Poha mills- कल से पोहा मिलों का संचालन बंद

 बढ़ रही लागत, घट रहा लाभ

राजकुमार मल
भाटापारा। 22 नवंबर से पोहा मिलों का संचालन बंद। लंबे समय से चल रहे विचार पर आखिरकार फैसला ले लिया गया।
पोहा मुरमुरा निर्माता कल्याण समिति के लिए आसान नहीं था यह पीड़ादायक फैसला लेना लेकिन पोहा उत्पादन में बढ़ती लागत और तैयार पोहा को प्रतिस्पर्धी खरीदी का सामना करने में जैसी परेशानी आ रही है, उसे देखते हुए फौरी राहत के मद्देनजर अस्थाई तौर पर संचालन बंद करने का फैसला लेना पड़ा। संचालन सामान्य कब होगा ? जैसे सवाल के जवाब फिलहाल नहीं मिल रहे हैं।


बड़ी वजह धान का महंगा होना
पोहा में अंतरप्रांतीय कारोबार की वजह से नियमित उत्पादन के लिए बड़ी मात्रा में पोहा क्वालिटी के धान की जरूरत होती है। ऐसे में प्रतिस्पर्धी खरीदी का माहौल लगातार बना हुआ है। लिहाजा इकाइयों को 2500 से 2650 रुपए जैसी उच्चतम कीमत पर धान की खरीदी करनी पड़ रही है। जबकि अन्य राज्यों में पोहा क्वालिटी का धान तुलनात्मक रूप से कीमत में काफी कम है।
इसलिए प्रतिस्पर्धा
गुणवत्ता में भले ही अव्वल है शहर का पोहा लेकिन 4300-4500 रुपए क्विंटल जैसी कीमत उपभोक्ता राज्यों में बहुत ज्यादा मानी जा रही है क्योंकि गुजरात के नवसारी में तैयार हो रहा पोहा 4100-4200 रुपए क्विंटल पर आसानी से उपलब्ध हो रहा है। ऐसे में स्वाभाविक तौर पर प्रतिस्पर्धा से बाहर हो चली हैं शहर की पोहा उत्पादन करने वाली ईकाइयां। स्थानीय मांग वैसे भी नहीं के बराबर है। इसलिए संचालन अस्थाई तौर पर बंद करने का फैसला लेना पड़ा।

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यह नियमित
पोहा मुरमुरा निर्माता कल्याण समिति ने स्पष्ट किया है कि मिलों का परिचालन भले ही बंद रहेगा लेकिन धान की खरीदी सामान्य दिनों की भांति चलती रहेगी। साथ ही पोहा में स्टॉक रहते तक स्थानीय और अंतरप्रांतीय कारोबार भी जारी रहेगा। परिचालन सामान्य कब तक हो पाएगा ? जैसे सवाल के जवाब फिलहाल किसी से मिल नहीं रहे।

तैयार उत्पादन को उपभोक्ता राज्यों में कम कीमत वाले पोहा की उपलब्धता से कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है। स्थिति गंभीर होता देखकर पोहा मिलों का संचालन अस्थाई तौर पर अगले आदेश तक बंद किया जा रहा है।
रंजीत दावानी
अध्यक्ष, पोहा मुरमुरा निर्माता कल्याण समिति, भाटापारा

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