Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – हर वर्ग के हमदर्द ‘रतन’

Editor-in-Chief

-सुभाष मिश्र 

रतन टाटा भारतीय उद्योगपति थे, जिन्होंने टाटा समूह और टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वे भारत की सबसे बड़ी व्यापारिक इकाई, टाटा समूह के 1991 से 2012 तक अध्यक्ष थे। इसके अतिरिक्त अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक वे समूह के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर विस्तार किया और कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए। 2000 में तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण प्राप्त करने के बाद 2008 में उन्हें भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण मिला। उम्र संबंधी बीमारी के कारण 2024 में उनकी मृत्यु हो गई। रतन टाटा, नवल टाटा के पुत्र थे, जिन्हें रतनजी टाटा ने गोद लिया था। रतन टाटा, जमशेदजी टाटा के पुत्र और टाटा समूह के संस्थापक थे। उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर से आर्किटेक्चर में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने 1961 में टाटा समूह में शामिल होकर टाटा स्टील के वर्क फ्लोर पर काम किया। बाद में, 1991 में जेआरडी टाटा के सेवानिवृत्त होने पर टाटा संस के अध्यक्ष बने। उनके कार्यकाल के दौरान टाटा समूह ने टेटली, जगुआर लैंड रोवर और कोरस का अधिग्रहण किया, जिसका उद्देश्य टाटा को एक बड़े पैमाने पर भारत-केंद्रित समूह से वैश्विक व्यवसाय में परिवर्तित करना था। टाटा एक समाजसेवी व्यक्ति भी थे। टाटा एक निवेशक थे और उन्होंने 30 से अधिक स्टार्ट-अप में निवेश किया, जिनमें से अधिकांश व्यक्तिगत क्षमता में और कुछ अपनी निवेश कंपनी के माध्यम से किए।
उद्योगपति रतन टाटा नहीं रहे, यह बहुत बड़ी घटना है। वे जिस ऊंचाई पर थे, उनकी जो सामाजिक दृष्टि थी, देश और विश्व को देखने का नज़रिया था, अपने कर्मचारियों के लिए जो सोच थी उसका अंदाजा भी हम पूरी तरह से नहीं लगा सकते। सचमुच उनके रहते हम अपने को कितना धनी समझते रहे। मेरे बेटे को अहमदाबाद एयरपोर्ट पर मालूम हुआ कि रतन टाटा भी वहां है। उस वक्त वह उनका एम्पलाई था। उनसे मिलने की इच्छा थी। डाग स्क्वायर्ड सहित सुरक्षा बहुत कड़ी थी। बेटे कुशाग्र ने सुरक्षा अधिकारी से बात की कि वह टाटा से मिलना चाहता है। अधिकारी हां या ना कहे इतने में रतन टाटा की नजर पड़ी और उन्होंने इशारा किया कि आने दें। अहमदाबाद एयर पोर्ट पर मुलाकात हुई। उन्होंने बेटे से पूछा वह कहा कार्यरत हैं। उस वक्त वह मुंबई में था। रतन टाटा ने कहा कि काम का जज्बा बनाये रखें। कुशाग्र ने कहा, क्या आपके साथ एक फोटो हो सकती है। रतन टाटा ने कहा, प्लीज़ डू इट क्वीकली। हालांकि, यह सारा संवाद अंग्रेजी में हुआ। मुझे याद आ रहा है कि एक बार उनसे पूछा, आपके जीवन का अविस्मरणीय क्षण तो रतन टाटा ने कहा कि अमेरिका में जब एक अश्वेत महिला गांधीजी की प्रतिमा की तरफ इशारा करते अपने बेटे को कह रही थी, इन्हें प्रणाम करो ये हमारे गुरु मार्टिन लुथर किंग के गुरु हैं। प्रिंस चाल्र्स ने जब उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड घोषित किया तो उसे लेने वे लंदन नहीं गये। उनके सेक्रेटरी सुहेल सेठ लंदन पहुंचे तो देखा रतन टाटा के एकाधिक मिस काल है। उन्होंने रतन टाटा को काल किया तो रतन टाटा ने कहा वे अवार्ड लेने नहीं आ पायेंगे, क्योंकि उनके प्यारे डाग टेंगो और टीटो बीमार हैं।
28 दिसंबर 1937 में जन्मे रतन टाटा का पालन-पोषण 1948 में उनके माता-पिता के अलग होने के बाद उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया था। रतन टाटा साल 1962 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से बी.आर्क की डिग्री प्राप्त की थी। 1962 के अंत में भारत लौटने से पहले उन्होंने लॉस एंजिल्स में जोन्स और इमन्स के साथ कुछ समय काम किया। 2008 में भारत सरकार ने उन्हें देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण प्रदान किया था। वह 28 दिसंबर 2012 को टाटा संस के चेयरमैन के रूप में रिटायर हुए थे। रतन टाटा का सफर एक प्रेरणादायक कहानी है जो उनकी दूरदर्शिता, मेहनत और नेतृत्व कौशल को दर्शाता है। रतन टाटा की उल्लेखनीय यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने साल 1991 में ऑटोमोबाइल से लेकर स्टील तक के विभिन्न उद्योगों में फैले टाटा समूह की बागडोर संभाली। साल 1996 में उन्होंने टाटा टेली-सर्विसेज की स्थापना की और 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) को सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध करवाया, जो कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। टेटली टाटा टी द्वारा 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर में ब्रिटिश चाय कंपनी टेटली का अधिग्रहण किया गया। यह भारतीय कंपनी का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण था। टाटा स्टील ने 6.2 बिलियन पाउंड में यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनी कोरस का अधिग्रहण किया।

यह भारतीय स्टील उद्योग का अब तक का सबसे बड़ा सौदा था। टाटा मोटर्स ने 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में प्रतिष्ठित ब्रिटिश कार ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण किया। यह सौदा टाटा मोटर्स के लिए एक बड़ी सफलता साबित हुई और कंपनी को वैश्विक ऑटोमोबाइल बाजार में मजबूती दी।
देश के दिग्गज टाटा समूह के कर्ता-धर्ता और शीर्ष उद्योग पुरुष रतन टाटा ने कुछ समय पहले मुंबई में अंतिम सांस ली! सभी उद्योगपतियों से अल्हदा छवि रखने वाले हर वर्ग के हमदर्द, हर एक के प्रिय और आदर्श व्यक्तित्व के धनी रतन जी 86 वर्ष के थे। बिड़ला समूह से भी पहले देश के तमाम बड़े उत्पाद टाटा की देन थे। अपने सैकड़ों कारखानों में देश के लाखों लोगों को रोजगार दिया। आज भी लाखों परिवार उनकी नई पीढ़ी टाटा समूह की वजह से जीवन में सफलता अर्जित कर रहे हैं। आज के स्वार्थी उद्योगपतियों से कहीं अलग रतन टाटा ने समाजसेवा में भी अपना सर्वश्रेष्ठ ही दिया और निर्विवाद रहे। रतन जी को दिल से नमन..विनम्र श्रद्धांजलि। 86 वर्षीय रतन टाटा बहुत ही सुलझे हुए और समर्पित इंसान थे। उन्होंने टाटा समूह में दान की जिस परंपरा की नींव रखी। उसने लाखों लोगों की जि़ंदगी को संवारा। भारत को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठित करने वालों में रतन जी सर्वोपरि थे। अरबपति होन

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