भारत के लिए गर्व का पल है। यूनेस्को ने देश के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक दीपावली को अपनी अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (Intangible Cultural Heritage) की प्रतिनिधि सूची में शामिल कर लिया है। यह फैसला यूनेस्को की अंतरसरकारी समिति की अहम बैठक में लिया गया, जिससे भारतीय संस्कृति को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिली है।
क्यों है यह फैसला महत्वपूर्ण?
दीपावली भारत की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत का प्रतीक है।
- यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय,
- असत्य पर सत्य की जीत,
- और सद्भाव व एकता के संदेश को मजबूत करता है।
यूनेस्को का यह निर्णय भारतीय परंपराओं को वैश्विक मंच पर संरक्षित और प्रतिष्ठित करने में अहम भूमिका निभाएगा।
दिल्ली के लाल किले में हुआ घोषणा का ऐतिहासिक क्षण
दीपावली को यूनेस्को सूची में शामिल किए जाने की घोषणा दिल्ली स्थित लाल किले में हो रहे यूनेस्को की अंतरसरकारी समिति के 20वीं बैठक के दौरान हुई। बैठक 8 दिसंबर से 13 दिसंबर तक आयोजित की जा रही है।
यह पहली बार है जब भारत इस सत्र की मेजबानी कर रहा है।
घोषणा होते ही कार्यक्रम स्थल पर ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे गूंज उठे।

PM मोदी ने कहा—“दीपावली हमारी सभ्यता की आत्मा”
यूनेस्को के फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा—
“यह निर्णय भारत और दुनियाभर के लोगों के लिए खुशी का अवसर है। दीपावली हमारी संस्कृति और लोकाचार से गहराई से जुड़ी हुई है। यह प्रकाश और धर्मनिष्ठा का प्रतीक है। यूनेस्को की सूची में शामिल होने से दीपावली की वैश्विक लोकप्रियता और बढ़ेगी। प्रभु श्री राम के आदर्श हमें सदैव प्रेरणा देते रहेंगे।”
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा—“भारत के लिए ऐतिहासिक दिन”
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक्स पर लिखा—
“भारत के लिए ऐतिहासिक दिन। दीपावली को आधिकारिक तौर पर यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कर लिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सांस्कृतिक विरासत को अभूतपूर्व वैश्विक पहचान मिल रही है।”
उन्होंने कहा कि यह सम्मान दीपावली के सार्वभौमिक संदेश—
- निराशा पर आशा की विजय,
- विभाजन पर सद्भाव की जीत,
- और सभी के लिए प्रकाश
का प्रतीक है।
भारत के 15 सांस्कृतिक तत्व अब यूनेस्को की सूची में
दीपावली के शामिल होने के साथ ही अब भारत के 15 तत्व यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची का हिस्सा बन गए हैं। इनमें शामिल हैं—
- कुम्भ मेला
- कोलकाता की दुर्गा पूजा
- गुजरात का गरबा
- योग
- वैदिक मंत्रपाठ
- रामलीला
- और अन्य पारंपरिक कला–संस्कृति तत्व