आदिवासी विकास, नेतृत्व और छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ अपनी स्थापना का रजत जयंती मनाने जा रहा है। 1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश से पृथक होकर स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में आने वाले छत्तीसगढ़ ने विकास की बहुत सी सीढिय़ाँ चढ़ी हैं। छत्तीसगढ़ की कमान इस समय आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के हाथों में है। बाक़ी राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़, जहां अनुसूचित जनजाति (एसटी) आबादी 32फीसदी है, एक आदिवासी बहुल राज्य है। वर्तमान मुख्यमंत्री विष्णु देव साय खुद आदिवासी समुदाय से हैं जो राज्य में आदिवासी नेतृत्व का प्रतीक है। उनके नेतृत्व में आदिवासी विकास योजनाओं को बढ़ावा मिला है, जैसे प्रधानमंत्री आदिवासी आदर्श ग्राम योजना, जो 36,428 आदिवासी गांवों को लक्षित करती है, और न्यूनतम समर्थन मूल्य फॉर माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस स्कीम, जो वन उत्पादों से आय बढ़ाती है। राज्य सरकार ने आदिवासी पर्यटन नीति भी अपनाई, जो बस्तर जैसे क्षेत्रों में होमस्टे को प्रोत्साहित करती है और कौशल वृद्धि योजनाएं युवाओं को रोजगार दे रही हैं। आदिवासी अधिकारी और नेता बढ़े हैं जैसे आदिवासी विभाग के प्रमुख सोनमोनी बोरा, जो योजनाओं के क्रियान्वयन को मजबूत करते हैं।
आर्थिक रूप से छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की स्थिति अन्य राज्यों से बेहतर दिखती है। यूडीआईएसई प्लस 2023-24 डेटा से पता चलता है कि आदिवासी जिलों में शिक्षा परिणाम गैर-आदिवासी जिलों से खराब है, लेकिन झारखंड (26फीसदी एसटी) और ओडिशा (22 फीसदी एसटी) की तुलना में ड्रॉपआउट दर कम है छत्तीसगढ़ में 25फीसदी बनाम झारखंड में 30फीसदी। सामाजिक रूप से, पीवीटीजीएस जैसे बैगा और कोरवा की स्थिति सुधरी है, लेकिन गरीबी दर 40 फीसदी से ऊपर है, जो मध्य प्रदेश (21 फीसदी एसटी) से थोड़ी कम है। आईएफएडी की जम्मू-छत्तीसगढ़ ट्राइबल डेवलपमेंट प्रोग्राम ने आय बढ़ाई, लेकिन नक्सल प्रभाव से विकास बाधित है मुख्यमंत्री ने 2026 तक नक्सलवाद समाप्त करने का लक्ष्य रखा।
शैक्षणिक रूप से बहुभाषी चुनौतियां बनी है लेकिन ईकलव्य मॉडल स्कूलों से सुधार हुआ। अन्य राज्यों से तुलना में, छत्तीसगढ़ की योजनाएं अधिक प्रभावी हैं, जैसे वन अधिकार अधिनियम का बेहतर क्रियान्वयन, जहां 50 फीसदी दावे निपटे। हालांकि, विस्थापन और भूमि हड़पने से असमानता बढ़ी।
विचार से, छत्तीसगढ़ आदिवासी सशक्तिकरण का मॉडल बन सकता है, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति से नक्सलवाद और आर्थिक असमानता दूर करनी होगी। अन्य राज्य इससे सीखें ताकि आदिवासी मुख्यधारा में आएं।

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