अच्छे दिन आएंगे…?
राजकुमार मल
भाटापारा। धान तेज। पोहा में उपभोक्ता मांग सामान्य। फिर भी धीमी गति से चल रही इकाइयों को आस है बेहतर की। यह इसलिए क्योंकि सीजन जैसी खरीदी की संभावना बनती नजर आ रही है।
पोहा क्वालिटी के धान में गर्मी ने दूसरे बरस में प्रवेश कर लिया है। इसी तरह पोहा भी कमजोर मांग के घेरे में आ चुका है लेकिन प्रतिकूल परिस्थितियों से हार नहीं मानी है पोहा उत्पादन करने वाली इकाइयों ने। यही वजह है कि तैयार उत्पादन 4100 से 4500 रुपए क्विंटल जैसी कीमत पर मजबूत है।

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धान गर्म, पोहा ठंडा
पोहा क्वालिटी का महामाया धान न्यूनतम 2500 रुपए क्विंटल। अधिकतम 2750 रुपए क्विंटल। पोहा 4100 से 4500 रुपए क्विंटल। लाभप्रद नहीं मानी जा रही है पोहा की यह कीमत। रही- सही कसर प्रतिस्पर्धी पोहा उत्पादक राज्य पूरी कर रहे हैं, जिनका उत्पादन अपेक्षाकृत कम कीमत पर मिल रहा है। इस तरह दोतरफा संकट का सामना कर रहीं हैं इकाईयां।
बेहतर की आस इसलिए
कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना। पोहा मिलों के लिए सहारा बने हुए हैं। गुणवत्ता को प्राथमिकता देने वाले यह उपभोक्ता राज्य जिस मात्रा में पोहा की खरीदी कर रहे हैं, उससे इकाइयों से बेहतर और ज्यादा मांग का विश्वास है। इसके अलावा नए उपभोक्ता की खोज किए जाने की कोशिश से इकाइयों ने जारी रखी हुई हैं।
प्रतीक्षा रबी फसल की
बेहतर की धारणा के बीच अब इकाईयां रबी फसल की आवक की प्रतीक्षा कर रहीं हैं। बारिश के दिनों के लिए अग्रिम भंडारण के लिए तैयार इकाइयों को भरोसा है कि प्रति क्विंटल रबी फसल की धान की कीमत क्रय शक्ति के भीतर ही होगी, जो पोहा उत्पादन लागत कम करने में मदद करेगी। इसलिए उत्पादक और आवक वाले क्षेत्र से पूछ-परख चालू कर दी है।
सुधार की ओर
पोहा क्वालिटी का धान बेहद तेज है। नियमित संचालन में दिक्कत भी बनी हुई है लेकिन पोहा की मांग में अब सुधार आता नजर आ रहा है।
रंजीत दावानी
अध्यक्ष, पोहा मुरमुरा निर्माता कल्याण समिति, भाटापारा