-सुभाष मिश्र
हमारे समाज में जो अपराध बढ़ रहा है, उसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि अपराधियों का महिमा मंडन बहुत ज्यादा हो रहा है। समाज में अपराध बहुत अधिक बढ़ रहा है, इसके पीछे की वजह यह है कि अपराधियों का मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक बखूबी बखान किया जा रहा है। मीडिया पर या तो सेक्स बिकता है या अपराध। ऐसे में हम देखते हैं कि कोई ऐसा चैनल नहीं है जिस पर अपराध कथाएं ना आती हों, या सेक्स से रिलेटेड खबरें न आती हों, क्योंकि जो दिखता है वहीं बिकता है। इस वक्त अपराध चरम पर है, ऐसे में हम देखते हैं कि अपराधी लगातार ग्लैमराइज हो रहे हैं। उनको देखकर उनके गुर्गों को यह लगता है कि वह रातों-रात इस रास्ते पर चलकर बड़े पैसे वाली बन सकते हैं।
देखा जाए तो इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण समाज में अपराधियों का बढ़ता महिमा मंडन ही है। यह मीडिया और समाज दोनों को प्रभावित कर रहा है। पिछले दिनों राजस्थान पुलिस को एक अपील जारी करनी पड़ी, जिसमें कहा गया था कि आप अपराधियों का नहीं राजस्थान पुलिस का महिमा मंडन करें। अगर फॉलो करना है तो पुलिस के हैंडल को फॉलो करें। ठीक इसी प्रकार चेन्नई के पुलिस कमिश्नर को वहां के फिल्म निर्माता को यह कहना पड़ा कि आप पुलिस विभाग की छबि को खराब न करें और अपराधियों को ज्यादा ग्लैमराइज न करें। मीडिया में सेक्स और अपराध पर आने वाली बंपर ट्रैफिक के चलते तमाम चैनल इन्हें कुछ अधिक ही तवज्जो देते हैं। राजस्थान पुलिस को इन्हीं सारी चीजों को देखते हुए कहना पड़ा कि लोग अपराधियों को नहीं पुलिस को सहयोग करें। बाकी जगह की पुलिस भी सोशल मीडिया के जरिए इस पर नजर रख रही है कि वह कौन-कौन से लोग हैं, जो ऐसे अपराधियों को सहयोग कर रहे हैं। पहले अपराधी पत्र जारी कर या विज्ञप्तियां जारी कर किसी हत्या या फिर किसी बड़े कांड की जिम्मेदारी लिया करते थे। बदलते समय के साथ इसमें भी परिवर्तन आया। अब यह अपराधी सोशल मीडिया पर ही इसकी जिम्मेदारी सरेआम लेने लग गए हैं और तो और जेल में बैठे अपराधी भी सोशल मीडिया पर सीना ठोक कर इस बात का ऐलान करते हैं कि मैंने उसे मारने की सुपारी दी थी या फिर हमारे ही गुर्गों ने उस वारदात को अंजाम दिया है। इसके माध्यम से कहीं न कहीं यह अपराधी ये संदेश देना चाहते हैं कि हम चाहे जेल में हों या विदेश में जैसे उसे मारा था वैसे किसी को भी मार सकते हैं। कोई भी हमारे गुर्गों की पकड़ से बाहर नहीं है।
दाऊद इब्राहिम के बाद अगर किसी व्यक्ति का खौफ इन दिनों सुर्खियों में है तो वह है लॉरेंस बिश्नोई। लॉरेंस बिश्नोई का उदाहरण देकर हम आपको यह बताना चाहते हैं कि मीडिया और तमाम चैनल किस प्रकार अपराधियों का महिमा मंडन करते हैं। उनके इतिहास को दोहराते हैं और लोगों को उनके बारे में एक से एक रोचक जानकारियां भी उपलब्ध कराते हैं।
वही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी तमाम अपराध कथाओं की भरमार है। डेट लाइन एनबीसी-अनसॉल्ड मिस्ट्रीज जैसी सच्ची अपराध वृत्तिचित्र जेन जेड दर्शकों के बीच लोकप्रिय हो चुकी है। एक सर्वे में ये बात सामने आई है कि इसे लोग प्रति सप्ताह 4 से लेकर 6 घंटे देखते हैं।
नेट फ्लिक्स पर डेमर एक सच्ची अपराध एथोलॉजी सीरीज है जो अमेरिकी सीरियल किलर जेफरी डेमर के जीवन और उन हत्याओं का अनुसरण करती है जिनके लिए उसे दोषी ठहराया गया था। तमाम मामलों में मीडिया दर्शकों को एक हत्यारे के पक्ष में भड़काता है। उसे रॉबिनहुड के रूप में दर्शाया जाता है। पुलिस को भ्रष्ट और असामाजिक तत्वों से संबंध रखने वाला बताया जाता है।
छत्तीसगढ़ का चर्चित महादेव एप भी इसी श्रेणी में आता है, जिसमें एक गन्ने का रस बेचने वाला युवक सट्टे और उगाही के दम पर अपना बड़ा साम्राज्य स्थापित कर लेता है। आरंग में एक चाय वाला लोगों को जल्दी में आर्थिक लाभ का लालच दिखाकर सौ करोड़ का चूना लगा देता है। उसकी अचानक से बढ़ी समृद्धि किसी को नहीं खटकती। समाज में अपराधिक गतिविधियों में संलग्न लोगों की स्वीकार्यता बढ़ी है। इसी के साथ समाज में आवारा पूंजी को भी मान्यता मिली है। खऱाब मुद्रा ने अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर दिया है। देश में आर्थिक आतंकवाद को भी बहुत से लोग तरह-तरह के ऐप और ग़लत सूचनाओं के ज़रिए अंजाम दे रहे हैं। बस एक सूचना और 40 विमान बीच आसमान में बेईमान हो जाते हैं। विमानन कंपनियों को इससे करोड़ों की चपत लगाती है उनकी रेपुटेशन खराब होती है सो अलग। इसी को आर्थिक आतंकवाद कहा जा रहा है। समाज में अपराध हमेशा से ही मौजूद रहा है, अगर कुछ बदलता है तो वो होते हैं उसके तौर-तरीके या फिर उसका स्वरूप। इसके तमाम उदहारण समय-समय पर सामने आते रहे हैं। विमानों में बम होने की झूठी सूचना भी उसी का एक हिस्सा है। अब ये अनजाने लोग विमानन कंपनियों को कितना नुकसान पहुंचते हैं?
अब तक लगभग 40 उड़ानों को बम की धमकियां अब तक मिल चुकी हैं। हालांकि जांच में ये सभी झूठी साबित हुईं लेकिन, बम होने की इन झूठी सूचनाओं ने एयरलाइन कंपनियों को 60-80 करोड़ रुपये की चपत लगा दी है।
अब हम बात करें हाल ही तेज़ी से उभरे उस गैंगस्टर की जिसे अब दाऊद के बाद सबसे ज़्यादा मीडिया अटेन्शन मिल रहा है। लॉरेंस बिश्नोई एक ऐसा नाम है जो जेल में रहते हुए बहुतों के लिए आतंक का पर्याय बन गया है। लॉरेंस बिश्नोई गैंग सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद से ही चर्चा है। पंजाब के अबोहर में पैदा हुआ लॉरेंस एक पूर्व पुलिस कांस्टेबल का बेटा है। वैसे दाऊद इब्राहिम भी एक पुलिस वाले का ही बेटा था। लॉरेंस पर 30 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। वह कई बार पुलिस हिरासत से भाग चुका है। पहले वो जोधपुर और भरतपुर की जेल में बंद था, लेकिन अब दिल्ली की तिहाड़ जेल में है। पिछले सात साल से लॉरेंस जेल में है। कहा जाता है कि जेल में रहने के बावजूद वह आसानी से अपना गैंग चला रहा है। अभी उसके गैंग में 500 से ज्यादा अपराधी शामिल हैं।
जेल के बाहर उसका काम गोल्डी बराड़ संभालता है। गोल्डी बराड़ ने पंजाब और पंजाब के बाहर कई कत्ल करवाए हैं। जब पुलिस उसके पीछे पड़ी, तो वो भाग कर कनाडा चला गया। हालांकि, वह लॉरेंस के संपर्क में हमेशा रहा। कहा जाता है कि 2015 में जब लॉरेंस पकड़ा गया और जेल गया, तब से ही जेल के बाहर का सारा काम गोल्डी बराड़ को सौंप दिया। कनाडा में बैठा गोल्डी बराड़ इस समय लॉरेंस बिश्नोई का सबसे भरोसेमंद और मजबूत हाथ है।
कांग्रेस और एनसीपी के नेता फि़ल्मी सितारों के चहेते बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद से कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस की फिर से चर्चा शुरू हो गई है। आरोप है कि उसके गुर्गों ने लंबे अरसे तक कांग्रेस से जुड़े और फिर हाल ही में अजित पवार की एनसीपी का दामन थामने वाले बाबा सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में गिरफ्तार दो शूटरों ने खुद को लॉरेंस गैंग का सदस्य बताया है। वहीं लॉरेंस गैंग की तरफ से एक सोशल मीडिया पोस्ट में इस हत्याकांड की जिम्मेदारी ली गई है।
बाबा सिद्दीकी महाराष्ट्र के बड़े राजनेता थे। वह मुंबई के बड़े कारोबारियों में शुमार किए जाते थे और उनकी बॉलीवुड में भी अच्छी पकड़ थी। ऐसे में उनकी हत्या ने महाराष्ट्र सहित देशभर में लोगों को हैरान कर दिया है। मुंबई क्राइम ब्रांच के सूत्रों के मुताबिक, लॉरेंस बिश्नोई ने बाबा सिद्दीकी को इसलिए टारगेट किया, ताकि वह इससे एक साथ इन तीनों बड़े सेक्टर को एक बड़ा संदेश दे सके। लॉरेंस बिश्नोई इस हत्याकांड से मुंबई के राजनेताओं, बॉलीवुड हस्तियों और बड़े कारोबारियों को यह धमकी दे सके कि वो अगर बाबा सिद्दीकी को मार सकता है, तो किसी को भी मार सकता है।
लॉरेंस बिश्नोई इन दिनों गुजरात की साबरमती जेल में बंद था जहां से उसे दिल्ली के तिहाड़ जेल में भेज दिया गया है। उसके खिलाफ हत्या, हत्या के मकसद से हमला करने, चोरी-डकैती और जबरन उगाही जैसे करीब 50 से भी अधिक केस दर्ज हैं। सिद्धू मूसेवाला और जयपुर में करणी सेना के अध्यक्ष की हत्या के अलावा पंजाबी सिंगर गिप्पी ग्रेवाल और एपी ढिल्लों के ऊपर फायरिंग तक में उसका नाम पुलिस रिकॉर्ड में दजऱ् है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर 31 साल का लॉरेंस बिश्नोई अपराध की दुनिया का इतना बड़ा नाम कैसे बन गया? जेल में ही बैठकर वह इतने हाई प्रोफाइल कांड को कैसे अंजाम देता रहा।
असल में लॉरेंस बिश्नोई का असली नाम सतविंदर सिंह है। उसका जन्म 1993 में पंजाब के फिरोजपुर जिले स्थित एक गांव में हुआ था, जो पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है। उसके पिता हरियाणा पुलिस में सिपाही थे। जन्म के समय सतविंदर बेहद गोरा था इसलिए उसकी मां ने उसका नाम लॉरेंस रखा, वैसे भी लॉरेंस का मतलब होता है उज़्ज़वल या चमकीला। बिश्नोई ने अपने कॉलेज के दिनों में ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था। वह 2010 में डीएवी कॉलेज में पढऩे के लिए चंडीगढ़ चला गया। बाद में वह 2011 में पंजाब यूनिवर्सिटी कैंपस स्टूडेंट्स काउंसिल में शामिल हो गया। यहां उसकी मुलाकात गोल्डी बरार से हुई, जो एक और कुख्यात गैंगस्टर है।
दरअसल लॉरेंस ने छात्रसंघ का चुनाव लडऩे के लिए स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी नाम से एक संगठन भी बनाया था। इसके बाद उसने मुक्तसर गवर्नमेंट कॉलेज में छात्र संघ का चुनाव लड़ा, जिसमें उसे हार मिली।
आरोप है कि इस हार से लॉरेंस इतना बौखला गया कि उसने छात्रसंघ चुनाव के विजेता की गोली मारकर हत्या कर दी। जुर्म की दुनिया में लॉरेंस का यही पहला बड़ा कदम था और इसके एक साल के अंदर ही पुलिस उसके खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, अतिक्रमण, हमला और डकैती जैसे अपराध दर्ज कर चुकी थी। ये सभी मामले छात्र राजनीति से जुड़े थे।
इसके बाद लॉरेंस बिश्नोई गैंग के गुनाहों की किताब के हर पन्ने पर जुर्म की स्याही से वो कहानियां लिखी गईं, जिन्हें पढ़कर हर कोई खौफ में आ जाता है। सूत्रों की मानें तो देश के 11 राज्यों पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, झारखंड और गुजरात तक लॉरेंस के गुर्गे एक्टिव हैं। यानी इन राज्यों में लॉरेंस किसी की भी सुपारी ले सकता है, किसी को भी मौत के घाट उतार सकता है।
लॉरेंस बिश्नोई का गैंग सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि इसके तार कई देशों में है। अमेरिका, कनाडा, अजरबैजान, पुर्तगाल, यूएई, रूस तक लॉरेंस गैंग का नेटवर्क बना हुआ है। सूत्रों की मानें तो इन देशों से लॉरेंस अवैध हथियार की तस्करी करता है। ड्रग्स माफिया के साथ काम करता है। इतना ही नहीं भारत में लॉरेंस गैंग के जितने भी अपराध होते हैं उनके पीछे जो फंडिंग होती है। उसमें उगाही का पैसा बड़ी भूमिका अदा करता है। जैसे अवैध हथियार, ड्रग्स का धंधा, केबल ऑपरेटरों से उगाही, रेत माफिय़ा, शराब कारोबारियों और बिल्डरों से वसूली ऐसे तमाम काम हैं, जो लॉरेंस बिश्नोई का गैंग यानी उसके शूटर करते रहे हैं। कनाडा में हुई हरदीप सिंह निज़्जऱ की हत्या का आरोप अमेरिका में बैठा खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू भारत सरकार पर लगा रहा है। कनाड़ा लॉरेंस के गुर्गों की भी शरण स्थली बना हुआ है। जबकि लॉरेंस बिश्नोई खालिस्तान विरोधी है।
जेल में बैठकर भी यह तमाम माफिया अपने-अपने गुर्गों का संचालन करते हैं। ऐसा नहीं है कि लॉरेंस और दाउद के बीच में बहुत सारे गैंगस्टर नहीं रहे। बहुत सारे गैंगस्टर इस दरम्यान भी सामने आए और उन्होंने तमाम बड़ी-बड़ी वारदातों को अंजाम दिया। इनमें से कई अभी भी सलाखों के पीछे हैं। देखने लायक बात यह है की जेल के सीखचों के पीछे बैठे यह अपराधी तमाम बड़ी-बड़ी वारदातों को अंजाम देते हैं। एक लंबी फेहरिस्त है। कुछ लोग जेल में हैं तो कुछ लोग विदेश भाग गए हैं। वही उनके पाले हुए गुर्गे उनके नाम का फायदा उठाते हैं। लॉरेंस बिश्नोई हों, दाउद इब्राहिम हो या फिर गोल्डी बरार ऐसे लोगों की एक लंबी फेहरिस्त है। एक नजर देश के तमाम बड़े गैंगस्टर पर सुक्खा काहलवां गैंग, देवेंदर बंबीहा गैंग, बदन सिंह बद्दो, गुरबख्श सेवेवाला गैंग, जग्गू भगवानपुरिया गैंग, शहाबुद्दीन और अताउर्रहमान गैंग, अतीक अहमद, राघवेंद्र यादव गैंग, सभापति यादव एंड ब्रदर्स गैंग, गोंडर एंड ब्रदर गैंग है।
ये सारे गैंगस्टर मीडिया अटेन्शन के ज़रिए अपना रुतबा जेल में रहकर, विदेश में बैठकर क़ायम रखते हैं और अपने गुर्गों के ज़रिए वसूली करते हैं, आतंक फैलाते है। गैंगस्टर्स का मीडिया पर हो रहा महिमा मंडन ठीक नहीं है, यही कारण है कि तमाम कार्रवाईयों के बाद भी इनकी तादाद घटने का नाम नहीं ले रही है। अपराधी किसी का सगा नहीं होता है, हमें चाहिए कि हम अपनी पुलिस का समर्थन करें न कि अपराधियों का।