साइक्लोन ‘मोंथा’ का कहर भी नही डिगा पाया हौसला..उपज बचाने जी जान से जुटा किसान परिवार

धान में बाली आ चुकी थी, लेकिन अभी दाने पूरी तरह परिपक्व नहीं हुए थे। ऐसे में यदि फसल को खेत में ऐसे ही छोड़ दिया जाता, तो उसमें पाखड़ और बदरा लगने से पूरी फसल सड़ जाती। पर इस किसान ने हिम्मत नहीं हारी।

तेज हवा और लगातार वर्षा के बाद खेतों में धान की बाली मिट्टी में दब गई थी। किसान ने परिवार सहित खेत में उतरकर गिरे हुए धान को फिर से खड़ा करने का निश्चय किया। पांव तक कीचड़ में धंसे हुए, सिर पर आसमान से गिरती बूंदों के बीच, पूरा परिवार लगातार दो दिनों से धान की बाली उठाकर गन्ने के घेरे जैसी बधाई करने में जुटा है।

किसान बताते हैं  “धान को ऐसे ही छोड़ देते तो सब सड़ जाता। अब जब तक जान है, कोशिश करेंगे कुछ बचा लें।”

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