NRLM officer: हाईकोर्ट ने एनआरएलएम अफसर के ट्रांसफर पर लगाई रोक

हाईकोर्ट ने एनआरएलएम अफसर के ट्रांसफर पर लगाई रोक

बगैर सहमति के दी प्रतिनियुक्ति, पति-पत्नी की एक साथ पोस्टिंग नियमों को किया दरकिनार, बूढ़े माता-पिता भी है बीमार

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने मानवीयता को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के एक अधिकारी के ट्रांसफर आदेश पर रोक लगा दी है। दरअसल, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने नियमों को दरकिनार कर उन्हें प्रतिनियुक्ति देते हुए तबादला कर दिया है। जबकि, उनकी पत्नी भी शासकीय कर्मचारी हैं। वहीं, बूढ़े-माता-पिता भी बीमार है। जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच ने ट्रांसफर आदेश पर रोक लगाते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को नोटस जारी कर जवाब मांगा है।

चंद्रप्रकाश पात्रे की नियुक्ति मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर हुई थी, जिसके बाद वर्ष 2023 में मुख्य कार्यपालन अधिकारी से पदोन्नत कर उन्हें उपायुक्त बना दिया गया और उनकी पदस्थापना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन नया रायपुर की गई। बीते 14 अक्टूबर को उनका स्थानांतरण जिला पंचायत कांकेर में परियोजना अधिकारी के पद पर कर दिया गया। जिसके खिलाफ उन्होंने अपने एडवोकेट मतीन सिद्दीकी और नरेंद्र मेहेर के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
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नियमों को दरकिनार कर प्रतिनियुक्ति देकर किया तबादला
याचिका में बताया गया है कि याचिकाकर्ता का मूल पद उपायुक्त का है। 6 मार्च 2024 को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने आदेश जारी कर स्पष्ट किया था कि परियोजना अधिकारी का पद प्रतिनियुक्ति से भरा जाएगा। ऐसे में उन्हें प्रतिनियुक्ति पर भेजने से पहले कोई सहमति नहीं ली गई है। जबकि, प्रतिनियुक्ति के लिए संबंधित अधिकारी-कर्मचारी की सहमति जरूरी है।

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पत्नी हैं शासकीय कर्मचारी, माता-पिता बीमार
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उनकी पत्नी बेमेतरा में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में डाटा एंट्री आपरेटर के पद पर कार्यरत हैं और उनका आठ महीने का बच्चा है। शासन के नियमानुसार पति-पत्नी की पोस्टिंग उनकी सुविधाओं के अनुसार किया जाना है। इसके साथ ही उनके पिता को पैरालिसिस है और एक किडनी भी खराब है। वहीं, उनकी मां का पैर दुर्घटना में तीन जगहों से फैक्चर हो गया है, जिसका इलाज चल रहा है। ऐसे में मानवीयता के आधार पर उन्होंने ट्रांसफर आदेश निरस्त करने की मांग की है।

हाईकोर्ट ने दिखाई संवेदनशीलता
इस मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच में हुई। उन्होंने याचिकाकर्ता की समस्याओं को गंभीरता से लिया है। साथ ही मानवीय पहलुओं को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन के स्थानांतरण आदेश पर रोक लगा दी। साथ ही मामले में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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