रायपुर। आंतरिक अनुशासन का दंभ भरने वाली बीजेपी की राजनीति में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है । कोरबा नगर निगम चुनाव में पार्टी अनुशासन के नाम पर मंत्री लखन लाल देवांगन को कारण बताओ नोटिस का मिलना और उनको मंत्री पद से हटाने की साज़िश में पर्दे के पीछे कांग्रेस के एक पूर्व मंत्री और भाजपा के एक OBC नेता और मंत्री की भूमिका भी चर्चा का विषय है । अब सत्ता के गलियारों में रचे गये षड्यंत्र के आडियो वीडियो और खबरें सोशल मीडिया के ज़रिए से बाहर आ रही हैं । हाल ही में एक आडियो वायरल हुआ है जो बता रहा है “छत्तीसगढ़ के उधोग एंव श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन को किस तरह फँसाने की साज़िश रची गई । कोरबा जहाँ से लखन लाल देवांगन आते हैं वहाँ नगर निगम के सभापति चुनने के दौरान अंदर मोबाइल पर रिकार्ड की गई बातचीत वायरल हुई है । जिसकी जाँच अब भाजपा संगठन कराने जा रहा है । सभापति पद के प्रत्याशी हितानंद अग्रवाल का क़रीबी बद्री नामक व्यक्ति एक पार्षद से कह रहा है “ जब जाँच दल के सामने बयान देने जाओ तब मोबाइल चालू रखना ।इसके लिए उसे पचास हज़ार रूपये मिलेंगे और लखन लाल देवांगन और विकास के खिलाफ बोलेंगा तो पचास हज़ार और मिलेंगे । एक दूसरे आडियो में हितानंद एक व्यक्ति से कह रहा है बद्री को सब बता दिया है मंत्री जी पार्षदों को क्रास वोटिंग करने के लिए बोले नहीं थे ।इसलिए वे सब डर रहे हैं ।लेकिन एक पार्षद बोलने के लिए तैयार है ।इसी तरह के कुछ और वीडियो वायरल हुए हैं ।
इस संबंध में करायी जाँच में भी प्रथमदृष्ट्या यह बात सामने आई है की मंत्री को फँसाने की साज़िश रची गई ।अब पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल की अध्यक्षता में एक जाँच दल गठित किया गया है जो मामले की असलियत का पता करेगा ।
जाँच में जो तथ्य आये या ना आये पर सच्चाई यह है की भाजपा का व्यापारिक समुदाय से तालुक रखने वाला एक धड़ा लखन लाल देवांगन , टंकराम वर्मा और ओ पी चौधरी जैसे नेता को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है । मंत्री मंडल में रिक्त पदों पर क़ाबिज़ होने और कुछ मंत्रियों को ठिकाने लगाने की क़वायद का यह एक हिस्सा है ।
जब से छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली सरकार छत्तीसगढ़ में बनी है तब से बहुत सारे लोगों की छाती पर सांप लोट रहा है । आदिवासी को साये की तरह साथ रखकर उनके नाम पर अपना उधोग धंधा चमकाने वाले , राजनीतिक पॉवर का मज़ा लेने वाले अब धीरे-धीरे हाशिए पर जा रहे हैं । विष्णु देव साय ने एक साल में बता दिया है की सरकार चलाना उन्हें आता है । वे उतने भी सीधे सरल नहीं हैं की उन्हें आप घेर सकें । मंत्री बनने , मलाईदार निगम मंडल की कुर्सी पर क़ाबिज़ होने की आस लगाए लोगों को बार-बार अपनी निष्ठा और क्षमता अलग-अलग अवसरों पर दिखाकर भाजपा की जीत दर्ज कराना पड़ रही है ।
8 मार्च को कोरबा नगर निगम में सभा पति के चुनाव में बीजेपी द्वारा तय प्रत्याशी हितानंद अग्रवाल की जगह बीजेपी पाषर्दों के पसंद के आधार पर बीजेपी के ही पार्षद नूतन सिंह की जीत हो गई. इस जीत के बाद मंत्री लखनलाल देवांगन ने निकाय के दोनों पद सभापति और मेयर को मिलकर कोरबा को आगे बढ़ाने का बयान दिया. इस बयान के बाद बीजेपी ने उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन को नोटिस जारी कर दिया है। इस चुनाव में सीधे तौर पर लखनलाल का लेना देना नहीं था. पार्षदों ने अपनी मंशाअनुरूप वोट किया इसके बाद भी लखनलाल और वरिष्ठ बीजेपी पदाधिकारी क्यों बीजेपी के ही एक वर्ग के घेरे में आ गए. इसे सिलसिलेवार ढंग से समझने की जरूरत है।
Related News
1 मार्च को सभापति के चयन के लिए रायपुर उत्तर के विधायक पुरंदर मिश्रा को पर्यवेक्षक बनाकर कोरबा भेजा गया.
क्या है ये पूरा मामला
छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय के चुनाव में भाजपा को मिली ऐतिहासिक जीत के बाद 8 मार्च को कोरबा नगर निगम में सभा पति के चुनाव में बीजेपी द्वारा तय प्रत्याशी हितानंद अग्रवाल की जगह बीजेपी पाषर्दों के पसंद के आधार पर बीजेपी के ही पार्षद नूतन सिंह की जीत हो गई. इस जीत के बाद मंत्री लखनलाल देवांगन ने निकाय के दोनों पद सभापति और मेयर को मिलकर कोरबा को आगे बढ़ाने का बयान दिया. इस बयान के बाद बीजेपी ने उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन को नोटिस जारी कर दिया है। इस चुनाव में सीधे तौर पर लखनलाल का लेना देना नहीं था
1 मार्च को सभापति के चयन के लिए रायपुर उत्तर के विधायक पुरंदर मिश्रा को पर्यवेक्षक बनाकर कोरबा भेजा गया.
सभी पाषर्दों से उन्होंने वन टू वन मुलाकात की बजाय, पार्टी जो नाम देगी उस पर सहमती संबंधी बात कर चले आए.जबकि कई पार्षदों ने हितानंद अग्रवाल के अलावा किसी भी नाम का प्रस्ताव देने की बात कही थी.
8 मार्च को सभापति का चुनाव होना था. 11:45 बजे तक नाम की घोषणा नहीं हुई, लेकिन हितानंद अग्रवाल डीजे लेकर चुनाव स्थल पहुंच गए। बीजेपी पार्षदों ने पर्यवेक्षक के सामने निष्पक्षता को लेकर आपत्ति भी दर्ज कराई.
12 बजे नामांकन होना था. 11:46 पर वाट्सअप पर राज्य नेतृत्व से हीतानंद अग्रवाल का नाम सामने आया, जिसका बीजेपी पार्षद दल लगातार विरोध कर रहा था।
सभी पार्षदों ने अपने आप को कमरे में बंद कर हीतानंद अग्रवाल को वोट नहीं देने की बात दोहराई. इसके बाद भी प्रत्याशी नहीं बदला गया। इसी बीच आरएसएस से बीजेपी में आए नूतन सिंह ने दो निर्दलिय पार्षदों के प्रस्तावक होकर सभापती का नामांकन दाखिल कर दिया।
बीजेपी के नाराज पार्षदों ने हीतानंद अग्रवाल की जगह 33 वोट नूतन सिंह को दे दिया। कांग्रेस ने निर्दलीय अब्दुल रहमान को समर्थन दिया जिन्हें 16 वोट मिले। बीजेपी के अधिकृत प्रत्याशी को महज 18 वोट मिले, कुछ बीजेपी पार्षदों ने पार्टी लाईन पर चलकर उन्हें वोट किया। नेता प्रतिपक्ष रहते हुए भी 31 बीजेपी पार्षदों ने हीतानंद के कांग्रेस से मिले होने का आरोप लगाते हुए बीजेपी संगठन को पत्र भी लिखा था। कोरबा में कांग्रेस के नेता , चरण दास महंत के क़रीबी और बड़े व्यवसायी जयसिंह अग्रवाल का दबदबा है । इस बार महापौर चुनाव में 10 साल बाद बीजेपी की मेयर संजू देवी सिंह को रिकार्ड मतों से जीत मिली ।
कोरबा की भाजपा के भीतर की यह लड़ाई छत्तीसगढ़ में सत्ता के नये समीकरण की ओर इशारा करती है जहां आदिवासी और OBC नेताओं का बढ़त प्रभाव और व्यापारिक समुदाय से ताल्लुक़ रखने वाले नेताओं का हाशिये पर जाना है ।