रायपुर: मुक्तिबोध राष्ट्रीय नाट्य समारोह का समापन संगीतमय प्रस्तुतियों के साथ हो गया. रंग मंदिर में 5 दिन तक नाट्य प्रस्तुतियों का रंग बिखरा रहा. देश भर से आए कलाकारों ने अपने प्रदर्शन से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया.

पांचवे और अंतिम दिन की शुरुआत रस संगीत की संगीतमयी कविता प्रस्तुतियों से हुई. जिसमें देश के जाने माने कवियों की कविताओं का गायन किया गया.
इसके बाद युवा रंगकर्मी और लेखक सौरभ अनंत द्वारा लिखित एवं निर्देशित संगीतमय नाटक ‘गांधी गाथा’ का 15 वा मंचन किया गया। भोपाल के विहान ड्रामा वर्क्स का यह नाटक महात्मा गांधी की जीवन यात्रा को एक अनूठे संगीतमय रूप के माध्यम से दर्शकों के समक्ष लाया.
महात्मा गांधी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के उन नेताओं में से एक थे, जिन्होंने सत्य और अहिंसा के बल पर पूरे देश को एक सूत्र में पिरोया। अत्याचारी ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने वाली उनकी वाणी देशवासियों के लिए स्वतंत्रता का मंत्र बन गई। गांधीजी न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि उत्कृष्ट दूरदर्शी और विचारक भी थे, जो मानव जीवन को आत्मनिर्भर, स्वतंत्र एवं आनंदमय बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे। उनके विचार आज भी वर्तमान भारत की नींव में जीवंत हैं।

‘गांधी गाथा’ एक संगीतमय प्रस्तुति है, जिसमें बापू के बचपन से लेकर महानिर्वाण तक की पूरी जीवन यात्रा को संजोया गया है। यह नाटक एक कहानी के साथ-साथ संगीतमय रूपक भी है, जिसमें कलाकार गांधीजी की यात्रा को गीत-संगीत के माध्यम से जीवंत करते हैं और विभिन्न पात्रों की भूमिकाएं निभाते हैं। यह प्रस्तुति गांधीजी के महान बलिदान को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती है।

विहान ड्रामा वर्क्स के अनुसार, नाटक का संगीत मात्र गीत गायन नहीं, बल्कि कथानक में एक चरित्र की तरह शामिल होता है। ध्वनियां भाव, प्रतिक्रिया या परिवेश बनकर उभरती हैं। गीत संवाद की भूमिका निभाते हैं और संवाद अचानक गायन में बदल जाते हैं। संगीत कथा को गति प्रदान करता है, रस उत्पन्न करता है तथा दृश्यों के बीच सेतु का कार्य करता है। विहान की यह प्रस्तुति विभिन्न स्थानों की ध्वनियों, प्रकृति और जीवन के विविध रंगों को समेटे हुए है।
राष्ट्रीय मुक्तिबोध नाट्य समारोह के माध्यम से दर्शकों को गांधीवादी विचारों की प्रासंगिकता से रूबरू होने का अवसर मिला।
नाट्य समारोह के दौरान जाने-माने चित्रकार श्री अवधेश वाजपई की प्रदर्शित कलाकृतियाँ और राजधानी रायपुर की सात महिला चित्रकारों क्रमशः जया भागवानी, सुनीता द्विवेदी, डॉ. मोनिका अग्रवाल, डॉ. इन्दु अग्रवाल, डॉ. किरण अग्रवाल, इन्दु चटर्जी, सुजाता देशमुख, एवं अनुष्का चक्रवर्ती के चित्रों की प्रदर्शनी ने समारोह मे साहित्य का समा बांधे रखा।

नाटक के दर्शकों के साथ साथ बुक स्टॉल पर भी पाठकों का अच्छा जमावड़ा दिखा और समारोह मे नए एवं युवा कलाकारों के लिए ओपेन माइक के आयोजन ने समारोह मे चार चांद लगाते हुए दर्शको को अपनी कला के प्रदर्शन का भरपूर मौका दिया गया |
समारोह में अपनी चित्रकला की प्रदर्शनी लगाने वाले चित्रकारों को सम्मानित किया गया. इसके साथ ही आयोजन में सहयोग करने लिए आयोजन टीम के साथियों को भी प्रमाणपत्र दे कर सम्मानित किया गया.