Chhattisgarh Special News : शिवनाथ ने किया अनाथ…मामला जानने पढ़िये पूरी खबर
अगस्त की आफत
अगस्त महीने में राज्य में हुई झमाझम बारिश से एक ओर जहां मौसम खुशगवार हुआ। वहीं तमाम इलाकों में उफान पर आए नदी और नालों ने जमकर तुफान मचाया। गांव गली से लेकर लोगों के रसोई घरों तक घुसा पानी।
Also read :5G Spectrum 5 जी स्पेक्ट्रम के लिए एयरटेल ने चुकाये जानिए कितने करोड़
राज्य के बैराज का पेट इतना कस गया कि मजबूरन पानी छोड़ना पड़ा। राज्य के 4 बड़े बैराज मोगरा, सूखा नाला, घुमरिया तालाब और खरखरा से 1.15 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
इसके साथ ही साथ बारिश का पानी भी नदियों और नालों में पहले से ही भरा हुआ था।
जैसे ही इतनी बड़ी मात्रा में पानी बैराजों से नदियों में छोड़ा गया। नदियांे के पानी ने तेजी से उछाल मारी।
आलम ये हुआ कि शिवनाथ नदी का पानी खतरे के निशान से 15 फीट उपर उछल गया।
Also read :Health superfood सेहत के लिए पोषक तत्वों से भरपूर सुपरफूड है कच्चा नारियल
लगातार बढ़ते जल स्तर के कारण लोगों को दिक्कतें आने लगीं। इसके बाद तो एनडीआरएफ की टीम ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी। पानी में फंसे लोगों को निकालने के लिए टीम के सदस्यों ने एड़ी- चोटी का जोर लगा दिया।
जो जहां भी फंसा हुआ हो। उसको बचाने के लिए उन्हीं इलाकों में पहुंच कर लोगों को बचाने का सिलसिला जारी हो गया।
लोगों के घरों में पानी भरने से उनके खाने-पीने का सामान भी नष्ट हो गया। लोग अपनी सुरक्षा को लेकर लोग इधर-उधर भागने लगे। जो अधिक जल प्रवाह की चपेट में बचने की फिराक में घरों से नहीं निकले।
उनको एनडीआरएफ की टीम के सदस्यों ने जाकर रेस्क्यू किया। शहरों से लेकर गांवों की गलियों तक में पानी भरा हुआ है
। इस पानी के चक्कर में लोगों का जीना दूभर होता जा रहा है। यही पानी जब भू-गर्भ के जल स्रोतों में जाकर मिलेगा, तो
लोगों में जल जनित बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ जाएगा। इससे बचने के लिए भी शासन- प्रशासन को तैयार रहना होगा।
बाढ़ की समस्या कोई नई बात तो नहीं है। यह साल दर साल होने वाली एक सर्व विदित समस्या है। शासन- प्रशासन के
साथ ही साथ तमाम सामाजिक संगठनों का भी ये दायित्व बनता है कि वे भी ऐसी समस्याओं ने निपटने में अपनी -अपनी
भागीदारी सुनिश्चित करें। असल में होता ये है कि बाढ़ गई तो बात गई, की तर्ज पर हम काम करने के आदी हो चुके हैं।
यही कारण है कि कुछ समस्याएं लगातार साल दर साल बनी हुई हैं। इसी साल बाढ़ आई है ऐसा तो नहीं है।
हमें बारिश शुरू होने के पहले ही बाकायदा एक बैठक लेकर अवाम की तमाम जरूरतों की समीक्षा करनी होगी। शासन –
प्रशासन के साथ ही साथ आम अवाम की जरूरतों को पूरी करने वाली संस्थाओं, सामाजिक संस्थाओं और समाजसेवियों की
जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए, ताकि लोगों को ऐसी परेशानियों से बचाया जा सके।