Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – मोदी मैजिक, मिथक और मौका 

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

आपदा में अवसर खोजने की कला कोई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सीखे। कोरोना से जूझते देश को ताली-थाली बजाकर भयमुक्त करने की बात हो या फिर रातों-रात नोटबंदी करके कालाधन लाने का आश्वासन हो, या कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का निर्णय हो या स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से पूरे देश का सकारात्मक अभियान से जोडऩे की बात हो। सबमे मोदी का मैजिक है। बहुत से लोगों के लिए किसी मिथक के नायक की तरह हैं। अपने तीसरे कार्यकाल में प्रधानमन्त्री आवास की बात हो या 2047 तक विकसित भारत के सपने को सच की तरह प्रस्तुत करने की बात हो, मोदीजी ही मोदीजी छाए हुए हैं। हाल में ही हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा की जगह मोदी की गारंटी का नारा बुलंद रहा। दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का दावा करने वाली भाजपा के आज सबसे लोकप्रिय और ताकतवर नेता हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आज जन्मदिन है। इस जन्मदिन को पूरे देश में अलग-अलग तरह से मनाया जा रहा है। आज ही मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे हो गए हैं तो 100 दिन की उपलब्धियों की भी बातचीत हो रही है। बहुत से जगहों पर प्रदर्शनी लगाई गई है। इन प्रदर्शनियों में मोदी जी उपलब्धियां दिखाई गई हैं। हम इसको इस तरह भी कह सकते है कि एक मोदी मैजिक और एक है मिथक। मिथक लिखने वाले अलग-अलग कथाकार अपनी कहानियों में नायक और दूसरे पात्र को अलग-अलग रूप में प्रस्तुत करते हैं और उनके बारे बताते हैं कि किसी ने क्या-क्या किया। उदाहरण के लिए रामराज्य की बात करते-करते जब हम तुलसी तक आते हैं तो हम गोस्वामी तुलसीदास ने जिस प्रकार के राम राज्य की बात कही है हम भी रामराज्य को उसी तरह देखते हैं। अगर गीता और महाभारत की बात करें तो हम उसे भी उसी रूप में देखते है, बाद में अलग-अलग लेखकों ने अलग-अलग व्याख्या की। शिवाजी सावंत ‘मृत्यंजयÓ लिखते हैं तो हमें कर्ण का अलग तरह का चरित्र देखने को मिलता है।
मोदीजी के समय सोशल मीडिया सबसे ताकतवर है। सोशल मीडिया छवियाँ गढ़ता और बिगाड़ता भी है। मोदी जी के तीन कार्यकाल में मोदी मैजिक की बहुत बात होती है। मोदी की गारंटी की बात होती है। पिछला चुनाव भाजपा ने मोदी की गारंटी के नाम पर लड़ा और चुनाव में 400 पार का लक्ष्य रखा गया था। यह अलग बात है कि भाजपा को 400 पार सीट नहीं मिली, मोदी जी लगातार तीसरी बार सत्ता में आए। इस चुनाव में अगर मोदी का चेहरा और मोदी की गारंटी नहीं होती तो बहुत से भाजपा नेता संसद तक नहीं पहुंच पाते। इन नेताओं को पता है कि मोदी की नाव पर सवार होकर चुनाव की वैतरणी पार लेंगे। अटल जी के समय नारा होता था कि फलां आदमी मजबूरी है अटल जी जरुरी है। अब मोदी जी का समय है। इस समय सोशल मीडिया के माध्यम से यह प्रचारित किया जा रहा है कि मोदी जी दुनिया के सबसे ताकतवर नेता हैं। रूस और यूक्रेन का युद्ध भी मोदी जी ही रोकवा सकते हैं। अगर अमेरिका और रूस का संतुलन बना सकता है तो उसका नाम है नरेन्द्र मोदी। कई बार लोगों को लगता हैं कि जब धरती पर बहुत तरह के कष्ट होते हैं तो ईश्वर अलग-अलग रूप में अवतार लेते हैं। कई बार नेताओं को खुश करने के लिए चालीसा भी लिखी गई। पिछले दिनों बालक मोदी नामक किताब आई थी, उसमे मोदीजी को मगरमच्छ के साथ खेलते हुए दिखाया गया। अलग-अलग तरह से मिथक रचे गए। अक्सर इस बात की भी चर्चा होती है कि लोकतंत्र ने एक गरीब और चाय बेचने वाला प्रधानमन्त्री की कुर्सी पर है। दूसरी ओर वंशवाद हैं, जहाँ लोग मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा होते हैं। आज जगह-जगह मोदी जी के संघर्ष की गाथा भी गाई जा रही है। मोदी के जीवन यात्रा भी बताई जा रही है। यह भी बताया जा रहा है कि उन्होंने दांपत्य जीवन छोड़कर पूरा समय देश सेवा का लिए लगाया। उन्होंने संघ के स्वयंसेवक के रूप में विभिन्न क्षेत्रों में काम किया और संगठन को मजबूत करते रहे। इस बीच मोदी जी की जितनी स्तुति गाई गई तो उनकी आलोचना करने वाले भी कम नहीं हैं। इसके बावजूद मोदी जी की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई। उन्होंने के निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता की सभी ने सराहना की तो कुछ ने आलोचना भी की। अब मोदी जी की आलोचना करें या सराहना, मगर उनको नकार नहीं सकते हैं। वह ऐसे प्रधानमन्त्री हैं, जो लगातार तीसरी बार प्रधानमन्त्री बने हैं। अब तो वह सबसे लंबे समय तक प्रधानमन्त्री रहने का भी रिकॉर्ड बनाने जा रहे हैं। उन्होंने तीसरे कार्यकाल से पहले नई संसद का निर्माण करवाया और उद्घाटन किया। महिला आरक्षण कानून बनाया। वह गुजरात से आते हैं। गांधीजी भी गुजरात से थे। उन्होंने गांधीजी के कार्य को आगे बढ़ते हुए स्वच्छ भारत अभियान चलाया। शहर-गाँव सभी जगह सफाई दिखने लगी। इसकी बहुत तारीफ़ हुई। स्वच्छ भारत के तहत ही गाँवों में शौचालय बनवाए गए। इस तरह मोदी जी ने लोगों को सफाई के जन आन्दोलन से जोड़ा। उन्होंने गरीबों के आवास को लेकर बड़ी पहल की। जिस तरह अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमन्त्री सड़क योजना के तहत देश में सड़कों का जाल बिछा दिया। उसी तरह मोदी जी ने प्रधानमन्त्री आवास योजना के तहत शहरों और गाँवों में गरीबों के आवास की व्यवस्था कर रहे हैं। 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त अनाज दे रहे हैं। इस तरह के जनहित के कार्यों के कारण लोग मोदी मैजिक मानते हैं।
कोई आश्चर्य की बात नहीं है। सालों बाद जब लोग मोदी जी की मिथक कथाएँ पढ़ेंगे तो उनको लगेगा कि चमत्कारिक व्यक्ति हुए थे। वह महामानव थे। हमसे तीन-चार पीढ़ी पहले की मिथक कथाओं को पढऩे के बाद हमे भी लगता है कि वो लोग महान थे। आज मोदी जी का जन्मदिन है और उनके तीसरे कार्यकाल के 100 दिन भी पूरे हो गए हैं। उन्होंने दूरगामी लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत बनाने का दावा किया। सरकार के ट्रैक रिकार्ड स्पष्ट संदेश है कि तीसरे कार्यकाल के लिए रोडमैप तैयार है। किसान और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास को प्राथमिकता उनकी पहली प्राथमिकता रही।
महिला, युवा, अनुसूचित जाति-जनजाति से लेकर हर वर्ग को भी साधने का प्रयास किया है। जब जाति जनगणना की बात हुई तो मोदी जी ने कहा कि जाति चार प्रकार की होती है। जब तीसरी बार मोदी जी की सत्ता में वापसी हुई है, भले ही उन्हें दो बड़े दलों के समर्थन से सरकार चला रहे हैं, लेकिन उनके साथ अमित शाह जैसे गृहमंत्री हैं। शाह राजनीतिक रूप से जोड़-तोड़ में माहिर हैं। लोगों को अपने साथ साधने में माहिर हैं। इसी के बूते भले ही भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, लेकिन मोदी सरकार अपना रोडमैप बना रही है और यह बता रही है भाजपा सरकार कैसे काम करेगी। पिछले 100 दिनों में मोदी सरकार ने पीएम किसान निधि की 9.3 करोड़ किसानों को 20,000 करोड़ रुपये वितरित किए गए। एमएसपी में वृद्धि, डिजिटल कृषि मिशन सहित कई निर्णय किए। किसान सम्मान निधि तय करने से पहले एक अध्ययन कराया गया, जिसमें पता चला कि लघु और सीमांत किसानों की कृषि लागत लगभग 5600-5700 रुपये है, जिसके लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ता था। छह हजार रुपये सम्मान निधि देकर किसानों को इस संकट से उबारा। इसी तरह इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास को वरीयता देते हुए तीन लाख करोड़ की बुनियादी ढांचा संबंधी परियोजनाओं को मंजूरी दी। सामाजिक कल्याण की द्रष्टि के साथ पीएम जनमन योजना चल रही है। कचरा बीनने वालों के सशक्तीकरण के लिए नमस्ते योजना में शामिल कराया। वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और संरक्षण को मजबूत करने और विवादों के निपटारे के लिए वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 भी लोकसभा में पेश किया गया। 70 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों के लिए आयुष्मान भारत के तहत पांच लाख रुपये प्रतिवर्ष स्वास्थ्य बीमा का ऐलान इसी का हिस्सा है। कौशल विकास मिशन को निरंतर जारी रखते हुए 4.1 करोड़ युवाओं के कौशल सुधार और रोजगार सृजन के लिए दो लाख करोड़ का प्रधानमंत्री पैकेज बजट में घोषित किया। एक करोड़ युवाओं को शीर्ष 500 कंपनियों में इंटर्नशिप, 28,600 करोड़ के निवेश संग 12 औद्योगिक नोड्स को स्वीकृति और 10,600 करोड़ रुपए की विज्ञान धारा योजना के फैसले लिए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल के 100 दिन के काम से यह बताने का प्रयास कर रही है कि यह केवल ट्रेलर है। हम आने वाले समय में बहुत कुछ करेंगे। आगे भी मौका मिला तो 2047 तक वह भारत का स्वरूप लौटाएंगे, जिस भारत को सोने की चिडिय़ा कहा जाता है या जिस राम राज्य की बात कही जाते है। वैसा देश बनाएंगे।
मोदी की उपलब्धि यह है कि लोगों को लगता था कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 कभी हट नहीं सकता। कभी अयोध्या में राम मन्दिर नहीं बन सकता। दोनों संभव लगने वाले कर दिखाया। वहीं अब समान नागरिक संहिता की बात हो या वक्फ बोर्ड संसोधन की बात। चूकि मोदी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। इसके कारण कई फैसले में यूटर्न लेना पड़ा। क्योंकि सहयोगी दल नाराज हो रहे थे। जातिगत जनगणना विपक्ष का मुद्दा था। अब इसको आरएसएस ने भी समर्थन दे दिया है तो हो सकता है कि मोदी सरकार जातिगत जनगणना भी करवाए। पिछले चुनाव आरक्षण खत्म करने की बात आई तो मोदी जी को बचाओ में आगे आना पड़ा। अब राहुल गांधी अमेरिका में जाकर कहते हैं कि जब देश में समान स्थित आ जाएगी तो आरक्षण खत्म कर देंगे। यानी नौ मन तेल होगा ना राधा नाचेगी वाली बात है। बीजेपी और मोदी जी ने राहुल गांधी के वक्तव्य को अलग तरह से लिया। मोदी जी आपदा को अवसर में बदलने में माहिर हैं। वह लोगो की भावना को अच्छी तरह समझते हैं। उन्होंने आज ही एक आदिवासी के घर खाना खाते हुए कहा कि उन्हें मां की याद आ गई। जब उनपर आरोप लगा कि वह मीडिया को इंटरब्यू नहीं देते हैं तो उन्होंने मीडिया से बात की। यह अलग बात है कि उन्होंने चुनिन्दा मीडिया से बात की। हालांकि आम नेताओं की तरह उनसे टेढ़े सवाल करने की स्वतंत्रता नहीं थी, लेकिन मोदी मैजिक, मोदी गारंटी और मोदी मिथक तीनों हमें उनके जन्मदिन पर देखने को मिला। उम्र के इस पड़ाव पर भी वह जितने सक्रिय हैं, उतना आज के युवा नेता भी नहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस जन्मदिन पर हम उनके दीर्घायु होने की कामना करते हैं और वह 2047 में विकसित भारत के मील का पत्थर लगाएंगे।

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