New CM: चौंकाने वाला होगा दिल्ली के नए सीएम का नाम, पहली बार विधायक बने कई चेहरों पर मंथन जारी

चौंकाने वाला होगा दिल्ली के नए सीएम का नाम, पहली बार विधायक बने कई चेहरों पर मंथन जारी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी दौरा खत्म कर वतन वापसी कर चुके हैं और दिल्ली की नई सरकार के लिए संभावित चेहरों पर उनके साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। इसके बाद ही अंतिम नाम पर फैसला लिया जाएगा। वहीं खबर यह है कि नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 19 या 20 फरवरी को होने की संभावना है। जल्द ही भाजपा विधायक दल की बैठक के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। सरकार गठन से पहले जल्द ही भाजपा विधायक दल की बैठक होगी। शपथ ग्रहण समारोह के बाद 20 फरवरी तक नई सरकार का गठन हो जाएगा। राजौरी गार्डन से जीते मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि जल्द ही दिल्ली के नए सीएम को लेकर फैसला लिया जाएगा।
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सीएम पद के लिए कोई होड़ नहीं: अभय वर्मा
वहीं लक्ष्मी नगर सीट से दूसरी बार विधायक बने अभय वर्मा ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए कोई होड़ नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी में विधायकों की बैठक में मुख्यमंत्री या विधायक दल के नेता का चुनाव किया जाता है। पूर्वांचली वर्मा को भी दिल्ली सरकार के शीर्ष पद के लिए संभावित उम्मीदवार के रूप में चर्चा में रखा जा रहा है।

इन नामों पर हो रही प्रमुखता से चर्चा
दिल्ली के सीएम पद के लिए जिन चेहरों पर प्रमुखता से बात हो रही है उनमें प्रवेश वर्मा और विजेंद्र गुप्ता शामिल हैं। वहीं, खबर यह भी है कि सीएम पद के लिए दिल्ली से पहली चुनाव जीतनेवाले चेहरे पर भी नजर रखी जा रही है। इस तरह देखें तो फिलहाल जिन नामों की चर्चा मुख्यमंत्री को लेकर हो रही है, उनमें शालीमार बाग से विधायक रेखा गुप्ता, ग्रेटर कैलाश से विधायक शिखा राय, मुस्तफाबाद से विधायक मोहन सिंह बिष्ट, मालवीय नगर से विधायक सतीश उपाध्याय, जनकपुरी से विधायक आशीष सूद और उत्तम नगर सीट से जीते पवन शर्मा शामिल हैं।

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नए सीएम का चुनाव 48 विधायकों में से ही: बिष्ट
छठी बार विधायक बने मोहन सिंह बिष्ट ने कहा कि दिल्ली के नए मुख्यमंत्री का चुनाव 48 भाजपा विधायकों में से किया जाएगा। मुस्तफाबाद विधायक ने अल्पसंख्यक बहुल निर्वाचन क्षेत्र का नाम बदलकर शिव विहार या शिव पुरी करने के अपने प्रस्ताव को भी दोहराया। वरिष्ठ भाजपा विधायक ने कहा कि एक समुदाय (अल्पसंख्यक) के लगभग 42 प्रतिशत लोग हैं और दूसरी ओर 58 प्रतिशत लोग (हिंदू) हैं।इसलिए, जनता की भावना का सम्मान किया जाना चाहिए।

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