भारत में 6जी संचार सेवाओं की शुरुआत

भारत की डिजिटल यात्रा बीते एक दशक में अद्भुुत रही है। 2016 में जब देश में 4 जी सेवाएं व्यापक रूप से आईं, तब इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 30 करोड़ थी। आज 2025 में यह संख्या 88 करोड़ से अधिक हो चुकी है। 5जी की शुरुआत अक्टूबर 2022 में हुई और अभी तक करीब 15 करोड़ से अधिक उपभोक्ता 5 जी नेटवर्क से जुड़े हैं। इसी पृष्ठभूमि में 6जी विजन डॉक्यूमेंट का विमोचन भारत की तकनीकी महत्वाकांक्षा का प्रतीक है।
6 जी तकनीक की क्षमता असाधारण है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसकी इंटरनेट गति 1 टेराबिट प्रति सेकंड तक पहुंच सकती है, जो 5 जी से लगभग 1000 गुना तेज होगी। यह न केवल मोबाइल डेटा, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग और रक्षा के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। उदाहरण के लिए, टेलीसर्जरी में मिलीसेकंड की देरी भी खतरनाक हो सकती है, लेकिन 6 जी के अल्ट्रा-लो लेटेंसी नेटवर्क से यह समस्या खत्म होगी।
भारत सरकार ने ‘भारत 6 जी मिशन के तहत 2030 तक 6 जी सेवाओं को लाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए 6जी टेस्ट बेड की स्थापना और ‘भारत 6 जी एलायंस का गठन किया गया है। इसमें 100 से अधिक संस्थान, शोध केंद्र और कंपनियां शामिल हैं। सरकार ने 6जी अनुसंधान एवं विकास के लिए शुरुआती चरण में 240 करोड़ रुपये की राशि आबंटित की है।
भारत की तकनीकी शक्ति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज देश डेटा खपत में दुनिया का नंबर एक उपभोक्ता है। प्रति व्यक्ति औसतन 20 जीबी से अधिक मोबाइल डेटा हर माह उपयोग किया जा रहा है। ऐसे में 6 जी भारत को वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था का अग्रणी बना सकता है।
हालांकि, चुनौतियां भी गंभीर हैं। ग्रामीण भारत में अभी भी 30 प्रतिशत आबादी इंटरनेट से पूरी तरह जुड़ी नहीं है। 6 जी जैसी हाई-एंड तकनीक यदि केवल शहरों तक सीमित रह गई तो यह डिजिटल खाई और चौड़ी कर देगी। इसके अलावा साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता की चुनौतियां भी दोगुनी होंगी।
फिर भी, भारत ने इस बार तकनीकी क्रांति की अगली लहर को समय रहते पकडऩे का फैसला किया है। अगर 6 जी को समावेशी और सुरक्षित तरीके से लागू किया गया तो यह न केवल भारत को डिजिटल महाशक्ति बनाएगा, बल्कि शिक्षा और रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा। 2030 में जब भारत 6 जी के साथ दुनिया के सामने खड़ा होगा, तो यह उसकी आत्मनिर्भरता, नवाचार और वैश्विक नेतृत्व का प्रमाण होगा।

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