मां की ममता…बच्चों को हाथी के हमले से बचाया… खुद दे दी जान

घटना के संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि इतवरिया (पति हरि सिंह) नाम की महिला अपनी दो बेटियों, जानकी (उम्र 4 वर्ष) और रामकली (उम्र 2 वर्ष) के साथ घर के अंदर सो रही थी। रात करीब 9 बजे अचानक एक हाथी उनके घर को तोड़ने लगा। जैसे ही इतवरिया ने देखा कि हाथी घर पर हमला कर रहा है, उसने तत्काल अपनी दोनों सो रही बेटियों को गोद में उठाया और घर के बाहर भागी।

इस दौरान हाथी ने इतवरिया पर हमला कर दिया। मां ने मौत को सामने देखकर भी हिम्मत नहीं हारी और अपने बच्चों को गोदी से दूर फेंक दिया ताकि वे सुरक्षित रह सकें, लेकिन वह खुद हाथी की चपेट में आ गईं। घटनास्थल पर ही महिला की दर्दनाक मौत हो गई। घटना वाली रात इतवरिया के पति हरि सिंह और उनका बड़ा बेटा अपनी रिश्तेदारी में गए हुए थे, जिससे घर में केवल मां और दोनों बच्चियां ही थीं।

घटना की सूचना ग्रामीणों द्वारा तत्काल पार्क परिक्षेत्र जनकपुर को दी गई। सूचना मिलने पर वन विभाग के कर्मी घटनास्थल पर पहुंचे और घायल बच्चों को इलाज के लिए जनकपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। चार वर्षीय जानकी के दाहिने पैर में फ्रैक्चर आया है, जिसे बेहतर उपचार के लिए आज सुबह जिला चिकित्सालय रेफर किया जाएगा। वहीं, छोटी बच्ची रामकली को मामूली चोटें आई थीं और उसे घर भेज दिया गया है।

इस घटना को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में वन विभाग के प्रति गहरा आक्रोश देखने को मिल रहा है। ग्रामीण शंकर सिंह, श्रीलालसाय सिंह और सुनील सिंह बालंद ने बताया कि इस पार्क परिक्षेत्र में हाथियों के आने की सूचना कभी भी ग्रामीणों को समय पर नहीं दी जाती है और न ही मुनादी (सार्वजनिक घोषणा) कराई जाती है। उनका आरोप है कि वन कर्मचारी केवल घटना होने के बाद ही मौके पर पहुंचते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि निगरानी दल ने हाथियों की सही तरीके से निगरानी की होती और उनके आने की पूर्व सूचना दे दी होती, तो इस गंभीर हादसे को टाला जा सकता था। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि इसी हाथी ने 1 अक्टूबर की रात को भी चार घरों को नुकसान पहुंचाया था, जो क्षेत्र में हाथियों के लगातार बढ़ते खतरे को दर्शाता है।

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