Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – कंट्रोवर्सी का कारोबार: जब रियलिटी शो ‘रियल’ नहीं, रणनीति बन जाते हैं

रियलिटी शो की बढ़ती कंट्रोवर्सी कोई संयोग नहीं, बल्कि सोची-समझी मार्केटिंग रणनीति है। कौन बनेगा करोड़पति से लेकर बिग बॉस तक हर विवाद, हर वायरल क्लिप दर्शक का ध्यान खींचने और टीआरपी बढ़ाने का साधन बन गया है। सोशल मीडिया अब इस प्रचार युद्ध का सबसे प्रभावी हथियार है।
समय बदल गया है, माध्यम बदले हैं, पर बाज़ार की मंश वही है — दर्शक का ध्यान खींचना, किसी भी कीमत पर। आज जब कौन बनेगा करोड़पति या बिग बॉस जैसे लोकप्रिय रियलिटी शो सोशल मीडिया पर ट्रेंड करते हैं, तो यह मान लेना भोलेपन की बात होगी कि यह सब अपने आप हो रहा है। यह सब योजनाबद्ध है एक सोची-समझी रणनीति, जिसके केंद्र में मनोरंजन नहीं, बल्कि टीआरपी और विज्ञापन हैं।
अमिताभ बच्चन के कौन बनेगा करोड़पति में हाल ही में एक जूनियर कंटेस्टेंट का एपिसोड चर्चा में रहा। बच्चे की आत्मविश्वास भरी बातों को लेकर सोशल मीडिया पर खूब प्रतिक्रियाएं आईं किसी ने इसे बदतमीज़ी कहा, किसी ने नयी पीढ़ी का आत्मविश्वास। लेकिन यह बात ध्यान देने योग्य है कि यह शो पहले से रिकॉर्ड होता है। हर शब्द, हर हावभाव एडिटिंग की कसौटी से गुजरता है। इसका अर्थ साफ़ है जो दिखाया गया, वह चैनल की इच्छा से दिखाया गया। अगर चैनल चाहता तो यह दृश्य कभी प्रसारित नहीं होता। ठीक यही कहानी बिग बॉस 19 की भी है।
सलमान खान पर पक्षपात के आरोप लगे। कुछ दर्शकों को लगा कि वह कुछ कंटेस्टेंट्स का पक्ष ले रहे हैं तो कुछ ने इसे शो का हिस्सा बताया। ख़ुद सलमान ने सफाई दी कि आप जो देखते हैं, वह पूरा सच नहीं होता। बहुत कुछ एडिट किया जाता है। असल में, ये सब वही कंटेंट है जो टीआरपी और चर्चा पैदा करता है। दर्शक को जितना भ्रम रहेगा कि उसने ‘कुछ बड़ा देख लिया, उतनी ही शो की लोकप्रियता बढ़ेगी।
अब मंच सिफऱ् टीवी तक सीमित नहीं। इंस्टाग्राम, यूट्यूब और एक्स (ट्विटर) पर किसी संवाद या झगड़े की छोटी-सी क्लिप डाल दी जाती है। फिर कुछ फैन पेज और ट्रेंड अकाउंट उसे हवा देते हैं, और देखते ही देखते यह वायरल हो जाता है। कई बार यह वही लोग होते हैं जो चैनल या प्रोडक्शन हाउस के इशारे पर सक्रिय रहते हैं।
कुछ दर्शक जेनुअली बहस करते हैं, कुछ सिफऱ् समय काटते हैं, और कुछ अनजाने में उसी प्रचार की डोर में बंध जाते हैं। पर नतीजा एक ही शो चर्चा में आता है और जहां चर्चा होती है, वहीं विज्ञापन पहुंचते हैं।
यह दौर ध्यान की अर्थव्यवस्था का है अटेंशन इकॉनामी। हर चैनल, हर ऐप, हर ब्रांड दर्शक का ध्यान खरीदना चाहता है। जितना बड़ा विवाद, उतनी बड़ी टीआरपी; जितनी बड़ी टीआरपी, उतना बड़ा मुनाफ़ा। कंट्रोवर्सी अब सिफऱ् विवाद नहीं रही, यह व्यापार की रणनीति है। कभी किसी एपिसोड में किसी प्रतियोगी की तीखी टिप्पणी छोड़ दी जाती है, कभी सलमान खान की कड़ी फटकार का प्रोमो जारी होता है और अगले ही दिन वही क्लिप सोशल मीडिया पर छा जाती है। दर्शक सोचता है उसने कुछ अनोखा देखा, जबकि वह वही देख रहा होता है जो पहले से तय किया गया था।
अब दर्शक भी अंधा नहीं रहा। उसे समझ आने लगा है कि कैमरे के सामने दिखाई जाने वाली भावनाएं और टकराव अक्सर कैमरे के पीछे तय किए जाते हैं। फिर भी वह लौटकर वही शो देखता है, क्योंकि उसे मनोरंजन चाहिए। और यही बात चैनल जानता है वह दर्शक की कमजोरी को ही अपनी ताक़त बना चुका है।
रियलिटी शो अब केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि ब्रांड प्रमोशन और विज्ञापन की प्रयोगशाला बन चुके हैं। सोशल मीडिया इस रणनीति का नया औज़ार है, जहां हर बहस, हर ट्वीट और हर झगड़ा टीआरपी का ईंधन बन चुका है। चाहे केबीसी का बच्चा हो या बिग बॉस का कंटेस्टेंट इनके पीछे लक्ष्य एक ही है दर्शक का ध्यान बनाए रखना, ताकि शो चलता रहे और विज्ञापन बढ़ते रहे।
यह कंट्रोवर्सी नहीं, बल्कि एक बाज़ारू नाटक है।
जहां दर्शक दर्शक नहीं, बल्कि एक संख्या बन चुका है,
और हर विवाद, हर ड्रामा उसी संख्या को गिनने की चाल है।

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