Cg news- तो क्या नगरवासियो को सर्विस रोड व नाली निर्माण का लाभ नही मिलेगा

सर्विस रोड के अभाव में गौरवपथ में खड़ी होंगी वाहने , यातायात होगा प्रभावित

दिलीप गुप्ता
सरायपाली नगर में जिस उद्देश्यों को लेकर पूर्ववर्ती नगर कांग्रेस सरकार द्वारा लगभग 41 करोड़ रुपये की लागत से 6.5 किलोमीटर लंबी गौरवपथ का निर्माण प्रस्तावित था । इस योजना के तहत गौरवपथ , डिवाइडर , सर्विस रोड , 2 नालियों , डिवाइडर के बीच सुदंरता हेतु स्ट्रीट लाईट लगाने का प्रावधान था । किंतु अब जब गौरव पथ का निर्माण कार्य लगभग 80 प्रतिशत पूर्णता की ओर है ऐसे में गौरवपथ के दोनों तरफ बनने वाले सर्विस रोड व नाली का निर्माण होगा इसकी संभावना लगभग समाप्त हो चुकी है । वही डिवाइडरों में पूर्व में पास प्रस्ताव को बदलकर डिजाइन में नए खंभे लगाने की प्रक्रिया भी पूर्ण नही होने पर यह कार्य भी प्रारम्भ नही हो पा रहा है ।नए खम्बो में लाइट लगाई जा रही है ।

यानी के टैक्सदाताओं के पैसों की पुनः बर्बादी का प्लान बना लिया गया है ।।इसी तरह अग्रसेन चौक से जयस्तंभ चौक तक प्रस्तावित डिवाइडर निर्माण के स्थान पर चबूतरा टाइप का निर्माण किया जा सकता है पर यह अभी तय नही किया जा सका है । नगर में सर्वाधिक भीड़ इन्ही दो चौक के बीच होती है । नगर सौंदर्यीकरण व सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हमेशा से यही स्थान सबसे अधिक प्रभावित बाधा करता है । यही पर आकर निर्माण कार्य व प्रशासन की शक्तियां समाप्त हो जाती है । सबसे अधिक भीड़ होने के कारण यहां हमेशा यातायात असुरक्षित व व्यस्त रहता है । ऐसे में जगह की कमी का बहाना बनाकर डिवाइडर के स्थान पर पतली चबूतरा बनाये जाने की जानकारी मिली है । जबकि डिवाइडर की सर्वाधिक आवश्यकता इसी स्थान पर अधिक है । डिवाइडर निर्माण से यातायात सुव्यवस्थित व सुरक्षित होगा जबकि डिवाइडर के अभाव में दुर्घटनाओ व असुरक्षित यातायात की सम्भावना हमेशा बनी रहेगी । कुछ लोगो को खुश करने व संतुष्टिकरण के चलते स्थानीय जनप्रतिनिधि इससे होने वाले दुष्परिणामो को अनदेखा कर रहे हैं जिसका नुकसान स्वयं नगरवासियों व आम जनता को होगा ।
नगर में काफी लंबे समय से बेहतर व सुरक्षित यातायात को देखते हुवे गौरव पथ निर्माण किये जाने की मांग की जाती रही है । कांग्रेस के शासन काल मे यह स्वीकृत भी हुआ व निर्माणकार्य प्रारम्भ भी किया गया  किंतु अब मिल रही जानकारी के अनुसार गौरवपथ के साथ ही दोनों किनारों पर सर्विस रोड व नाली निर्माण का कार्य होना था उसके निर्माण होने की संभावना लगभग समाप्त दिखाई दे रही है ।पूर्व प्राक्कलन में लगातार बदलाव के कारण एक ओर गौरवपथ निर्माण में विलंब हो रहा है तो वही गौरवपथ निर्माण की लागत भी बढ़ रही है । इस बढ़ते लागत की वजह से मिली जानकारी के अनुसार ठेकेदार द्वारा आगे कार्य किये जाने से इनकार कर दिया गया है ।

इसके साथ ही बढ़ते खर्च को समायोजित करने के लिए बताया जा रहा है कि सर्विस रोड व नाली निर्माण का कार्य संभव नही है । आने वाले समय मे जल संवर्धन योजना के तहत नगर में पाइप लाइन बिछाई जा सकती है तब उसके लिए फिर सर्विस रोड बनने वाली जगहों को खोदा जायेगा ।
ऐसा लगता है कि गौरवपथ निर्माण के पूर्व बगैर किसी जांच ,सलाह व योजना के हड़बड़ी व कमीशन के चक्कर मे आनन फानन में इसे स्वीकृत करवा लिया गया जिसके चलते अब परेशानियों व नगरवासियो के विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है । बगैर किसी पूर्व योजना व सलाह मशविरा किये जाने के कारण जैसे जैसे गौरव पथ का निर्माण थाना चौक ( अग्रसेन चौक ) से जयस्तंभ चौक तक जा रहा था वैसे वैसे प्रतिदिन विवाद की स्थिति निर्मित होती जा रही थी । निर्धारित प्राक्कलन में संशोधन कर गौरव पथ का निर्माण किया जा रहा है तब से मामला और गंभीर रूप लेते जा रहा है । अपने निजी स्वार्थ , कमीशन व तुष्टिकरण के चलते प्राक्कलन में भारी परिवर्तन कर दिए जाने से निर्माण कार्य मे बेवजह विलम्ब , लागत बढ़ने से आर्थिक नुकसान, व्यापारियों व राहगीरों को भारी परेशानियों का सामना प्रतिदिन करना पड़ रहा है । इसी वजह से व्यवसाय भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है ।

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इस गौरवपथ निर्माण में प्रारंभ से लेकर अब तक कुछ ऐसे निर्णय हैं जो जांच के दायरे में तो आते हैं साथ ही नगराध्यक्ष व नगरपालिका के कार्यशैलियो व प्रशासनिक क्षमता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं । पूर्व प्राक्कलन में कोई भी सुधार के लिए उच्चाधिकारियों से प्रशासकीय स्वीकृति आवश्यक है । क्या नगरपालिका द्वारा यह प्रक्रिया अपनाई गई ? निर्माणाधीन गौरवपथ में डिवाइडर की ऊंचाई पूर्व में 5 फिट थी उसकी ऊँचाई कम कर अब उसमें लोहे का ग्रिल लगाए जाने ठेकेदार को निर्देशित किया गया है । क्या इसकी अनुमति ली गई ? इस व्यवस्था में अतिरिक्त लागत व खर्च का वहन कौन करेगा ? प्राक्कलन में कही भी डिवाइडरों में ग्रिल लगाने का प्रावधान नही है ।प्राक्कलन में कहीं भी क्रासिंग छोड़े जाने का भी उल्लेख नही है फिर नपाध्यक्ष के कहने पर 6.5 किलोमीटर लंबे इस गौरव पथ में 40 से 50 की संख्या में बेवजह खतरनाक ढंग से क्रासिंग क्यों छोड़ा गया । गौरवपथ में बने डिवाइडर नियमतः एक सीध में होना चाहिए किंतु कहीं भी डिवाइडर एक सीध में क्यों नही है । सभी डिवाइडर सांप की तरह दिखाई क्यों दिखाई दे रहे हैं ।

गौरवपथ में सर्विस रोड व नाली बनाये जाने का प्रावधान है । उसका काम अभी तक क्यों नही चालू किया गया । गौरवपथ निर्माण का कार्यकाल अप्रैल तक ही है था अप्रैल माह तक कार्य पूरा हो जाना चाहिए था किंतु नगरपालिका की उदाशीनता व लापरवाही के चलते पाइप लाइन , पेड़ , बिजली खम्बो , व्यापारियों द्वारा अतिक्रमण को हटाने में विलंब के कारण तेज गति से निर्माण कार्य नही हो पा रहा था । नगर में गौरवपथ निर्माण के दौरान आने वाले , वृक्षो , खम्बो व अतिक्रमण को हटाने एसडीएम द्वारा कई बार नगरपालिका को निर्देशित किया गया था किंतु समय पर कोई कार्य नही काईये जाने से गौरवपथ निर्माण में विलम्ब होता रहा ।
डिवाइडर की निर्धारित ऊंचाई को कम करने , जगह जगह क्रासिंग छोड़ने , टेढ़े – मेढे डिवाइडरों का निर्माण , सड़क चौड़ीकरण में अनियमितताओं , बिजली खम्बो के गाढ़ने में लापरवाही के साथ ही अनेक ऐसे मुद्दे हैं जहां नगरपालिका की लापरवाही व कार्यशैली शंकाओं के दायरे में हैं । इन महत्वपूर्ण योजना के निर्माण के दौरान कभी भी नगरपालिका के जिम्मेदार अधिकारियों को निरीक्षण करते नगरवासियो ने नही देखा । अब आरोप लगाया जा रहा है कि ठेकेदार को कोई लिखित निर्देश डिवाइडर की ऊंचाई कम करने व क्रासिंग ( कट ) छोड़ने का नही दिया गया है । सवाल यह है कि जब ठेकेदार को निर्देश नही दिया गया था तो 40 से 50 की संख्या में बन चुके क्रासिंग को बनने से क्यों नही रोका गया ? , डिवाइडर की ऊंचाई जब कम बनाई जा रही थी तब उसे क्यों नही रोक गया ।ठेकेदार द्वारा जब मनमानी पूर्वक कार्य किया जा रहा था तो उसे नोटिस क्यों नही दिया गया व उस पर क्या कार्यवाही की गई । ठेकेदार को इज़के खिलाफ अभी तक कितनी नोटिस दी गई । नगरपालिका के कार्यशैली व लापरवाही का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि अभी तक गौरवपथ निर्माण के दौरान 2 सीएमओ व 4 उपयंत्री को बदल दिया गया है। आखिर क्यों ? यहां तक पूर्व में उच्च विभाग द्वारा कार्यो में लापरवाही बरते जाने के कारण तत्कालीन सीएमओ व उप अभियंता को निलंबित भी किया गया था । सबसे आश्चर्यजनक जनक बात यह है कि नगरपालिका में विभागीय उप अभियंता की नियुक्ति न कर पीडब्ल्यूडी विभाग के उपअभियंता की नियुक्ति की गई है ।

इस प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण विषय यह है कि नगरपालिका अध्यक्ष द्वारा अपने लोगो को फायदा पहुंचाने , कमीशनखोरी व तुष्टीकरण के चलते डिवाइडर की ऊंचाई कम कराई गई , जिसमे ग्रिल लगाने का प्रावधान किया गया , जबरदस्ती खतरनाक ढंग से जगह जगह अनवश्यकरूप से क्रासिंग ( कट ) छोड़ा गया । अब इन खर्चो को बचाने व एडजस्ट करने के लिए ठेकेदार पर दबाव बनाया जा रहा है । ठेकेदार द्वारा इन अतिरिक्त खर्चो की मांग की जा रही है जो कि संभव नही है´
गौरवपथ का निर्माण नगरपालिका के लिए एक बेहतर आय का जरिया बन गया दिखता है ।
कुछ संघटनो ने बताया कि सर्विस रोड व अतिरिक्त नाली का निर्माण जो कि प्राक्कलन में शामिल है यदि इसका निर्माण नही किया गया तो न्यायालय में गौरवपथ निर्माण के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की किये जाने की चर्चा है ।

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