रायपुर। छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में जेल में बंद पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, पूर्व आईटीएस अधिकारी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। अब वे झारखंड के चर्चित शराब घोटाले की जांच में भी फंसते नजर आ रहे हैं। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने कार्रवाई शुरू करते हुए पूछताछ की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी है।
झारखंड के शराब घोटाले की जांच पहले एसीबी कर रही थी। इसी आधार पर दर्ज कांड संख्या 9/2025 को अपनाते हुए ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत ECIR नंबर 10/2025 दर्ज कर दी है। ईडी की इस कार्रवाई के साथ मामला अब मनी लॉन्ड्रिंग जांच के दायरे में आ गया है।
ईडी ने आरोपियों से पूछताछ की अनुमति रांची स्थित विशेष पीएमएलए अदालत से मांगी थी। अदालत ने एजेंसी को जेल में बंद आरोपियों से पूछताछ करने और उनके बयान दर्ज करने की अनुमति दे दी है। ईडी के आवेदन की फाइलिंग संख्या 11431/2025 और पंजीकरण संख्या 10/2025 दर्ज की गई है।
यह मामला मूल रूप से आर्थिक अपराध शाखा द्वारा अरगोड़ा थाना क्षेत्र के निवासी विकास सिंह के बयान पर दर्ज किया गया था। सिंह ने छत्तीसगढ़ के अधिकारियों अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी और अन्य पर शराब नीति में गड़बड़ी कर छत्तीसगढ़ सरकार को अरबों रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था। इसके बाद एसीबी रांची ने प्रारंभिक जांच शुरू की और आगे चलकर एक नियमित प्राथमिकी दर्ज की।
जांच के दौरान एसीबी ने पूर्व आबकारी सचिव विनय चौबे और संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह से कई दौर की पूछताछ की। प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर दोनों अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और बाद में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया। इस मामले में अब तक एक दर्जन से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जिनमें से कुछ आरोपी जमानत पर हैं। एसीबी अपनी अलग जांच जारी रखे हुए है।
ईडी के हस्तक्षेप के बाद झारखंड शराब घोटाले की जांच नए चरण में पहुंच गई है। छत्तीसगढ़ के तीनों प्रमुख आरोपियों को अब इस मामले में भी पूछताछ का सामना करना पड़ेगा।