Harassment of women : आज की जनधारा के प्रधान संपादक सुभाष मिश्र की कलम से ‘मूल मुद्दों से भटकाती बयानबाजी’  

Harassment of women

Harassment of women :  आज की जनधारा के प्रधान संपादक सुभाष मिश्र की कलम से, ‘मूल मुद्दों से भटकाती बयानबाजी’    

Harassment of women :  बयानबाजियां अक्सर मूल मुद्दों से भटकाने का काम करती है। कई बार मुद्दा कुछ होता है, बयान कुछ होता है और आन्दोलन का विषय कुछ और ही होता है। इस समय पूरे देश में महिला उत्पीडऩ को लेकर समाज आन्दोलित है। महिला का उत्पीडऩ ना हो इसको लेकर गंभीर बात होनी चाहिए। समाज का नजरिया कैसे बदले इस पर बात होनी चाहिए। महिलाएं जहाँ काम करती हैं, वहां उनकी सुरक्षा की कैसी व्यवस्था होनी चाहिए? मगर, आज इस विषय पर कोई बात नहीं हो रही है। महिला उत्पीडऩ का विषय राजनीतिक रूप ले चुका है और बहुत से लोग इस मामले को लेकर अलग-अलग तरीके की बयानबाजी कर रहे हैं।

जो लोग खबरों में बने रहना चाहते हैं, वे लोग ऐसे बयान देते हैं, जिस पर लोग अपनी प्रतिक्रिया देने और चर्चा करने को मजबूर हो जाते हैं। कभी औसत दर्जे की अभिनेत्री रही राखी सावंत अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहती थी। इसी कड़ी में कुछ और अभिनेत्रियाँ और अभिनेता भी अपने उल-जलूल बयानों को लेकर चर्चा में रहे। आमतौर पर होता यह है कि अगर किसी विषय विशेष को लेकर कोई विवादित बयान देता है तो वह समाचारों की सुर्खियाँ बनती हैं। खबरों की भीड़ में अक्सर ऐसे बयान का अर्थ कहाँ-कहाँ निकल जाते हैं, इसका पता ही नहीं चलता है। इसी तरह के बयान के लिए जानी जाती हैं अभिनेत्री कंगना रनोत। अपने बेबाक अंदाज के कारण कंगना रनोत हमेशा चर्चा में बनी रहती हैं। वह किसी भी मुद्दे पर बोलने से हिचकिचाती नहीं हैं। यही वजह है कि वह आए दिन विवादों में भी फंसती रहती हैं। किसानों पर दिए गए उनके नए बयान से राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया है। हालांकि बीजेपी ने उनके बयान से किनारा कर लिया है।

 

बीजेपी के केंद्रीय मीडिया विभाग ने सफाई दी है कि कंगना का बयान है, पार्टी की राय नहीं है। बीजेपी कंगना रनौत के बयान से असहमत है। पार्टी के नीतिगत विषयों पर बोलने के लिए कंगना को न तो अनुमति है और न ही वे बयान देने के लिए अधिकृत हैं। अब तक कंगना के बयान एक अभिनेत्री के रूप में हुआ करते थे, लेकिन इस बार बयान ना केवल सांसद के रूप है, बल्कि उनका बयान बीजेपी सांसद का माना जाएगा। ऐसे में राजनीतिक विवाद होना तय था। कंगना के किसानों पर दिए गए बयान को लेकर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें तलब कर लिया और अनावश्यक बयान से बचने की हिदायत दी। कंगना रनौत ने किसानों को लेकर विवादित बयान को लेकर अपनी पार्टी से माफी मांग ली है। उन्होंने कहा मेरी वजह से जाने-अनजाने में अगर पार्टी को कोई नुकसान होता है तो मुझसे ज्यादा दुख किसी को नहीं होगा।

बयान पर विवाद के बीच कोलकाता रेप केस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का बड़ा बयान आया है। उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि मैं बहुत निराश और भयभीत हूं। बेटियों के खिलाफ अपराध बर्दाश्त नहीं। उन्होंने कहा कि बस अब बहुत हुआ। राष्ट्रपति के इस बयान पर अब टीएमसी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा कि सुना है राष्ट्रपति ने फिर से आरजी कर मामले का जिक्र किया है। हालांकि, मैं उनका सम्मान करता हूं। लेकिन उन्नाव, हाथरस, बिलकिस और मणिपुर केस में उनके दिल में दर्द नहीं उठा। उन्होंने ओडिशा, महाराष्ट्र और उत्तराखंड में अपराध क्यों नहीं देखे? साक्षी मलिक जैसी लड़कियों के विरोध प्रदर्शन के दौरान वह चुप क्यों रहीं? क्या बीजेपी के खिलाफ बोलना मुश्किल है? राष्ट्रपति का बयान अगर किसी एक मुद्दे पर आएगा तो सवाल खड़े होंगे। इसी तरह कंगना ने कहा तो लोग सवाल करेंगे।
दरअसल, बीते दिनों कंगना ने बयान दिया था कि किसान आंदोलन के दौरान लाशें लटकी थीं। वहां पर दुष्कर्म हो रहे थे। भारत में भी बांग्लादेश जैसी अराजकता हो सकती थी। बाहरी ताकतें देश के अंदरूनी लोगों की मदद से हमें नष्ट करने की योजना बना रही हैं। अगर हमारा नेतृत्व कमजोर होता तो और दूरदर्शिता नहीं होती तो वे अपनी मंशा में सफल हो जाते। किसानों के हितकारी बिल वापस लिए गए तो पूरा देश चौंक गया। वो किसान आज भी वहां मौजूद हैं। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि बिल वापस ले लिया जाएगा। इससे पहले जब वह चुनाव जीतकर दिल्ली जा रही थीं तो चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर सीआईएसएफ की एक महिला गार्ड ने उन्हें थप्पड़ मार दिया था। सीआईएसएफ गार्ड किसान आंदोलन को लेकर दिए गए कंगना के बयान से नाराज थी। सीआईएसएफ की महिला गार्ड कुलविंदर कौर का कंगना के बारे में कहना था, ‘इसने किसान आंदोलन के दौरान बयान दिया था कि, 100-100 रुपये के लिए आंदोलन में बैठी थीं। क्या ये बैठी थी वहां पर? पर मेरी मां बैठी थीं उस वक्त। दरअसल कंगना ने किसान आंदोलन के वक्त प्रोटेस्ट में शामिल हुई एक बुजुर्ग महिला पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि ये 100 रुपए में अवेलेबल हैं।

इससे पहले कंगना कई बार अपने बयानों को लेकर चर्चा में रही हैं। कंगना रनौत इंडस्ट्री में नेपोटिज्म पर हमेशा खुलकर अपनी राय रखती आई हैं। उन्होंने एक बार मशहूर फिल्ममेकर करण जौहर के बारे में कहा था कि अगर नेपोटिज्म के मुद्दे पर बायोपिक बनेगी तो करण उसमें मूवी माफिया के रोल में होंगे। करण के चैट शो में उनके साथ सैफ अली खान भी आए थे, जो कंगना की बातें सुनकर हैरान रह गए थे। कंगना रनौत कई बॉलीवुड अभिनेत्रियों से पंगा ले चुकी हैं। उन्होंने ट्वीट करते हुए एक बार तापसी पन्नू और स्वरा भास्कर को बी ग्रेड की एक्ट्रेस बताया था। इस पर स्वरा का भी रिएक्शन सामने आया था। स्वरा ने इस पर कहा था कि जो लोग कंगना की बातों से सहमत नहीं होते, वह उनके बारे में इसी तरह की बातें कहती हैं। अपने एक बयान में कंगना रनौत ने आयुष्मान खुराना को ‘चापलूस आउटसाइडर का टैग दिया था। दरअसल, सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद वह लगातार इस बारे में ट्वीट कर रही थीं। इसी बीच आयुष्मान खुराना सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती के सपोर्ट में नजर आए, जिसके चलते कंगना ने उन्हें ‘चापलूस आउटसाइडर कहा था। पुलवामा हमले के बाद अभिनेत्री शबाना आजमी पाकिस्तान दौरे पर जाने वाली थीं। कंगना ने शबाना आजमी पर निशाना साधते हुए कहा था कि ये वही लोग हैं जो भारत तेरे टुकड़े होंगे गैंग को सपोर्ट करते हैं। कंगना के इस आरोप के बाद शबाना ने अपनी ट्रिप बाद में कैंसिल कर दी थी। एक बार कंगना ने कहा कि भारत को ‘वास्तविक आजादी’ 2014 में तब मिली, जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी। कंगना ने 1947 में देश को मिली आजादी को ‘भीख’ बताया था।

Harassment of women :  कंगना के इस बयान से कांग्रेस भड़क गई और उन्हें इसके लिए माफी मांगने को कहा था। मध्य प्रदेश के एक कांग्रेस विधायक सुखदेव पांसे ने कंगना को नाचने वाली बताया था। इस पर भड़कते हुए उन्होंने जवाब में कहा कि मैं दीपिका, कैटरीना या आलिया नहीं हूं। मैं वो हूं जिसने आइटम डांस नहीं किए, खान जैसे बड़े स्टार्स के साथ काम करने से मना किया। मैं राजपूत हूं, जो कमर नहीं हिलाती, हड्डियां तोड़ती है। वेब सीरिज तांडव में हिंदू देवी-देवताओं के अपमान से नाराज कंगना ने एक पोस्ट शेयर की थी। इसमें उन्होंने लिखा था कि भगवान कृष्ण ने भी शिशुपाल की 99 गलतियों को माफ कर दिया था। पहले शांति फिर क्रांति। अब उनके सिर काटने का समय है, जय श्री कृष्ण। कंगना ने शिवसेना सांसद संजय राउत पर मुंबई लौटकर न आने की धमकी देने का आरोप लगाते हुए लिखा था कि शिवसेना नेता ने मुझे धमकी देते हुए कहा है कि मुंबई लौटकर मत आना। मुझे अब मुंबई पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की तरह लग रही है। अक्सर देखा जाता है कि विवादित बयान मूल मुद्दे से भटका देते हैं। कोलकाता रेप से पहले निर्भया काण्ड काफी चर्चा में रहा। हैदराबाद और हथरस में इसी तरह की घटना हुई। महिलाओं का लगातार उत्पीडऩ जारी है। मगर इस पर होने वाली बयानबाजियां इसका निराकरण नहीं कर सकती हैं।

मार्च 2023 में लंदन में एक इंटरव्यू के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सावरकर पर टिप्पणी की थी। उनके इस बयान पर खूब हंगामा मचा था। राहुल गांधी के खिलाफ सावरकर के पोते सात्यकी ने अप्रैल 2023 में आईपीसी की धारा 499 और 500 में मानहानि का केस दर्ज कराया था। पुणे पुलिस ने राहुल गांधी पर वीडी सावरकर को बदनाम करने का आरोप लगाने वाली शिकायत को सच बताया। पुलिस ने मामले की जांच की और 27 मई 2024 को अदालत में अपनी जांच रिपोर्ट पेश की थी। कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने भी विवादित बयान दिया। अय्यर ने नेहरु पर एक किताब के विमोचन के समय 1962 में चीन के हमले को कथित बता दिया, इसको लेकर विवाद हो गया। हरियाणा में बीजेपी सरकार के मंत्री जेपी दलाल ने विधानसभा चुनाव के बीच कहा था कि अगर हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बन भी गई तो दिल्ली वाले 6 महीने नहीं चलने देंगे। दलाल के बयान पर हरियाणा कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने जेपी दलाल से इस्तीफा मांगा।

इस तरह अक्सर लोगों के विवादित बयान सामने आते रहते हैं। ये बयान मूल मुद्दों से भटकाते हैं। ऐसे बयान मीडिया में सुर्खियाँ बनती हैं। सोशल मीडिया पर तो कई तरह के ऐसे बयान भी वायरल होते हैं, जिनका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं होता है। अब लोग भी धीरे-धीरे समझने लगे हैं कि ऐसे बयानों पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि ऐसे लोग केवल मीडिया में बने रहने के लिए ही इस तरह का बयान देते हैं। कंगना के बयान को भी इसी तरह से ही देखना चाहिए। चूकीं अब कंगना भाजपा की सांसद हैं, इसलिए भाजपा ने उनके बयान से किनारा किया है। कोई भी राजनीतिक पार्टी हो उसे इस तरह के बयान से किनारा करना चाहिए। अक्सर कई नेता इस तरह का बयान देने का साहस इसीलिए करते हैं, क्योंकि पार्टी फोरम पर उनके खिलाफ कारवाई नहीं होती है। मगर ऐसे तथ्यहीन और विवादित बयानों से अच्छा संदेश नहीं जाता है। कई बार ऐसे बयानों से समाज में उत्तेजना भी फ़ैल सकती है। अक्सर देखा जा रहा है कि बहुत से लोग सोशल मीडिया पर धर्म-जाति और व्यक्ति के विरूद्ध अनर्गल बातें लिखते रहते हैं। इस तरह की बातें पढ़-सुनकर लोग भड़क उठते हैं।

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Harassment of women : अमरावती से भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा ने हैदराबाद में चुनाव प्रचार के दौरान भड़काऊ बयान दिया था। ऐसे सेलिब्रेटी को अपने बयान में संयम बरतना चाहिए। कबीर कहते हैं-

ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए।
औरन को शीतल करे आपहूँ शीतल होए।।