मंदी की धारणा से उपभोक्ता मांग स्थिर
राजकुमार मल
भाटापारा। 160 रुपए किलो। टूटती कीमत को देख उपभोक्ता मांग में जबर्दस्त गिरावट आ चुकी है। सही ही है यह स्थिति क्योंकि नई अरहर दाल में आवक पखवाड़े भर बाद शुरू होने की खबर है। वैसे दलहन की लगभग सभी किस्मों में मंदी की धारणा है।
अरसे बाद अरहर की दाल राहत देने वाली स्थिति में आने लगी है। ऐसे में भरपूर तो नहीं लेकिन रुको और देखो जैसी नीति पर अमल करता नजर आ रहा है उपभोक्ता। अपेक्षित मांग उड़द और मूंग दाल में निकलने की संभावना बन रही है क्योंकि घरों में बड़ी- बिजौरी बनाने की तैयारी शुरू होती नजर आ रही है।
अब थाली में नजर आएगी
160 रुपए किलो पर आ चुकी अरहर की दाल में नई आवक पखवाड़े बाद आने की खबर है। खबर मात्र से ही उपभोक्ता मांग गिरावट की राह पकड़ चुकी है क्योंकि भाव में और भी टूट की संभावना व्यक्त कर रहा है दलहन बाजार। वैसे धारणा के अनुसार कीमत प्रति किलो 140 से 145 रुपए तक जा सकती है। इसलिए हॉटल और रेस्टोरेंटों की मांग में भी कमी देखी जा रही है।
इसलिए उड़द और मूंग
सीजन है घरेलू सब्जियों का। लिहाजा परंपरागत बड़ी- बिजौरी बनाने के लिए मूंग, उड़द दाल में हल्की पूछ-परख शुरू हो रही है। अच्छी बात यह है कि दलहन यह दोनों किस्में क्रयशक्ति के भीतर ही है। स्थिर मांग के बीच धुली हुई मूंग दाल 105 रुपए और धुली हुई उड़द दाल 112 रुपए किलो की कीमत पर शांत है। नई फसल की स्थिति को देखते हुए तेजी की धारणा से मुक्त हैं दलहन की यह दोनों प्रजातियां।
राहत इन तीनों से भी
बोनी का समय है चना और तिवरा में। कमोबेश मसूर में भी यही स्थिति है लेकिन भरपूर उपलब्धता की वजह से चना की दाल 85 रुपए किलो पर स्थिर है, तो तिवरा की दाल 65 से 66 रुपए किलो बोली जा रही है। 70 से 75 रुपए किलो पर होने की वजह से मसूर दाल में संतोषजनक मांग बनी हुई है। विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों से डिमांड बढ़त का संकेत दे रही है।