Bhatapara news: मांग नहीं, संकट में मावा बाजार…

मांग नहीं, संकट में मावा बाजार...

घरेलू मांग में जबर्दस्त गिरावट

राजकुमार मल
भाटापारा। लाभ तो दूर, अब लागत की वापसी की चिंता में है मावा बाजार क्योंकि घरेलू उपभोक्ता मांग नहीं के बराबर देखी जा रही है। इसलिए 280 से 300 रुपए प्रति किलो जैसी कीमत बोली जा रही है, फिर भी मांग नहीं है।

मावा बाजार इस बरस बेतरह संकट में है क्योंकि होली महज एक दिन दूर है लेकिन मावा में त्यौहारी मांग लगभग शून्य है। ऐसे में अब लागत की वापसी को लेकर संशय की स्थिति बन रही है। प्रयास अब कीमत कम करके तैयार उत्पादन के विक्रय के हैं लेकिन इसमें भी सफलता मिलती नजर नहीं आ रही है।

महज कुछ घंटों का

महीना, पखवाड़ा, सप्ताह फिर तीन या चार दिन पर सिमटा मावा बाजार, अब महज कुछ घंटे का रह गया है। होली, राखी और दीपावली जैसे बड़े पर्व के दिनों में यह बदलाव इस बार कुछ ज्यादा ही हताश कर रहा है क्योंकि घरेलू मांग में जबरदस्त गिरावट देखी जा रही है। यही वजह है कि लागत की वापसी को लेकर चिंता में है, फिर भी बेहतर की आस लगाए बैठा है।

Related News

घातक यह बदलाव

होली, रक्षाबंधन और दीपावली। घरों में बनते थे मावा के पारंपरिक व्यंजन। पैक्ड मिठाई निर्माता कंपनियों ने अब घरेलू व्यंजन बनाना भी चालू कर दिया है। इसलिए मावा में घरेलू उपभोक्ता मांग तेजी से घट रही है जबकि होटल और स्वीट कॉर्नर पहले से ही मावा की खरीदी कम कर चुके हैं। ऐसे में मावा बाजार बेहतर विकल्प की तलाश में है।

बड़ी वजह यह भी

महंगा होता दूध और परीक्षाओं के बीच पर्व। कमजोर मांग की बड़ी वजह मानी जा रही है। इसलिए हो रही औपचारिक खरीदी से भी राहत नहीं मिल रही है। संकट से निपटने के सीमित विकल्प के बीच अब मावा बाजार नए उपभोक्ता मांग क्षेत्र की तलाश कर रहा है, तो मांग के अनुरूप ही खोवा उत्पादन जैसे उपाय का भी विचार कर रहा है।

Related News