भारत के नए मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में जस्टिस सूर्यकांत ने
सोमवार को राष्ट्रपति भवन में पद और गोपनीयता की शपथ ली।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें शपथ दिलाई। विशेष बात यह रही कि
उन्होंने शपथ हिंदी भाषा में ली। समारोह के दौरान एक भावनात्मक क्षण
भी देखने को मिला, जब शपथ के तुरंत बाद उन्होंने अपने
पूर्ववर्ती CJI जस्टिस बी.आर. गवई को गर्मजोशी
से गले लगाकर अभिवादन किया।

ऐतिहासिक बना समारोह: छह देशों के मुख्य न्यायाधीश रहे मौजूद
इस बार का शपथ ग्रहण कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। पहली बार किसी भारतीय CJI के शपथ ग्रहण समारोह में छह देशों — भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट जज शामिल हुए। विदेशी न्यायिक प्रतिनिधिमंडल की यह मौजूदगी भारतीय न्यायपालिका के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को दर्शाती है।
9 फरवरी 2027 तक रहेगा कार्यकाल
हरियाणा के हिसार जिले में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा। उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर किया। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहने के बाद वे सुप्रीम कोर्ट के जज बने।

अपने करियर में उन्होंने कई ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण मामलों में अहम भूमिका निभाई है, जिनमें —
- अनुच्छेद 370 निरस्तीकरण
- पेगासस स्पाइवेयर जांच
- राजद्रोह कानून पर रोक
- बार एसोसिएशन में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का निर्देश
शामिल रहे हैं।
गांव से निकलकर CJI बनने तक का सफर
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हिसार जिले के पेटवार गांव में एक शिक्षक परिवार में हुआ। बचपन ग्रामीण वातावरण में गुज़रा। आठवीं तक की शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में हुई, जहां बेंच तक मौजूद नहीं थीं। उन्होंने पहली बार किसी शहर को तब देखा जब वे 10वीं बोर्ड की परीक्षा देने हांसी कस्बे पहुंचे थे।
गांव के साधारण माहौल से निकलकर देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचने की उनकी कहानी आज अनेक युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है।