रायपुर। छत्तीसगढ़ में जबरन और प्रलोभन आधारित मतांतरण की बढ़ती शिकायतों के बीच विष्णु देव साय सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। आगामी विधानसभा के शीतकालीन सत्र (14 से 17 दिसंबर) में सरकार कठोर मतांतरण विरोधी विधेयक पेश करेगी। मुख्यमंत्री बनने के बाद साय द्वारा किए गए वादे को पूरा करने की दिशा में इसे एक अहम पहल माना जा रहा है।
राज्य सरकार ने नए कानून के मसौदे के लिए ओडिशा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित नौ राज्यों के धर्म स्वतंत्रता अधिनियमों का अध्ययन किया है। पांच पेज के मसौदे में कुल 17 महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए गए हैं। प्रस्तावित विधेयक में प्रलोभन, धोखाधड़ी, दबाव या किसी भी प्रकार की जबरदस्ती से कराए गए मतांतरण को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
यह नया कानून छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 को प्रतिस्थापित करेगा। पुराने कानून में जबरन मतांतरण के मामले में केवल एक वर्ष की सजा और 5,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान था। राज्य के बस्तर, जशपुर, रायगढ़ जैसे आदिवासी बहुल इलाकों में प्रलोभन देकर ईसाई धर्मांतरण के आरोप लंबे समय से विवाद का विषय रहे हैं। कई स्थानों पर यह मुद्दा गुटीय संघर्ष का रूप ले चुका है, जिसका असर कानून-व्यवस्था पर भी पड़ा है।