लेह-लद्दाख में बीते दिनों हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के मामले में जाने-माने पर्यावरणविद् और एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस हिंसा में 4 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि करीब 70 लोग घायल हुए थे। आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान भारी तोड़फोड़ और आगजनी की, यहाँ तक कि स्थानीय बीजेपी कार्यालय को भी आग के हवाले कर दिया गया।
केंद्र सरकार ने गुरुवार शाम वांगचुक के एनजीओ “स्टूडेंट्स एजुकेशन एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL)” का विदेशी फंड (FCRA) लाइसेंस भी रद्द कर दिया। सरकार का कहना है कि वांगचुक के एनजीओ पर विदेशी फंडिंग नियमों के उल्लंघन का आरोप है।
गौरतलब है कि वांगचुक लंबे समय से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग कर रहे हैं। उनका आंदोलन 10 सितंबर से दोबारा तेज़ हुआ था। वे खुद को गांधीवादी बताते हैं और अनशन को अपना प्रमुख हथियार मानते हैं। हालांकि बुधवार की हिंसा के बाद उनकी छवि को बड़ा झटका लगा। उन्होंने इस हिंसा की सीधी जिम्मेदारी से खुद को अलग करते हुए कहा कि युवा प्रदर्शनकारी आक्रोशित हो गए थे क्योंकि उनके साथियों की हालत बिगड़ रही थी।