Janmanch-जनमंच, सड्डू में आधी आबादी का काव्य कोलाज की नाट्य प्रस्तुति

वर्कशॉप का समापन

रायपुर। रसोई से रंगमंच तक 20 दिनों का ये थियेटर वर्कशाप महिलाओं के लिए आयोजित किया गया। इसमें 7 साल से लेकर 60 साल तक की महिलाओं ने हिस्सा लिया। जिसमें कई तरह की एक्सरसाइज के जरिए स्वयं को अभिव्यक्त करना सीखा।

स्वर का उतार चढ़ाव , शारीरिक भंगिमाएं, स्टेज क्राफ्ट, कैरेक्टराइजेशन ये सब कुछ सीखना महिलाओं के लिए एक अलग ही अनुभव रहा।

जनमंच, सड्डू में वर्कशॉप के समापन अवसर पर आधी आबादी का काव्य कोलाज (रसोई से रंगमंच) की नाट्य प्रस्तुति हुई। इसका लेखन निर्देशन सुमेधा अग्रश्री कहा रहा। ये प्रस्तुति 17 कविताओं और गीतों का नाटय रूपांतरण है। इन कविताओं मे महिलाओं के अलग-अलग मनोभावों को उकेरा गया है।

रानी अहिल्या बाई होल्कर जयंती पर अग्रज नाट्य दल उक्त नाट्य प्रस्तुति दी गई। इस दौरान प्रतिभागियों कलाकारों भुवनेश्वरी साहू, डॉ. हेमकुमारी राठौर, साम्भवी साहू, अपर्णा विश्वास, प्यारी वर्मा, प्रियंका पडोले, हरीतिमा अग्रवाल, वाणी करवंदे, अरुषि वर्मा, प्रियंका वर्मा, रीना मिश्रा, अनया पडोले ने अपनी प्रस्तुति दी।

कुछ पंक्तियां
बेशक पत्थरों पर
कालजयी इबारतें लिखी जा सकती हैं
लेकिन मै छेनी नही कलम हूँ
मुझे जानने के लिए
तुम्हे कागज़ होना पड़ेगा।
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धीरे-धीरे पकती हैं
तानो, उलाहनों, तिरस्कार
अवहेलना की भट्टी पर
जो झुलस जाती हैं
वो लड़की ही रह जाती हैं।
जो तप जाती हैं
वो ईश्वर द्वारा धरती को दी गयी पुरौनी हैं।
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दाल सब्जी नमक मसाले से ज्यादा कुछ नही है कविता
जरा मात्रा बिगड़ी
कि बेस्वाद
शुक है बेटियों ने कविता लिखना मंजूर किया
वर्ना कितनी बेस्वाद होती प्रकृति की रसोई
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शब्द फूल हो सकते हैं
पर अपने लहज़े से
उसे पत्थर बना दिया हमने।
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एक पड़ाव पर
विकारों से भागते-भागते
जब मन बनाया
तो पाया
संघर्ष के लायक नही रहे हम
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सभी कविताएं सुमेधा अग्रश्री के काव्य संग्रह पुरौनी से ली गईं हैं।
इस प्रस्तुति को रानी अहिल्या बाई होल्कर को समर्पित किया गया।