ग्वालियर: मध्यप्रदेश में लंपी वायरस का खतरा एक बार फिर बढ़ रहा है, जिससे पशुपालकों में डर का माहौल है। रतलाम और छिंदवाड़ा में मामले सामने आने के बाद पशुपालन विभाग ने अलर्ट जारी किया है और संक्रमण रोकने के लिए टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया है।
पशुपालन विभाग ने जिले को 25 हजार टीके उपलब्ध कराए हैं और टीकाकरण को तेज कर दिया है। पशुपालकों को जागरूक करने के साथ-साथ सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है। विभाग ने सुझाव दिया है कि पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए बाड़ों में मच्छर-मक्खी रोधी दवाओं का छिड़काव किया जाए, नीम की पत्तियों और गुग्गुल का धुआं किया जाए। साथ ही, लंपी वायरस के लक्षण दिखने पर तुरंत विभाग को सूचित करने को कहा गया है।
क्या है लम्पी वायरस
लम्पी वायरस या लंपी स्किन डिसीज (LSD) एक मवेशियों का संक्रामक रोग है, जो पॉक्सविरिडे परिवार के एक वायरस के कारण होता है. इस बीमारी की वजह से पशुओं में बुखार, लिम्फ नोड्स का बढ़ना और त्वचा पर गांठें पड़ने जैसे लक्षण दिखते हैं. यह रोग मुख्य रूप से संक्रमित पशुओं के संपर्क, और मक्खियों व मच्छरों जैसे कीड़ों के माध्यम से फैलता है।
लम्पी वायरस कितने दिन रहता है
लम्पी त्वचा रोग (LSD) से संक्रमित पशु ठीक होने में कई सप्ताह से लेकर कई महीने तक का समय ले सकते हैं, और यह पूरी तरह से ठीक हो भी सकता है या लंबे समय तक दुर्बल रह सकता है. हालांकि कुछ उपचारों में 5 से 7 दिनों में सुधार देखा गया है, संक्रमण की गंभीरता के आधार पर ठीक होने का समय अलग-अलग हो सकता है.