मुख्यधारा में लौटे 41 माओवादी… 1 करोड़ 19 लाख का था इनाम

इनमें 12 महिला और 29 पुरुष शामिल हैं, जिन पर कुल 1 करोड़ 19 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

साउथ सब जोनल ब्यूरो के 39 माओवादी शामिल

आत्मसमर्पण करने वालों में DKSZC, तेलंगाना स्टेट कमेटी, धमतरी–गरियाबंद–नुआपाड़ा डिवीजन, और विभिन्न एरिया कमेटियों से जुड़े माओवादी शामिल हैं।

आत्मसमर्पण के आँकड़े बताते हैं बदलाव

1 जनवरी 2025 से अब तक

  • 528 माओवादी गिरफ्तार
  • 560 मुख्यधारा में शामिल
  • 144 मुठभेड़ों में मारे गए

1 जनवरी 2024 से अब तक

  • 790 ने आत्मसमर्पण किया
  • 1031 गिरफ्तार
  • 202 मुठभेड़ों में ढेर

ये आँकड़े बताते हैं कि नक्सलवाद का ग्राफ लगातार गिर रहा है और पुनर्वास नीति लोगों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित कर रही है।

उच्च रैंक वाले माओवादी भी शामिल

आत्मसमर्पण करने वालों में—

  • पीएलजीए बटालियन नंबर 01 और अलग-अलग कंपनियों के 5 सदस्य
  • ACM–03, प्लाटून और एरिया कमेटी के 11 सदस्य
  • पीएलजीए 02 सदस्य
  • 4 मिलिशिया प्लाटून कमांडर
  • 1 डिप्टी कमांडर, और
  • 6 मिलिशिया प्लाटून सदस्य
  • KAMS, DAKMS, RPC जनताना सरकार के 9 सदस्य शामिल हैं।

पुलिस–सुरक्षा बलों की संयुक्त कार्रवाई का परिणाम

आत्मसमर्पण प्रक्रिया में
DRG, STF, बस्तर फाइटर, कोबरा, केरिपु
की विभिन्न बटालियनों का विशेष योगदान रहा।

लगातार क्षेत्रीय संपर्क, विश्वास निर्माण और संवेदनशील दृष्टिकोण ने माओवादियों को भयमुक्त होकर मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया।

पुनर्वास और पुनर्समावेशन जारी

मुख्यधारा में शामिल हर माओवादी को पुनर्वास नीति के तहत—

  • 50,000 रुपये की तत्काल सहायता
  • सुरक्षित आवास
  • रोजगार एवं कौशल प्रशिक्षण
  • सामाजिक पुनर्वास
    उपलब्ध कराया जाएगा।

विधिक कार्रवाई और औपचारिकताएँ भी जारी हैं।

SP बीजापुर की अपील

बीजापुर पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने कहा—
“छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति माओवादियों को आकर्षित कर रही है। परिजन भी चाहते हैं कि वे सामान्य और सम्मानजनक जीवन जिएं। इसलिए हिंसा छोड़कर निर्भय होकर मुख्यधारा में लौटें।”

उन्होंने आगे कहा—
“पूना मारगेम नीति उनके भविष्य को सुरक्षित, सम्मानजनक और स्वावलंबी बनाने की दिशा में पूर्ण सहयोग प्रदान कर रही है।”

दक्षिण बस्तर में शांति की ओर बड़ा कदम

राज्य सरकार की
शांति + संवाद + विकास
पर आधारित नक्सल उन्मूलन नीति का परिणाम है कि आज हिंसा से त्रस्त क्षेत्रों में स्थायी शांति की नींव मजबूत हो रही है।

सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संस्थाओं और जागरूक नागरिकों के सहयोग से हिंसा की संस्कृति की जगह विकास की संस्कृति स्थापित हो रही है।

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *