यात्री ट्रेनों को रोककर मालगाड़ी को भेजा जाता है। आरोप लगाने वाले इसके साथ ही कई उद्योगपतियों का भी नाम लेते हैं। रेलवे पर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने भी कई तरह के आरोप लगाए थे। कांग्रेस अभी भी आरोप लगा रही है। इसको लेकर छत्तीसगढ़ में आरोप-प्रत्यारोप चलता रहता है। इससे इतर भी रेल का पूरा कारोबार है। जब कोई ट्रेन दुर्घटना होती है तो जान-माल की हानि होती है।
रेल यात्रा करना लोग इसलिए पसंद करते हैं, क्योंकि उन्हें यह सबसे आरामदायक लगता है। मगर, जब लगातार रेल दुर्घटनाएं होती हैं तो चौंकना जरुरी है। सवाल यह है कि अगर रेल में इतना बड़ा अमला है और रेल विभाग ट्रेनों के परिचालन के लिए चौकसी करती है। ट्रेन को रोकने और चलाने के लिए लाल और हरी बत्ती लगी होती है। सारे सिग्नल है। रेल पटरी के तीहरीकरण किए जा रहे हैं। फिर भी लगातार ट्रेन दुर्घटनाएं क्यों हो रही है। अगर 2024 के पहली छमाही की बात करें तो भारतीय रेल में सात बड़ी दुर्घटनाएं हुईं। ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण रेल दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या ने रेलवे सुरक्षा और ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए कड़े उपायों की आवश्यकता के बारे में गंभीर चिंताएँ पैदा की हैं। बीते कुछ दिनों में ट्रेन एक्सीडेंट की वारदात आम हो गई है। आए दिन पैसेंजर ट्रेनों या मालगाड़ी के किसी से टक्कर होने या बेपटरी होने की वारदात देखने-सुनने को मिल जाती है। इन हादसों पर रेलवे ने बड़ी साजिश की आशंका जताई है। ऐसे में भारतीय रेलवे को सकारात्मक रूप से देखने की बजाय नकारात्मक माहौल बन जाता है। रेलवे ट्रैक पर मैकेनिकल फॉल्ट यानी रेलवे ट्रैक पर लगने वाले उपकरण का खराब हो जाने पर लोग रेल प्रशासन को कोसते हैं। तब कहा जाता है कि इसमें रेल प्रशासन की लापरवाही है। हाल में कानपुर में लगातार रेल दुर्घटनाएं देखने को मिली। इस पर आशंका जताई जा रही है कि इसके पीछे कुछ साजिश हो सकती है। कानपुर में रेलवे ट्रैक पर गैस सिलेंडर रखकर कालिंदी एक्सप्रेस को डिरेल करने की कोशिश की गई। ड्राइवर ने ब्रेक मारकर ट्रेन रोकी और अधिकारियों की इसकी सूचना दी। मौके से पेट्रोल भरी कांच की बोतल, माचिस, बारूद आदि सामान मिला है। फिलहाल, जांच-पड़ताल शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही कानपुर में देर रात बड़ा रेल हादसा टल गया। यूपी एटीएस और अन्य एजेंसियां जांच में जुट गई हैं। ये पहला मामला नहीं है। जब कानपुर या उसके आसपास ऐसी घटना हुई हो। बीते कुछ महीने में ही ऐसी दो-तीन घटना हो चुकी है। इससे पहले 16-17 अगस्त की रात कानपुर-झांसी रूट पर साबरमती एक्सप्रेस के 22 डिब्बे इंजन समेत पटरी से नीचे उतर गए थे। इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई। फिलहाल, इस हादसे की भी जांच चल रही है।
कानपुर में साबरमती एक्सप्रेस को आठ साल पहले भी इंदौर-पटना एक्सप्रेस की तरह पलटाने की साजिश थी, जिसमें 152 यात्रियों की जान चली गई थी। बिहार से पकड़े गए आरोपियों ने खुलासा किया था कि उसने पैसे लेकर इंदौर-पटना एक्सप्रेस को पलटा दिया था। पटना से अहमदाबाद जा रही साबरमती एक्सप्रेस को गोविंदपुरी और भीमसेन स्टेशन के बीच पलटाने की कोशिश की गई, जिसमें इंजन के आगे 3 फीट लंबा रेल पटरी का टुकड़ा रख दिया गया था। इसी तरह 24-25 अगस्त की रात को फर्रुखाबाद में लोको पायलट की सतर्कता के कारण बड़ा हादसा टल गया था। यहां कुछ अराजकतत्वों ने कासगंज-फर्रुखाबाद एक्सप्रेस ट्रेन को डिरेल करने की कोशिश की। उन्होंने रेलवे ट्रैक पर लकड़ी का भारी टुकड़ा रख दिया था, ताकि इससे इंजन टकराए और बड़ा हादसा हो जाए। इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं। इससे यह पता चल रहा है कि पुलिस भी तैनात है, रेलवे के कर्मचारी भी काम कर रहे हैं। अगर वे सतर्कता नहीं बरतेंगे तो इस तरह के हादसे होते रहेंगे। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कोई ऐसा मैकेनिज्म होना चाहिए, जो यह बता सके कि पटरियां क्लीयर है या नहीं। पटरियों पर कहीं कोई वस्तु तो नहीं रखी गई है। क्योकि अभी तक हमारे पास यह व्यवस्था तो है कि कौन सी ट्रेन कहाँ पर है। 23 अगस्त, 2024 को एक हादसा शामली जिले में भी टल गया था। यहां दिल्ली सहारनपुर रेलवे लाइन पर शामली बाईपास के पास 50 मीटर की दूरी पर चार जगहों पर करीब 25 से 30 पेंड्रोल क्लिप निकले पड़े थे। इसकी सूचना वहां घूमने आए छात्र ने रेलवे को दी। इसके बाद यह हादसा टल गया। यह नागरिक सतर्कता को दिखाता है। बहुत से लोग रेलवे पटरी के किनारे रहते हैं या वहां से गुजरते हैं। अगर वह देखें कि कोई गड़बड़ी हुई है तो जिम्मेदार नागरिक होने के नाते पुलिस और रेल प्रशासन को इसकी जानकारी दें। बीते 8 सितंबर की रात अनवरगंज-कासगंज रेलवे लाइन पर बर्राजपुर और बिल्हौर के बीच कालिंदी एक्सप्रेस रेलवे ट्रैक पर रखे भरे एलपीजी सिलेंडर से टकरा गई। लोको पायलट को ट्रैक पर कोई संदिग्ध चीज दिखाई दी जिसके बाद उसने ब्रेक मारी, लेकिन उसके बाद भी वह चीज ट्रेन से टकरा गई जिससे काफी तेज आवाज हुई। ड्राइवर ने ट्रेन रोक गार्ड और बाकी लोगों को इसकी सूचना दी।
अब सवाल है कि ऐसा क्यों हो रहा है। बहुत से असमाजिक तत्व देश की रेल व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करना चाहते हैं। या किसी बात को लेकर अपना आक्रोश व्यक्त करना चाहता है। कुछ लोग रेल रोको आन्दोलन करते हैं और रेल को रोकने के लिए गलत तरीका अपनाते हैं। रेल पटरी को नक्सली भी उखाड़ देते हैं, लेकिन हाल के दिनों में यह देखा गया कि कुछ लोग रेल पटरियों पर ऐसा सामान रख दे रहे हैं, जिससे रेल दुर्घटना का शिकार हो जाए, यह चिंता की बात है। ऐसे में रेलवे को ऐसा मैकेनिज्म विकसित करना होगा, जो पटरियों पर रखे गए भारी-भरकम सामान या पटरियां टूटी या कटी हों तो इसकी जानकारी मिल जाए। यह ठीक है कि पुलिस ने काफी कारवाई की है। बहुत से लोगों को पकड़ा है और संदिग्ध सामान बरामद किए गए हैं। संदिग्ध आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। इसके बावजूद रेल दुर्घटना चिंता का विषय है, क्योंकि जब हम रेल, बस या हवाईजहाज से यात्रा करने के लिए निकलते हैं तो हम सुरक्षित पहुंचेंगे इसका भरोसा रहता है। इन वाहनों के संचालक और ड्राइवर भी चाहता है कि यात्रियों को सकुशल पहुँचा दे। फिर भी अगर दुर्घटनाएं घट रही हैं और इसमें साजिश है तो रेलवे प्रशासन और सरकार को इस बारे में सोचने की जरूरत है कि सुखद मानकर यात्रा करने वालों की यात्रा दुखद ना हो जाए।
दुर्घटना कई तरह से हो रही हैं। तकनीक के फेल होने के कारण, मशीनरी के फेल होने के कारण, सिस्टम के फेल होने के कारण और कुछ लोगों के बाधा खड़ी करने के कारण। कुछ लोग बाधा खड़ी कर रहे हैं तो इसमें नागरिक दायित्व भी है। हम लोगों को बताएं कि रेलवे हमारी है। यह हमारे यातायात का साधन है। यात्रा में जो लोग हमारे साथ बैठे हैं, उन्हें ना हम जानते हैं और ना वे हमे जानते हैं, ना हम उनका धर्म जानते हैं, और ना उनकी जाति जानते हैं। अगर आप इस ट्रेनों को रोकेंगे या दुर्घटनाग्रस्त करेंगे तो हो सकता है कि उसमें आपका भी कोई बैठा हो और वह भी काल के गाल में समा जाए। यह एहतियात हम सबको बरतना है।

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