:राजकुमार मल:
भाटापारा – ज्यादातर समय ठंड का प्रभाव सीमित रहेगा। रात में ठंड कुछ ज्यादा
महसूस की जाएगी लेकिन पारिस्थितिकी पैटर्न प्रभावी रहे,
तो कुछ दिन ज्यादा ठंड पड़ सकती है। छत्तीसगढ़ मध्य भारत का राज्य है
और यहां हिमालयीय ठंड जैसे प्रभाव नहीं पड़ते लेकिन पिछले मौसम के
आंकड़े सामान्य जलवायु से मिलते रुझान से अनुमान है कि 2025 की ठंड
को ‘मध्यम से हल्की ठंड’ के रूप में ही देखना होगा। बीच के कुछ दिन ‘गहरी ठंड’ की संभावना है।
सीमित प्रभाव ठंड का
बीते बरस के आंकड़े और पारिस्थितिकी पैटर्न यह स्पष्ट कर रहे हैं कि नवंबर से फरवरी के मध्य शीत ऋतु के दिनों में ठंड का प्रभाव तो सीमित रहेगा लेकिन रात में ज्यादा महसूस की जाएगी। कुछ सुबह, सामान्य से ज्यादा ठंड पड़ सकती है लेकिन मैदानी क्षेत्र में असर कम रहने का पूर्वानुमान है क्योंकि अपना छत्तीसगढ़ मध्य भारत का राज्य है, जहां हिमालयीय ठंड जैसी प्रभाव नहीं होते।

इन जिलों में सतर्कता वांछनीय
अधिक ऊंचे और उत्तरी छत्तीसगढ़ में आने वाले जिले जशपुर नगर, कोरिया, सुरजपुर जिले राज्य के अन्य जिलों की तुलना में ज्यादा ठंड का अनुभव करते हैं। यह जिले कोल्ड वेव के प्रभाव में रहते हैं। यह प्रभाव इस बरस भी बने रहने का पूर्वानुमान मौसम वैज्ञानिक व्यक्त कर रहे हैं। इस अवधि में मवेशी और फसलों की सुरक्षा पर अतिरिक्त रूप से ध्यान देना होगा।

शीत ऋतु में भी अलर्ट
सामान्य से थोड़ी ज्यादा ठंड रह सकती है इसलिए ग्रीन या यलो की स्थिति रहने की संभावना है। 8 डिग्री सेल्सियस तापमान की स्थिति में ऑरेंज अलर्ट जारी होता है लेकिन इसकी संभावना भी कम ही है। रेड अलर्ट की स्थिति फिलहाल नहीं के बराबर है क्योंकि पिछले आंकड़े यह स्पष्ट नहीं करते। इसके बावजूद पहाड़ी क्षेत्रों को सतर्कता के साथ आपात स्थिति में बचाव के उपाय अभी से करने होंगे।
दिन सामान्य रहेंगे
इस बार छत्तीसगढ़ की ठंड हल्की दस्तक देगी — न बहुत तीखी, न बहुत सुस्त।
दिन सामान्य रहेंगे, पर रातें थोड़ी कांपने जैसी हो सकती हैं। जशपुर, कोरिया और सुरजपुर में
सर्द हवाएं जरूर अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगी। मौसम का मूड ग्रीन से यलो अलर्ट तक
सीमित रहने की उम्मीद है, जबकि रेड अलर्ट जैसी कड़ाके की ठंड दूर ही रहेगी।
किसानों को सलाह है — फसलों और पशुओं के लिए पहले से गरम इंतज़ाम कर लें,
ताकि ठंडी सुबहें मुस्कान के साथ बीतें।
:डॉ. एस.आर.पटेल, रिटायर्ड साइंटिस्ट (एग्रोनॉमी), इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर: