:राजकुमार मल:
भाटापारा- सुपर सीडर की लीजिए मदद। करें उपयोग मल्चिंग के लिए।
बनाई जा सकती है कंपोस्ट खाद। बनाना चाहते हैं खाद, तो बायो डीकंपोजर की लें सहायता।
एक और विधि, इन सीटू मैनेजमेंट भी है। यह पांच ऐसे देसी जुगाड़ हैं, जिनकी मदद से
आसानी से पराली प्रबंधन किया जा सकता है।

दिन करीब आ रहें हैंं खरीफ फसल की कटाई के। अलर्ट हैं सरकारी एजेंसियां पराली प्रबंधन की जानकारी किसानों तक पहुंचाने के लिए। इस बीच कृषि वैज्ञानिकों ने पांच ऐसे देसी जुगाड़ की जानकारी किसानों से साझा की है, जिनकी मदद से न केवल पराली जलाने से होने वाली समस्या से छुटकारा मिलेगा बल्कि एक ऐसी खाद की आसान उपलब्धता तय होगी। जिससे मिट्टी की सेहत प्राकृतिक रूप से बनी रहेगी।
लोकप्रिय है सुपर सीडर मशीन
पराली प्रबंधन के महत्वपूर्ण उपायों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है जीरो टिलेज या सुपर सीडर मशीन। यह मशीन फसल अवशेष को बारीक टुकड़ों में विभक्त करती है। यह टुकड़े आसानी से खेतों की मिट्टी में मिल जाते हैं, जो बारिश के दिनों में स्वाभाविक रूप से सड़ कर खाद बन जाते हैं।

बेहद आसान यह विधि
पराली का उपयोग पशु चारा और मवेशियों के बिछावन के रूप में किया जा सकता है। इसके अलावा मशरूम की खेती के लिए मल्चिंग का भी काम करता है पराली। यह दोनों विधियां खेतों में नमी बनाए रखने में मदद करती हैं और हां, यदि पराली से कंपोस्ट खाद बनाएं, तो बाजार से खरीदे जाने वाले रासायनिक उर्वरकों के खर्चे से बचा जा सकता है।
बायो डीकंपोजर और इन सीटू सिस्टम
पराली से खाद बनाने के लिए किसान पराली का ढेर बनाकर उसमें बायो डीकंपोजर या गोबर का घोल बनाकर छिड़काव करें। कुछ ही सप्ताह में पराली गलकर खाद में बदल जाती है। इन सीटू वह विधि है जिसमें रोटावेटर या मल्चर की सहायता से पराली को छोटे टुकड़ों में विभक्त कर मिट्टी में मिलाया जाता है। बाद में बायो डीकंपोजर का छिड़काव, सड़ने में मदद करता है। इस विधि से तैयार होती है जैविक खाद।

मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है पराली
पराली प्रबंधन से न केवल प्रदूषण घटता है बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है। सुपर सीडर, मल्चर और बायो डीकंपोजर जैसी तकनीकें पराली को खाद में बदलकर मिट्टी की सेहत सुधारती हैं। यह पर्यावरण अनुकूल व किफायती उपाय हैं, जिन्हें किसानों को अपनाना चाहिए।
:डॉ. प्रमेंद्र कुमार केसरी, सीनियर साइंटिस्ट (सॉइल साइंस), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर:
