संकट में संविधान नहीं, राजनीतिक पार्टियों का अस्तित्व खतरे में

संकट में संविधान नहीं, राजनीतिक पार्टियों का अस्तित्व खतरे में

0 क्या संकट में है संविधान विषय पर परिचर्चा का आयोजन
0 एशियन न्यूज़ का खास कार्यक्रम संतुलन का समीकरण का आयोजन

जनधारा समाचार
रायपुर। भारत देश एक लोकतांत्रिक देश है, जहां सभी वर्ग और धर्म के लोग आपस में मिल-जुलकर रहते हैं लेकिन चुनाव आते ही कई मुद्दे और विषय सामने आने लगते हैं जिस पर खूब बहस होती है, वर्तमान में एक ऐसा ही मुद्दा संविधान खतरे में है इस विषय पर खूब बहस हो रही है। इस मुद्दे पर दो प्रमुख पार्टियां जमकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रही हैं।
इसी के मद्देनजर एशियन न्यूज़ के खास कार्यक्रम संतुलन के समीकरण में क्या संकट में है संविधान इस विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। जहां कई वर्ग के लोगों ने अपनी राय रखी। लोगों ने बताया कि संविधान अगर खतरे में है, आखिर संविधान क्यों खतरे में है। इससे पहले हमें संविधान को जानने और समझने की आवश्यकता है। जब तक हम संविधान को समझेंगे नहीं या जानेंगे नहीं तो कैसे हम कह सकते हैं कि संविधान खतरे में है। राजनीतिक पार्टियों अपनी उल्लू सीधा करने या फिर अपने चुनावी फायदे के लिए ऐसे मुद्दों पर जोर देती है। एक ओर जहां कांग्रेस कह रही है कि संविधान और लोकतंत्र खतरे में है तो वहीं दूसरी ओर भारत के प्रधानमंत्री यह कह रहे हैं कि अगर संविधान रचयिता डॉ. भीमराव अंबेडकर भी आ जाए तो संविधान को अब नहीं बदल सकते हैं तो संविधान कैसे खतरे में है। इस मुद्दे पर लोगों से चर्चा कर उनकी राय ली गई जहां लोगों ने मुखर होकर अपनी राय दिए।
इस अवसर पर एशियन न्यूज़ के प्रधान संपादक सुभाष मिश्रा ने कहा कि मौजूदा दौर में जिस प्रकार से एक राजनीतिक पार्टी संविधान को लेकर संदेह जता रही है कि संविधान संकट में है। दूसरी पार्टी के प्रमुख यह कह रहे हैं कि डॉ बाबा भीमराव अंबेडकर भी अब संविधान को बदल नहीं सकते हैं। चूंकि, यहां समझने वाली बात यह है कि इस बार भाजपा ने 400 पर का नारा दिया है इसलिए विपक्षी पार्टी यह संदेश जता रही है कि अगर भाजपा का फिर से केंद्र में सरकार बनती है तो यह संविधान को बदल देंगे और अपने अनुसार संविधान में बदलाव कर सकते हैं क्योंकि अभी कुछ साल पहले कई ऐसे बदलाव हुए हैं जिससे लोग ऐसा संदेह जाता रहे हैं। आजादी के बाद संविधान में कई अमेंडमेंट हुए हैं और संविधान में अमेंडमेंट की प्रावधान भी है। लेकिन इसके लिए कई प्रक्रिया है उसी प्रक्रिया के तहत ही संविधान में बदलाव किए जा सकते हैं।
वकील धर्मेंद्र रावण ने कहा कि वर्तमान में अभी चुनाव चल रहा है और हर एक राजनीतिक पार्टी अपने-अपने दावे कर रही है। जहां तक बात संविधान खतरे में है ऐसी कोई बात नहीं है। जो सरकार बहुमत में आती है चाहे वह राजसभा में हो या लोकसभा में हो, अगर वह सरकार को लगता है कि देश हित में संविधान को परिवर्तन करना है तो अपनी पूर्ण बहुमत के हिसाब से वह परिवर्तन कर सकती है। लेकिन पक्ष और विपक्ष अभी अपने-अपने हिसाब से उसकी परिभाषा कर रहे हैं।
वकील सादिक अली ने कहा कि निश्चित रूप से संविधान खतरे में है। संविधान को बचाने के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है। संविधान में जो जो लचीलापन है उस लचीलेपन का जैसे सत्ता पार्टी उपयोग कर रही है। इसका दुष्प्रभाव कहीं ना कहीं देखने को मिल रहा है। वर्तमान में अगर हम बात इलेक्ट्रोल बॉन्ड की तो इसमें भी कई चीजें देखने को मिल रही है। आज लोग या यूं कहे तो एक पार्टी कई संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है। बीच में अधिसूचना लाकर संवैधानिक संस्थाओं को बेचा जा रहा है तो निश्चित तौर से संविधान खतरे में है।
वकील अमर गुर बच्छानी ने कहा कि सबसे पहले यह समझना होगा कि संविधान खतरे में है यह तथ्य निकला कहां से वर्तमान समय लोकसभा चुनाव है और लोकसभा प्रचार के समय ऐसे शब्द आए हैं लेकिन इससे पहले यह समझना होगा कि संविधान में संशोधन कैसे होता है। इसको समझाना पड़ेगा लोग अगर यह कह दे रहे हैं कि संविधान में ऐसे बदलाव हो जाएगा तो यह निरर्थक है वर्तमान में जो 400 पर की बात चल रही है। इसके बावजूद यह संविधान को टच नहीं कर सकते हैं क्योंकि इनका बहुमत राज्यसभा में नहीं है।
विधि एवं लॉ के छात्र आचार्य मिश्रा ने कहा कि मैं मानता हूं कि संविधान मर चुका है शुरुआत से लेकर अभी तक संविधान में कई अमेंडमेंट हुए हैं। इसको लेकर संविधान में बदलाव किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और उसके बाद भी कई बदलाव किए गए हैं। आज अगर किसी प्रकार से बदलाव हो रहे हैं तो इनको तकलीफ क्यों हो रही है।
लेखक और कवि संजीव कुमार ठाकुर ने कहा कि संविधान के बारे में अगर बात करनी है तो इसमें संकीर्णता या किसी पार्टी से संबंधित होकर बात नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संविधान का निर्माण लोकतंत्र और सद्भावना के लिए किया गया है। आज संविधान के बदौलत ही हम देश में आजादी के साथ सांस ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी पार्टी या किसी संकीर्ण व्यक्ति के आरोप लगाने के बाद यह संविधान खतरे में नहीं आ सकता है। संविधान एक ढांचा है और हमारा भारत एक लोकतांत्रिक देश है। जहां हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सभी एक साथ मिलकर रहते हैं। देश में जितनी भी राजनीतिक पार्टियों हैं वह अपनी राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे बयान देते हैं।
वीर अजीत ने कहा कि संविधान बनाने के पीछे उद्देश्य यही है कि लोगों की  जीवन व्यवस्थित रखना है। लोगों को संविधान पर विश्वास करना चाहिए और उनके हिसाब से चलना चाहिए बदलाव का तो एक प्रक्रिया है उसे उसी हिसाब से करना चाहिए। एबीवीपी के कार्यकर्ता सुजल गुप्ता ने कहा कि हम इस देश के नागरिक हैं और हमे अपने अधिकार और कर्तव्य के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा देश लोकतांत्रिक देश है और यह संविधान के अनुसार ही चलेगा। युवा मोर्चा के सुभाष ने कहा कि जब भी कोई ऐसा बात कहने लगे कि लोकतंत्र खतरे में है तो यह समझ जाएंगे उस पार्टी का अस्तित्व या कुर्सी खतरे में है। उन्होंने कहा कि आज जिस तरह से सोशल मीडिया और अन्य मीडिया पर लोग ट्रेंड कर रहे हैं कि संविधान खतरे में है तो ऐसा माना जाता है कि जब ऐसा लोग कहें तो समझ जाइए कि आज उनके अस्तित्व खतरे में आ गया है। मैं यह मानता हूं कि कभी भी लोकतंत्र का गला घोट कर राजतंत्र की स्थापना नहीं किया जा सकता है।
एनएसयूआई कार्यकर्ता सुजीत सुमेर ने कहा कि भारत का संविधान सदा से अमर रहा है इसमें बदलाव तो किए जा सकते हैं लेकिन पूरी तरीके से नहीं बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब संविधान के साथ छेड़छाड़ होता है या फिर अपनी राजनीतिक लाभ के अनुसार उसमें बदलाव किए जाते हैं तब जाकर संविधान खतरे में होता है। मेरा मानना है कि संविधान का पालन किया जाए और जो न्यायिक और संस्थानिक संस्थाएं हैं, उसको बनाए रखा जाए।

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