Bribe for recognition of Medical : मेडिकल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की मान्यता के लिए रिश्वत…रेरा चेयरमैन समेत स्वामी भक्तवत्सलदास पर भी मामला दर्ज

रायपुर। रावतपुरा सरकार मेडिकल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की मान्यता के मामले में रावतपुरा सरकार के बाद अब उनके भक्तों पर सीबीआई का शिकंजा कस रहा है। रेरा के चेयरमैन और पूर्व आईएफएस संजय शुक्ला के खिलाफ भी सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है। प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की मान्यता के इस बड़े घोटाले में गुजरात के स्वामी भक्तवत्सलदास का नाम भी आया है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी लीडर की बेटी डॉ शिवानी अग्रवाल पर भी एफआईआर दर्ज हुई है। जानकारी के मुताबिक इस साल रावतपुरा इंस्टीट्यूट में जीरो ईयर घोषित हो सकता है।
नेता,अफसर,स्वामी का गठजोड़  प्राइवेट कॉलेजों को मान्यता देने के इस घोटाले में बड़ा गठजोड़ सामने आया है। इस पूरे नेक्सस में नेता,अफसर,स्वामी और उद्योगपतियों का बड़ा गठबंधन है। रावतपुरा सरकार रविशंकर महाराज के खिलाफ सीबीआई की एफआईआर दर्ज होने के बाद कई और बड़े नाम सामने आए हैं जिन पर इस मामले में शामिल होने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है। छत्तीसगढ़ के रेरा चेयरमैन और आईएफएस अफसर रहे संजय शुक्ला के खिलाफ भी एपआईआर दर्ज की गई है। संजय शुक्ला लंबे समय से रावतपुरा सरकार से जुड़े हुए हैं। रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट से जुड़े होने के कारण ही संजय शुक्ला के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

बीजेपी लीडर की बेटी भी शिकंजे में
उत्तरप्रदेश की पूर्व एमएलसी मेंबर और बीजेपी लीडर डॉ सरोजनी अग्रवाल की बेटी डॉ शिवानी अग्रवाल भी आरोपियों में शामिल है। मेरठ के एनसीआर मेडिकल एंड रिसर्च सेंटर की असिस्टेंट मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ शिवानी अग्रवाल का नाम भी जांच में आया है। शिवानी की बहन हिमानी उप्र महिला आयोग की सदस्य हैं। डॉ शिवानी इस मेडिकल कालेज का संचालन कर रही हैं। वे रेडियोलॉजी की एचओडी भी हैं। इनके खिलाफ भी सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है।

 

टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज के चेयरमैन भी आरोपी
आरोपियों की लिस्ट में डीपी सिंह का नाम भी है। वे टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज, मुंबई के चेयरमैन हैं। जानकारी के मुताबिक डीपी सिंह उत्तर प्रदेश सरकार में शिक्षा सलाहकार के रूप में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यह भी बताया जाता है कि डीपी सिंह यूपीएससी (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) के सदस्य भी रह चुके हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त बताई जाती है।

गुजरात के स्वामी भक्तवत्सलदास पर भी एफआईआर
आरोपियों की इस सूची में बड़े बड़े नाम सामने आ रहे हैं। छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, राजस्थान,उत्तरप्रदेश,मध्यप्रदेश के बाद अब गुजरात का नाम भी जुड़ गया है। गुजरात का नाम आना बेहद मायने रखता है। स्वामीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च गांधीनगर गुजरात के स्वामी भक्तवत्सलदास भी सीबीआई के आरोपी हैं।

रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट में जीरो ईयर
मान्यता के लिए रिश्वत देने का भंडाफोड़ होने के बाद श्री रावतपुरा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है। इस साल जीरो ईयर घोषित हो सकता है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग इस मामले में कार्रवाई करने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि इस साल कॉलेज में फर्स्ट ईयर कोई भी एडमिशन नहीं होगा। अभी तो यह शुरुवात है। ऐसा माना जा रहा है कि रावतपुरा सरकार से जुड़े कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं। जानकारी में ये सामने आया है कि मेडिकल के नाम पर यहां बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा था। जो छात्र नीट परीक्षा में पास नहीं हो पाते थे उनको मोटी फीस पर प्रबंधन कोटे से इस मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दे दिया जाता था। इसकी फीस ढाई करोड़ तक बताई जाती है।
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रावतपुरा सरकार विश्विद्यालय का नया कारनामा, अवैध संस्था से 3 गुना फीस बढ़वा, छात्रों से वसूल रहा
रायपुर। मेडिकल कॉलेज में निरीक्षण और पॉजिटिव रिपोर्ट तैयार करने के मामले में घूस देने के आरोप में पकड़े गए रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय का एक और कारनामा सामने आया है। विश्वविद्यालय का एक फार्मेसी कॉलेज भी है। जो की श्री रावतपुरा इंस्टिट्यूट ऑफ़ फार्मेसी के नाम से भिलाई दुर्ग में संचालित है। इस फार्मेसी इंस्टिट्यूट में फीस तय करने में भी प्रबंधन ने बड़ी गड़बड़ी की थी। फीस बढ़ाने के लिए निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग से अनुशंसा कराई थी।
संस्था ने निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग से सांठ गांठ कर डी फार्मा, बी फार्मा और एम फार्मा के लिए सालाना फीस 1 लाख बीस हजार रुपए तय करवा ली थी। इसी के आधार पर वे छात्रों से फीस भी वसूल रहे थे। जबकि हकीकत में विश्वविद्यालय विनियामक आयोग को साल 2008 के बाद व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की फीस तय करने का अधिकार ही नहीं है।

वास्तविक फीस 39,300 रुपये
व्यावसायिक पाठ्यक्रम ऑन के लिए साल 2008 के बाद प्रवेश तथा फीस विनियामक समिति ही वैधानिक समिति है। जो व्यावसायिक पाठ में संचालित करने वाले सभी प्राइवेट और सरकारी कॉलेज की फीस तय करती है। इसी के आधार पर राज्य शासन आदेश निकलती है। इसके द्वारा श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट आफ फार्मेसी कॉलेज के लिए साल 2024- 25, 25-26 और 26-27 के लिए फार्मेसी से जुड़े सभी विषयों की सालाना फीस 39300 तय की है। यानी इंस्टिट्यूट अपनी ऊंची पहुंच का हवाला देते हुए छात्रों से तीन गुना से भी ज्यादा फीस वसूल रही थी।
छग शासन का लोगो दिखाकर गुमराह की कोशिश
मिले दस्तावेज यह पता चल रहा है कि इस गड़बड़ी में न केवल श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय दोषी है बल्कि निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग की कार्य प्रणाली भी जांच का विषय है। साल 2008 के बाद जब इन्हें किसी व्यावसायिक पाठ्यक्रम के फीस तय करने का अधिकार नहीं है तो आखिर किस आधार पर इन्होंने सितंबर 2024 में श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय को बी फार्मा, डी फार्मा, एम फार्मा के अलावा बी टेक, फैशन टेक्नोंलॉज़ी सहित 11 कोर्स की फीस किया