बलौदाबाजार। बारनावापारा वन्यजीव अभ्यारण्य में आयोजित बटरफ्लाई मीट के दौरान छात्रों और शोधकर्ताओं की टीम ने बटरफ्लाई के जीवन चक्र को पूरा होते देखा। इससे जहां प्रतिभागियों में भारी उत्साह देखने को मिला वहीं अधिकारियों को जब इस विषय की जानकारी हुई तो कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे आईएफएस अधिकारी भी भारी उत्साहित नजर आए।
बारनवापारा अभ्यारण्य में बटरफ्लाई मीट के आयोजन का उद्देश्य अभ्यारण्य के पारिस्थितिकी तंत्र और तितलियों की विविधता का अध्ययन करना था। यहां के जैवविविधता को समझने और उसे संरक्षित करने के उद्देश्य से आयोजित इस मीट में छात्रों, पर्यावरणविदों और शोधकर्ताओं ने मिलकर तितलियों की विभिन्न प्रजातियों का सर्वेक्षण किया। वन विभाग का लक्ष्य न केवल तितलियों की नई प्रजातियों की पहचान करना था, बल्कि उनके संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाना भी था। मीट के दौरान, टीम ने कुछ ऐसी तितली प्रजातियों की खोज की, जिन्हें दो साल पहले अभ्यारण्य में दर्ज किया गया था। इन नई प्रजातियों की पहचान से अभ्यारण्य के पारिस्थितिक तंत्र की समृद्धि और विविधता का संकेत मिलता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन नई तितलियों का अध्ययन करने से पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद मिलेगी। मीट के समापन पर वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजीता गुप्ता आईएफएस,मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) एवं क्षेत्र संचालक उदन्ती सीतानदी टायगर रिवर्ज रायपुर सातोविशा समाजदार आईएफएस और डीएफओ मयंक अग्रवाल आईएफएस शामिल हुए।
कार्यक्रम के बाद इन्हें रायपुर के शोधकर्ता गौरव ने आयोजन स्थल पर्यटक ग्राम में बटरफ्लाई के जीवन चक्र से अधिकारियों एवं विधार्थियो को रूबरू कराया जिससे भारी उत्साह देखने को मिला,
अधिकारियों ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राष्ट्रीय कार्यक्रम हो जाने की वजह से इस आयोजन में देरी हुई है, अगली बार से कार्यक्रम को थोड़ा जल्दी करेंगे साथी उन्होंने चिड़ियों की गणना की आयोजन करने की बात कही। बारनवापारा अभ्यारण्य के अधीक्षक आनंद कुदरया, परिक्षेत्र अधिकारी बारनवापारा सुनिल खोब्रागढ़े, परिक्षेत्र अधिकारी कोठारी जीवन लाल साहू, परिक्षेत्र सहायक बारनवापारा गितेश बंजारे, परिक्षेत्र सहायक रामपुर गोपाल प्रसाद वर्मा, पूर्णिमा वर्मा, नंद कुमार बघेल, नेहरू राम निषाद ने
प्रतिभागियों को बारनवापारा अभ्यारण्य के अलग अलग स्थानों का दौरा कराया गया।
संरक्षण के प्रयासों की दिशा में एक कदम
नई प्रजातियों की पहचान के साथ, अभ्यारण्य प्रबंधन अब तितलियों के संरक्षण के लिए नए कदम उठा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि तितलियों की विविधता को समझना और उन्हें संरक्षित करना पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
मुख्य वन संरक्षक सातोविशा समाजदार ने कहा कि जंगल को जंगल की तरह रखना जरूरी है तितलियाँ और पक्षी वातावरण में होने वाले परिवर्तन की पहले ही सूचना दे देती है आज पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है जिसको बचाने के लिए जंगल का होना आवश्यक है बगीचे से काम नहीं चलेगा। पशु पक्षियों के साथ जंगल नितांत आवश्यक है।
समापन समारोह पर प्रतिभागियों ने कहा कि इस सम्मेलन में आकर यही पता चला कि जितना अच्छा वातावरण होगा उतनी ज्यादा बटरफ्लाई और तितलियां मिलती हैं। सम्मेलन में पहले दिन 45 और दूसरे दिन 35 प्रजाति की तितलियां पाई गई। इस बार तितलियों की प्रजाति काम मिला और प्रतिभागियों की संख्या भी काम रही क्योंकि आयोजन देर से किया गया। हालांकि प्रतिभागियों को बैंगलोर के तरुण कर्मकार ने बटरफ्लाई के बारे में ऑनलाइन ट्रेनिंग दिया। इस दौरान प्रतिभागियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी।
मुख्य वन संरक्षक संजीता गुप्ता ने बताया कि हम प्रयास कर रहे हैं कि दिसंबर माह में बर्ड सर्वे का आयोजन हो। बारनवापारा अभ्यारण्य में पक्षी विहार बनाया गया है जहां पर बड़ी संख्या में स्थानीय पक्षी हर समय मौजूद रहते हैं इसकी अलावा ठंड के मौसम में विदेशी पक्षियों का आगमन भी होता है इसलिए इस बार पक्षियों की गणना भी की जाएगी यह गणना दिसंबर और जनवरी माह के मध्य किया जाएगा। इस आयोजन में स्कूल और कॉलेज के छात्र-छात्राओं को शामिल करने का प्रयास किया जाएगा।
विशेषज्ञों ने कहा कि क्लाइमेट चेंज हो रहा है। शहर में पार्क और गार्डन बनाए जा रहे हैं। जंगल तबाह किए जा रहे हैं। जबकि जरूरत जंगल को बचाने की है। इस तरह के आयोजन से लोग जंगल को जान सकेंगे और जंगल बचाने के लिए काम कर सकेंगे। क्योंकि प्रदूषण ज्यादा होने से बटरफ्लाई कम हो जाती हैं। चिड़िया और बटरफ्लाई से दोस्ती कर लेने पर स्वयं पर्यावरण सुरक्षित हो जाएगा।