दिपेश रोहिला
Pathalgaon latest news : 4 दशकों से सिद्धिविनायक की प्रतिमा का कर रहे निर्माण
Pathalgaon latest news : पत्थलगांव । यूं तो अयोध्या में भगवान श्रीराम वृंदावन में श्री राधा कृष्ण और महाराष्ट्र के मुंबई में लाल बाग के राजा भगवान श्री गणेश की मनमोहक प्रतिमा विश्व विख्यात है। मगर छत्तीसगढ़ में जशपुर जिले के पत्थलगांव की बात करें तो यहां गणेश चतुर्थी को ध्यान पर रखते हुए प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी शहर में जगह जगह मूर्तियां विराजित की गई है। यहां खास बात यह है कि शहर के एक मूर्तिकार ने गौरीपुत्र भगवान श्री गणेश की ऐसी मनमोहक प्रतिमा का अपने हाथों निर्माण किया है जिसे देखने के बाद लोगों की निगाहें मूर्ति पर टिकी की टिकी रह जाती है।
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उल्लेखनीय है कि पत्थलगांव के अधिवक्ता बसंत शर्मा द्वारा बीते 4 दशकों से हर साल गणेश चतुर्थी के 1 महीने पूर्व से ही मूर्ति को आकार देना शुरू कर दिया जाता है। दरअसल सुबह से शाम तक न्यायालय में उपस्थित होकर नोटरी एवं अन्य कार्यों में लगे रहने के बावजूद इनके द्वारा समय निकालकर शानदार गणेश प्रतिमा का निर्माण किया जाता है और स्वयं के घर पर ही श्री गणेश की मूर्ति को विधि–विधान पूर्वक पूजा अर्चना के पश्चात विराजित किया जाता है। जिसे देखने प्रतिदिन लोगों की भारी भीड़ पहुंच रही है।
मूर्तिकार बसंत शर्मा के कला की बात करें तो इनके द्वारा एक ऐसी मूर्ति बनाई जाती है जो की पत्थलगांव सहित पूरे जशपुर जिले ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में ऐसी मूर्ति का निर्माण शायद ही किसी भी मूर्तिकार द्वारा किया जाता होगा। मूर्ति में आकर्षण की बात करें तो तरह–तरह की मोतियां, स्टोन एवं मनमोहक वस्त्रों से प्रतिमा की साज–सज्जा की जाती है। वहीं आसपास के लोगों का कहना है कि मूर्ति देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे स्वयं ही श्री गणेश स्वर्ग से आकर यहां विराजमान हो चुके हो। उनका कहना है कि प्रातः एवं संध्या को यहां भव्य तरीके से आरती की जाती है। वहीं कई वर्षों के चली आ रही परंपरा के अनुसार 10वें दिन विघ्नहर्ता की प्रतिमा को पत्थलगांव के किलकिलेश्वर धाम में बड़े ही धूमधाम से विसर्जन किया जाता है।
Pathalgaon latest news : अधिवक्ता एवं मूर्तिकार बसंत शर्मा ने बताया कि प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी मूर्ति का निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा कि छोटी सी उम्र में ही भगवान श्री गणेश के प्रति अत्यंत ही श्रद्धा की भावना थी। जिसे लेकर मैंने मूर्ति निर्माण करने की कोशिश की। शुरुआत में मूर्ति की सुंदरता को लेकर हृदय में ऐसी कोई बात नहीं थी। मगर प्रत्येक वर्ष मूर्ति के निर्माण करने पर धीरे धीरे मुझे आभास हुआ कि किस प्रकार की कलाकृति श्री गणेश को देनी चाहिए।