नई दिल्ली: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी नेता शिबू सोरेन का सोमवार को निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार थे। उन्होंने दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके बेटे और झारखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसकी पुष्टि करते हुए सोशल मीडिया पर शोक जताया।

लंबी बीमारी के बाद हुआ निधन
सर गंगा राम अस्पताल के प्रवक्ता ने बताया कि शिबू सोरेन को सोमवार सुबह 8:56 बजे मृत घोषित किया गया। वे किडनी की बीमारी से पीड़ित थे और डेढ़ महीने पहले उन्हें स्ट्रोक भी आया था। पिछले एक महीने से वे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे।
हेमंत सोरेन ने जताया शोक
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं…” उन्होंने शिबू सोरेन को झारखंड के लोगों का मसीहा बताते हुए उनके योगदान को याद किया।
शिबू सोरेन का जीवन और संघर्ष
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को झारखंड के रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में हुआ था। उन्होंने बचपन से ही आदिवासी समुदाय के शोषण और अन्याय को करीब से देखा। 1960 के दशक में उन्होंने आदिवासी अधिकारों और “जल-जंगल-जमीन” की रक्षा के लिए संघर्ष शुरू किया।
1970 के दशक में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की और अलग झारखंड राज्य के गठन के लिए आंदोलन छेड़ा। उनके नेतृत्व में चले इस आंदोलन के बाद 15 नवंबर 2000 को झारखंड भारत का 28वां राज्य बना।
राजनीतिक सफर और उपलब्धियां
- 1980 में पहली बार लोकसभा सदस्य बने।
- 2005, 2008 और 2009 में तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे।
- आदिवासी कल्याण, शिक्षा और रोजगार के लिए कई योजनाएं शुरू कीं।
हालांकि, उनके राजनीतिक जीवन में कई विवाद भी रहे, जिसमें भ्रष्टाचार और हत्या के आरोप शामिल थे, लेकिन बाद में वे कई मामलों में बरी हुए।

शिबू सोरेन के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक व्यक्त किया
राज्य में शोक की लहर
शिबू सोरेन के निधन की खबर से झारखंड में शोक की लहर है। राज्य सरकार ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां जोरों पर हैं।
शिबू सोरेन को उनके अमूल्य योगदान के लिए झारखंड हमेशा याद रखेगा।