हज जाने वालों को दिया गया प्रशिक्षण…मौलाना दिलशाद ने अरकान को समझाया


साहिबे हैसियत वो है जिस पर जकात फ़र्ज़ है ओर वो हज के सफर पर पूरा ख़र्च लेकर चले। इस दौरान अपने घरवालों का खर्चा भी छोड़े ताकि सफ़र हज में उसके वारिसों  को दूसरों से मांगने की नौबत ना आए।  दूसरे सत्र में हज़रत सैय्यद जमीर  ने हज जा रहे लोगों को जरूरी कागजी कार्यवाही और पासपोर्ट की दुरुस्तगी और सफ़र हज़ में साथ रखने वाले जरूरी सामानों की फेहरिस्त बताई।

तीसरे सत्र में हाजी मीर हामिद ने हज की किस्म, उसके फ़र्ज़, सुन्नत,वाजिबात और अरकान हज के दौरान पढ़ी जाने वाली दुआएं, कलमे,  तलबिया ,वाजिबात की पूरी तफसील से जानकारी दी। वहीं एहराम बांधना सिखाया गया। मौलाना दिलशाद ने हज की फजीलत को कुरआन और हदीस की रोशनी में बयान किया।


  चौथे सत्र में हाजी नैयर इकबाल ने हज  के दौरान कंकरियां मरने की तरीका बताया। इसी तरह तवाफे विदा करने सुन्नत तरीका भी बताया। हाजी हारून अंसारी ने इस दौरान मदीना मुनव्वरा में दो किबले वाली मस्जिद, मस्जिद कुबा और दूसरी जियारत मुकाम की फजीलत और उनकी अहमियत को समझाते हुए जरूरी जगहों पर नमाज और दुआ पढ़ने के फायदे बताए। इस दौरान जानकारी दी गई

कि भारत सरकार हज हाउस कमेटी व छत्तीसगढ़ हज कमेटी से सरकारी मदद के लिए हज इंस्पेक्टर तैनात किए जाते हैं। इसके लिए हज सुविधा एप डाउनलोड कर अपने हज इंस्पेक्टर को वहां पर आ रही समस्या से अवगत करा सकते हैं। इस दौरान सैय्यद असलम, अमीन कुरैशी, कमरुल हक, फ़ज़ल अंसारी,सईद ,सैयद रिजवान, इम्तियाज, वसीम,शफीक, हाफिज इश्तियाक, मुकीम, सुफियान,  नुसरत ,जैद मीर हमीद, अजीम सहित हज पर जाने वाले जायरीन मौजूद थे।

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