राष्ट्रीय मुक्तिबोध नाट्य समारोह 12 नवंबर से… अवधेश बाजपेयी की कलाकृतियां होंगी आकर्षण का केंद्र

अवधेश बाजपेयी की रचनाएं राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय आर्ट गैलरियों के अलावा शांति निकेतन, भारत भवन और अन्य प्रतिष्ठित कला-केंद्रों में सुशोभित हो रही हैं। वे अपनी कलाकृतियों में मुक्तिबोध, हरिशंकर परसाई, नागार्जुन जैसे शीर्षस्थ कवियों-कथाकारों को केंद्र में रखते हैं। परसाई की जन्म शताब्दी पर उनकी पेंटिंग्स से प्रेरित कैलेंडर ने खासी चर्चा बटोरी थी।

उनके चित्रों में विज्ञानात्मक अवधारणाओं का समावेश देखने को मिलता है, विशेष रूप से ‘डॉटिज्म’ शैली, जो बिंदुओं, आकारों और अणुओं से प्रेरित है। उनकी कलाकृतियां ‘मनुष्य की चेतना’ को संवेदनशील बनाने का प्रयास करती हैं, जिसमें आंतरिक अनुभव, चेतना और भावनाएं प्रमुखता से उभरती हैं।

चार दशकों से अधिक समय से चित्रकला के क्षेत्र में सक्रिय अवधेश बाजपेयी की यह प्रदर्शनी रायपुरवासियों के लिए एक दुर्लभ अवसर होगी। 12 नवंबर से शुरू हो रही इस प्रदर्शनी में कला प्रेमी उनके कार्यों की बारीकियों को करीब से निहार सकेंगे।

आयोजकों का कहना है कि नाट्य समारोह और कला प्रदर्शनी का यह संयोजन साहित्य, नाटक और चित्रकला के बीच एक अनोखा सेतु स्थापित करेगा।

समारोह में देशभर से नाट्य मंडलियां भाग लेंगी और मुक्तिबोध की रचनाओं पर आधारित प्रदर्शन होंगे। कला और साहित्य के इस महाकुंभ में शामिल होने के लिए शहरवासियों में उत्साह देखा जा रहा है।

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