Raipur Breakingमनुष्य में वैज्ञानिक दृष्टिकोण होना है जरूरी
“भारत में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के मुश्किलें” विषय पर वक्तव्य और संवाद कार्यक्रम का आयोजन
Raipur Breaking रायपुर । छत्तीसगढ़ फिल्म एंड विजुअल आर्ट सोसायटी रायपुर की ओर से “भारत में वैज्ञानिक दृष्टिकोण की मुश्किलें” विषय पर वक्तव्य और संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम रविवार को जनमंच सड्डू में आयोजित की गई। इसमें बतौर मुख्य वक्ता प्रख्यात खगोल शास्त्री एवं वैज्ञानिक अमिताभ पांडे शामिल हुए और अपनी बात रखी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ फिल्म एंड विजुअल आर्ट सोसायटी के अध्यक्ष सुभाष मिश्रा ने किया..उन्होंने कहा कि ऐसे दौर में तार्किक होना जरूरी है इस अवसर पर अमिताभ पांडे ने कहा कि हर जगह साइंस मौजूद है इसके बगैर संसार की कल्पना नहीं कर सकते। उन्होंने अपनी बात की शुरुवात विज्ञान क्या है? भारत में वैज्ञानिक दृष्टिकोण की मुश्किलें क्या है इस बात से की…उन्होंने कहा कि वर्तमान में विज्ञान पर भी सवाल उठना शुरू हो गया है… अभी डार्विन जैसे वैज्ञानिक पर भी सवाल खड़े हो गए और उनकी रिसर्च को सिलेबस से गायब कर दिया गया।
यह सवाल किसी साइंटिस्ट ने नहीं बल्कि एक मंत्री ने किया था। इस दौर में विज्ञान के समक्ष ऐसी और भी चुनौतियां हैं…जिससे सभी दो चार हो रहे हैं आगे उन्होंने कहा कि साइंस को समझ पाना बहुत मुश्किल होता है लेकिन लोग साइंस की चीजों को जैसे कार, मोटर,नई टेक्नोलॉजी नए अविष्कार को बहुत सहजता से स्वीकार कर लेते हैं लेकिन जो वैज्ञानिक सोच है इसे समझना या एक्सेप्ट करना बहुत मुश्किल होता है विज्ञान का रास्ता बहुत मुश्किल रास्ता है हमलोगो को यह सोचना होगा की पिछले हजार सालों में साइंस ने क्या दिया और धर्म ने क्या दिया है !
अमिताभ पांडे ने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण ने समाज को बदलने के साथ राजनीतिक दृष्टिकोण को भी बदला है ये देश धर्म से नहीं संविधान से चलेगा। हमें विज्ञान को सीखने और सिखाने में 3 बिन्दुओ पर सोचने की आवश्यकता है इसमें सेकुलरिज्म, डेमोक्रेसी और हुमानिज्म शामिल है अगर हम आज इन्हे खो दिए तो हम कई साल पीछे चले जाएंगे । विज्ञान हमे एक दृष्टिकोण प्रदान करता है जिससे हम तार्किक रूप से देख सकते हैं !
इस अवसर पर प्रख्यात नाट्य निर्देशिका रचना मिश्रा, मशहूर रंगकर्मी शकील साजिद, एशियन न्यूज के मैनेजिंग एडिटर आशीष तिवारी वीआईपी न्यूज के ब्यूरो चीफ बलवीर भारज और जनधारा मीडिया ग्रुप के पत्रकार और कर्मचारी मौजूद रहे।
मनुष्य के विकास की कहानी समझना है जरूरी
अमिताभ पांडे ने कहा कि मनुष्य के विकास की यात्रा काफी पुराना है। आज से 80 लाख साल पहले चिंपाइंजी की प्रजाति अफ्रीका में रहते थे उन्होंने कहा की मनुष्य का विकास बंदर से नहीं बल्कि बंदर के इंसिस्टर चिंपाइंजी से बना है। उन्होंने कहा की इनके भी कई प्रजाति हैं जो एक ही शाखा से निकले हैं जो अलग अलग रूप में विकसित हुए। इसी एक प्रजाति में से इंसान बना है। उन्होंने कहा की पहले भी कई ऐसी चिम्पांजी थे जिनमे मनुष्य जैसे गुण मौजूद थे वे लोग भी एक दूसरे से लड़ाई करते थे इसमें एक चीज यह भी देखा गया कि इस लड़ाई के दौरान फीमेल चिंपैंजी आकर लड़ाई रुकवाने का काम किया करते थे और हाथ में जब पत्थर या कोई अन्य औजार रहता है उसको छीन कर फेंक देते हैं इससे साफ जाहिर होता है कि पहले भी चिंपांजी में मनुष्य के गुण मौजूद थे उन्होंने कहा कि आगे विकास होता गया और फिर यह चिंपांजी पत्थरों से हथियार बनाना शुरू किए फिर आग का आविष्कार भी किया। और धीरे-धीरे मनुष्य बनने की प्रक्रिया शुरू हो गया और आगे चलकर मनुष्य में विकसित हो गए। यह भी एक सतत प्रक्रिया के साथ हुआ है पहले ये हथियार बनाना सीखा उसके बाद उन्हीं हथियार से शिकार करना सीखा । इस बीच उनमें सेंस डेवलप्ड होना शुरू हो गया