भालचन्द्र जोशी को शमशेर सम्मान…निमाड़ की लोक-कलाओं,लोक कथाओं पर किया है विशेष काम

भालचन्द्र जोशी को शमशेर सम्मान

भालचंद्र जोशी



वर्ष 2021 के लिये ए. अरविन्दाक्षन , रविभूषण वर्ष 2022 के लिये सवाई सिंह शेखावत , भरत प्रसाद. वर्ष 2023 के लिये भालचन्द्र जोशी और असंघ घोष. वर्ष 2024 के लिये अनिल मिश्र और दुर्गाप्रसाद गुप्त को शमशेर सम्मान दिया जाएगा.

असंग घोष

सम्मान समारोह में सम्मानित रचनाकार को स्मृति चिन्ह, सम्मान राशि व प्रशस्ति पत्र वरिष्ठ रचनाकारों के हाथों प्रदान किया जाता है। देश के विभिन्न शहरों में यह आयोजन होता है। इस बार यह सम्मान जयपुर में संभावित है.

जानें भालचंद्र जोशी को

17 अप्रैल 1956 को आदिवासी क्षेत्र खरगोन में जनमे भालचन्द्र जोशी पेशे से इंजीनियर रहे हैं । आठवें दशक के उत्तरार्द्ध में कहानी लेखन की शुरुआत। जीवन का एक लंबा हिस्सा आदिवासियों के बीच बिताया है। आदिवासी जीवन पद्धति तथा कला का विशेष अध्ययन। निमाड़ की लोक कलाओं और लोक कथाओं पर काम। चित्रकला में सक्रिय रूचि। देश के प्रमुख अखबारों के लिए समसामयिक विषयों पर लेखन। कुछ समय तक लघु पत्रिका ‘यथार्थ’ का संपादन।


नौ कहानी संग्रह , दो उपन्यास और आलोचना की तीन पुस्तकों के अतिरिक्त ‘कथादेश’ के नवलेखन अंक (जुलाई 2002) ,हरिशंकर परसाई विशेषांक ( दिसम्बर 2023 ) , ‘पाखी’ के प्रेम विशेषांक (अगस्त-सितम्बर 2020 ) ,दैनिक ‘आज की जनधारा’ समाचार पत्र, रायपुर की साहित्य वार्षिकी ( वर्ष 2022 , वर्ष 2023 तथा वर्ष 2024 और 2025 ) का संपादन।

प्रेम पर केंद्रित चौदह लेखों की पुस्तक ‘प्रेम का घर : प्रेम की यात्रा’ , ‘सूचना-सभ्यता के स्वप्न पाश’ , ‘ग्लोबल गाँव में स्त्री’ तथा

‘आजादी का पर्यावरण और साहित्य का संघर्ष’ ( दो भाग ) पुस्तकों का संपादन । टेलीविजन के लिए क्लासिक सीरीज में फिल्म लेखन। कहानियों का भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेजी और फ्रेंच भाषा में अनुवाद।


वर्तमान में ‘आज की जनधारा’ दैनिक समाचार पत्र के सलाहकार संपादक ।

सम्मान – मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन का ‘वागीश्वरी पुरस्कार’। इंडिपेंडेंट मीडिया इनिशिएटिव सोसायटी दिल्ली का वर्ष 2012 का शब्द-साधक जनप्रिय लेखक सम्मान, म.प्र. अभिनव कला परिषद भोपाल द्वारा अभिनव शब्द-शिल्‍पी सम्मान, ‘जल में धूप‘ कहानी संग्रह के लिए 2013 का स्पंदन कृति सम्मान, ‘हत्या की पावन इच्छाएँ’ कहानी संग्रह के लिए 2014 का शैलेष मटियानी कथा पुरस्कार । ‘नामवर सिंह : आलोचना की सार्थकता’ पुस्तक के लिए वर्ष 2024 का डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी आलोचना सम्मान ।

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