Bastar Dussehra: लालबाग मैदान में गूंजी पवनदीप और चेतना की आवाज, जनजातीय संस्कृति ने मन मोहा

अपनी सुरीली आवाज के लिए जाने जाने वाले पवनदीप राजन ने मंच पर केवल गायन ही नहीं किया, बल्कि एक साथ कई वाद्य यंत्रों के कुशल संचालन का भी अद्भुत प्रदर्शन किया। उनके हाथ कभी गिटार और फिर ड्रम्स पर सफाई से थिरकते दिखे, जिससे संगीत का एक मनमोहक समां बंध गया।


       कार्यक्रम की शुरुआत स्कूली और कॉलेज के छात्र-छात्राओं के मनमोहक प्रदर्शनों से हुई, जिन्होंने कला की विविध छटाएँ बिखेरीं। स्वामी विवेकानंद स्कूल के छात्रों ने सरस्वती मंगलाचारण से माहौल को भक्तिमय बनाया, जबकि बिहू (आसामी), समूह नृत्य (ओड़िआ) और वायनाड केरल ट्रायबल डांस जैसी रंगारंग प्रस्तुतियाँ विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं।


इसके बाद, बस्तर की सदियों पुरानी जनजातीय परंपरा मंच पर जीवंत हो उठी। लोकोत्सव के मंच पर लामकेर, बस्तर के कल्लूराम और साथियों ने मिलकर मनोरम गेड़ी नृत्य प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पूरा लालबाग मैदान उस समय तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा, जब कलाकारों ने गेड़ी (बाँस के डंडों) पर संतुलन बनाते हुए, तेज ताल और लय के साथ समूह में नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। उनके पारंपरिक परिधान, ऊर्जा से भरे कदम और शानदार समन्वय ने दर्शकों को बस्तर की माटी और संस्कृति से गहराई से जोड़ दिया। इस नृत्य ने एक बार फिर साबित कर दिया कि बस्तर दशहरा न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह जनजातीय कला और लोक संस्कृति को जीवंत रखने का एक भव्य मंच भी है। कल्लूराम और उनकी टीम ने अपनी कला से लोकोत्सव की शोभा बढ़ाई और बस्तर की सांस्कृतिक विरासत को एक यादगार पहचान दी।


दरभा विकासखंड के छिंदावाड़ा से आए महादेव और उनके साथियों ने अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए धुरवा नाच प्रस्तुत किया। महादेव और उनके समूह ने पारंपरिक परिधानों में सजे-धजे, ढोल-मांदर की थाप पर जिस लय और ताल के साथ यह नृत्य प्रस्तुत किया, उसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। धुरवा नाच की भंगिमाओं और समूह के शानदार समन्वय ने साबित कर दिया कि यह समूह अपनी पैतृक कला में महारत रखता है। उनकी प्रस्तुति ने बस्तर की माटी और यहाँ की जनजातीय कला की जीवंतता को मंच पर उतार दिया।


       कलचा के हायर सेकेंडरी स्कूल के विद्यार्थियों ने अपने शानदार प्रदर्शन से समां बांध दिया। इन युवा कलाकारों ने बस्तर की आदिवासी संस्कृति के गौरव को दर्शाते हुए गौर नृत्य प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। हजारों की संख्या में उपस्थित जनसमूह के बीच, विद्यार्थियों ने पारंपरिक वेशभूषा में सजकर ऊर्जा से भरपूर ताल और लय में यह अनूठा नृत्य प्रस्तुत किया। बस्तर के माड़िया जनजाति का यह पारंपरिक नृत्य, जिसमें नर्तक गौर सींग वाली टोपी पहनते हैं, शौर्य और उत्साह का प्रतीक माना जाता है। विद्यार्थियों के समूह ने अपनी प्रस्तुति के दौरान गौरवशाली परंपरा को जीवंत कर दिया।


संगीत और प्रेरणा से भरी शानदार शाम में सक्षम कलेक्टिव बैंड ने अपने जीवंत प्रदर्शन से हजारों दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। दिव्यांग बच्चों से मिलकर बने इस असाधारण बैंड ने अपनी प्रस्तुति से यह दृढ़ता से साबित कर दिया कि प्रतिभा और हौसला किसी भी शारीरिक सीमा के मोहताज नहीं होते हैं।
      सक्षम कलेक्टिव कोई सामान्य बैंड नहीं है। यह सक्षम स्कूल के होनहार दिव्यांग बच्चों का समूह है, जिसे दंतेवाड़ा जिला प्रशासन और गिटारवाला संस्था द्वारा आयोजित विशेष म्यूजिक वर्कशॉप्स के माध्यम से तराशा गया है। इन बच्चों ने पहले अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए सक्षम कलेक्टिव नाम से एक म्यूजिक एल्बम तैयार किया, जो अब यूट्यूब पर उपलब्ध है और लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।


यूट्यूब पर सफलता के बाद, बच्चों ने अपने आत्मविश्वास को एक नए स्तर पर ले जाते हुए हजारों लोगों की भीड़ के सामने मंच पर कदम रखा। उनका यह जीवंत प्रदर्शन उनके अदम्य आत्म-विश्वास और कड़ी मेहनत का स्पष्ट प्रमाण था। बैंड के सदस्यों ने जिस तालमेल और ऊर्जा के साथ गिटार, कीबोर्ड और गायन प्रस्तुत किया, उसने दर्शकों को खड़े होकर तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।


यह प्रदर्शन न केवल संगीत प्रेमियों के लिए एक यादगार अनुभव था, बल्कि उन सभी लोगों के लिए एक सशक्त संदेश भी था जो जीवन में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। सक्षम कलेक्टिव ने दिखा दिया कि जब सहयोग, अवसर और इच्छाशक्ति मिलती है, तो असंभव कुछ भी नहीं है।


        बस्तर दशहरा लोकोत्सव के मंच पर मंगलवार का दिन ओड़िसी नृत्य की अद्भुत छटा से सज गया। लालबाग मैदान में चल रहे इस भव्य लोकोत्सव में नृत्यांगना विधि सेनगुप्ता ने अपने प्रभावी ओड़िसी नृत्य का प्रदर्शन कर दर्शकों का मन मोह लिया। लोकनृत्य और संस्कृति के इस महासंगम में, विधि सेनगुप्ता की प्रस्तुति ने कला प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

उनके सधे हुए पद संचालन, भावपूर्ण मुद्राओं और ओड़िसी की पारंपरिक गरिमा ने लालबाग के माहौल को और भी सांस्कृतिक और भक्तिमय बना दिया। इस अवसर पर कमिश्नर डोमन सिंह, पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पी., कलेक्टर हरिस एस, सहायक कलेक्टर विपिन दुबे सहित जनप्रतिनिधिगण और बड़ी संख्या में कला प्रेमी दर्शक उपस्थित थे।

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *