:दिलीप गुप्ता:
सरायपाली :- नगर व ग्रामीण क्षेत्रो में अवैध रूप से महुआ शराब के निर्माण व
विक्रय पर अंकुश आखिर क्यों नही लग पा रहा है । उसके पीछे सबसे बड़ा कारण
खुले रूप में महुआ व शराब बनाये जाने की सामग्री आसानी से उपलब्ध हो जाना है ।
महुवा खरीदी बिक्री के लाइसेंस की वजह से गांव गांव में इन दुकानदारों द्वारा
चिल्हर में महुआ की बिक्री का फायदा शराब बनाने वालों को मिल रहा है ।
यहां तक कि की कुछ महुआ व्यवसायियों द्वारा शराब निर्माण में प्रयुक्त
होने वाले सामग्रियों की आसानी से उपलब्धता भी
अवैध शराब निर्माणकर्ताओं को प्रोत्साहित कर रही है ।
सरायपाली व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रो में पिछले कई वर्षों से अवैध महुवा शराब के निर्माण, विक्रय व भंडारण किये जाने की शिकायतें प्रतिदिन आ रही है। इस अवैध शराब निर्माण के चलते विगत दिनों बलौदा में जहरीली शराब से 3 ग्रामीणों के साथ ही अन्य क्षेत्रों से भी जहरीली शराब सेवन से की मृत्यु की खबर आ चुकी है । इस अवैध शराब के खिलाफ पुलिस व आबकारी विभाग निरंतर कार्यवाही भी कर रहा है व उन्हें सफलता भी मिल रही है।
किंतु लगातार कार्यवाही के बाद भी यह अवैध व्यवसाय कम होने के बजाय और बढ़ रहा है व फलफूल रहा है। आखिर इस पर नियंत्रण क्यो नही हो पा रहा है। इस पर ध्यान व सर्वे करें तो तस्वीर साफ हो जायेगी। इस ओर आबकारी व मंडी का ध्यान बिल्कुल भी नहीं के बराबर है या पैसों के लालच में आँख मुंद कर बैठा गया है। आबकारी विभाग पर आरोप लगते रहें हैं कि वह मामला तो पकड़ती है कार्यवाही करने के लिए नही बल्कि आर्थिक लाभ के लिए ।
पैसा लेकर व सेटिंग कर मामला या तो रफ दफा कर दिया जाता है या फिर छोटा प्रकरण बनाकर बचा लिया जाता है । विभाग ने अपना कार्यालय भी ऐसी जगह बनाया है जहां यह सब आसानी से किया जा सकता है ।
मिली जानकारी के अनुसार सीमाओ पर स्थित नाकाओ में अवैध धान परिवहन के साथ साथ अवैध शराब , नशीली दवाओं व तस्करी को भी रोकना है किंतु धान को छोड़कर किसी अन्यो की जांच नही की जाती या फिर पकड़ लिए जाने पर मामला लेनदेन कर रफ दफा कर दिया जाता है इस तरह की शिकायतें सिरपुर स्थित जांच चौकी में अधिक आती है ।
जिस तरह परिवहन विभाग में आने के लिए मोटी रकम देनी पड़ती है कुछ इसी तरह खम्हारपाली , रेहटीखोल व सिरपुर जांच चौकी में पदस्थापना हेतु मोटी रकम देना पड़ता है । ऐसे स्थिति में इन जांच चौकियों में पदस्थ कर्मचारियो से निष्पक्षता व ईमानदारी की उम्मीद कैसे की जा सकती है । इन जांच चौकियों में जांच के नाम पर सिर्फ अवैध कमाई की जा रही है। यह नाका सिर्फ पैसे कमाने का एक जरिया बन कर रह गया है।
गाँव गाँव मे आखिर अवैध महुआ शराब निर्माण के लिए इन लोगो के पास महुआ आता कहाँ से है। इसकी जानकारी पुलिस, आबकारी व मंडी विभाग को रखनी चाहिए। यही सबसे बड़ी समस्या है। इस पर यदि संबंधित विभाग संज्ञान में लाकर कार्यवाही करे तो 90 प्रतिशत समस्या का समाधान स्वतः हो जायेगा। सरायपाली व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रो मे महुवा व्यवसाय हेतु मंडी द्वारा व्यवसायियों को लायसेंस दिया जाता है। लायसेंस दिए जाने के बाद मंडी प्रशासन फिर हमेशा के लिए सो जाता है। वह यह निगरानी नही करता कि इस लायसेंस का सदुपयोग हो रहा है या दुरुपयोग। यहां भी पैसों का खेल चलता है।
नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में काफी संख्या में लायसेंसधारी व्यापारी व विना लायसेंसधारी व्यापारी महुवा का वैध व अवैध विक्रय कर रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में बलौदा के एक व्यापारी द्वारा बाकायदा पिकअप वाहन के माध्यम से घर घर जाकर 60 रुपये किलो में महुआ बेच जा रहा है। इन व्यापारियों द्वारा प्रतिदिन ग्रामीण क्षेत्रों से मोटरसाइकिल व अन्य वाहनों से अपनी आवश्यकतानुसार 10 किलो से लेकर बोरा बोरा महुआ की खरीदी की जाती है।
यही लोग गांव गांव जाकर खुले में ग्रामीण क्षेत्रों में शराब बनाने वालों को महुआ उपलब्ध कराते हैं। इन्ही महुआ से गाँव गाँव में अवैध शराब का निर्माण व विक्रय किया जा रहा है। महुआ निर्माण से सम्बंधित सभी सामान आसानी से उपलब्ध हो जाने के कारण शराब बनाने का काम आसान हो रहा है व धड़ल्ले से महुंआ शराब का निर्माण व विक्रय किया जा रहा है।
अब सवाल यह है कि इस अवैध शराब निर्माण को रोक व नियंत्रित कैसे किया जाये। सबसे पहले एसडीएम, पुलिस , मंडी व आबकारी विभाग को मिलकर मंडी प्रशासन से उनसे क्षेत्र में लायसेंसधारी महुआ व्यापारियों की सूची लेकर सभी व्यापारियों की एक बैठक आयोजित की जानी चाहिए । इन लायसेंसधारी व्यवसायियों को यह आवद्यक रूप से हिदायत दी जाए कि वे जिन लोगों को भी महुआ थोक व चिल्हर में विक्रय कर रहे हैं उन महुवा खरीददारों का नाम, पता, प्रयोजन, मोबाइल नंबर व हस्तक्षर के साथ रजिस्टर संधारित करें। इस प्रक्रिया से यह स्पस्ट हो जाएगा कि कौन कौन थोक व चिल्हर में महुआ खरीद रहा है ।
इसकी जानकारी भी रजिस्टर में दर्ज नामो से हो सकेगी इससे आने वाले समय मे शिकायत मिलने पर छापामार कार्यवाहिबकिये जाने में आसानी होगी । महुआ खरीदते समय जब यह सब प्रक्रिया प्रारंभ की जायेगी तभी से इस पर डर कर की अब नाम व पता दर्ज किया जा रहा है के डर से महुआ की बिक्री स्वतः ही कम होगी और जब महुआ कम विक्रय होगा तो अवैध शराब पर भी लगाम लगेगी इसके साथ ही जिन व्यापारियों के पास चिल्हर महुआ विक्रय किये जाने का लाइसेंस नही है उन पर भी कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिये ।
नगर व ग्रामीण क्षेत्रो में खुले आम खुदरा महुआ विक्रय ही अवैध शराब निर्माण किये जाने का सबसे बड़ा कारण है । वही जिन थोक महुवा व्यापारियों द्वारा यदि चिल्हर महुवा विक्रय किये जाने की स्थिति में उन्हें स्पस्ट चेतावनी दी जाए और यदि शिकायत मिली तो जांच के बाद लायसेंस निरस्त कर आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही की जानी चाहिए। ओडिशा से सड़क मार्ग से आने बाले धान, महुवा, देशी शराब के साथ अन्य सामानों की तस्करी को रोकने मंडी प्रशासन द्वारा जांच चौकी स्थापित तो की गई है पर वह इन्हें रोकने व अंकुश लगाए जाने के स्थान पर अवैध कमाई में लगे हैं। कुछ लोगों ने बताया कि वे पैसे देकर छूट जाते हैं। ये जांच चौकी अपने मूल उद्देश्यों से हटकर सिर्फ वसूली अभियान की तरफ ध्यान अधिक हो गया है।
अवैध कार्यों में लिप्त अपराधीयों व तस्करों से मोटी कमाई की जा रही है। आज जिस तरह पुलिस व आबकारी विभाग अवैध शराब निर्माण , विक्रय व भंडारण पर कार्यवाही कर कर रही है वह नाकाफी है। पत्तो व डंगालो को काटने से आशातीत सफलता नही मिल सकती जड़ से लगभग समाप्त करना हो तो जिम्मेदार अधिकारियों व विभागों को भी ईमानदारी से कार्य करते हुवे अवैध महुआ बिक्री व समान उपलब्ध कराने वालों पर सख्ती पूर्वक कार्यवाही करनी होगी ।
। इस सामाजिक बुराई को लगभग समाप्त करने के लिए उपरोक्त सुझावों पर कार्य करना होगा या पुलिस व आबकारी विभाग के पास और कोई विकल्प हो तो उस पर कार्य किये जाने की आवश्यकता है। आज नगर, गाँव व हाइवे किनारे बड़े छोटे ढाबों व होटलों, बस स्टैंड, छोटे छोटे गुमटियों में अवैध देशी शराब, सरकारी अंग्रेजी व देशी शराब आसानी से उपलब्ध हो रहा है। सवाल यह है कि इन्हें थोक में देशी व अंग्रेजी शराब मिल कैसे जाती है। बगैर सरकारी शराब दुकानों, कर्मचारियों व विभाग की मिलीभगत से यह संभव नहीं हो सकता। इन होटलों व ढाबो में खुले आम बिक रही शराब जिसकी कीमत से लगभग डबल व तिबल ली जा रही है आसानी से बिक भी रही है व उपलब्ध भी हो रही है । यही आकर्षण अवैध शराब विक्रय को प्रोत्साहित करता है ।
ऐसा नही है कि आबकारी व पुलिस विभाग को इसकी जानकारी नही है किंतु मंथली के चक्कर मे इन लोगो पर कार्यवाही नही होती । कभी कभार छोटा मोटा प्रकरण बनाकर कार्यवाही किये जाने की खानापूर्ति कर ली जाती है ।
नगर में कुछ दिन दो पूर्व ही एक सड़क हादसे में 2 युवकों की मृत्यु हो गई थी। इनकी गाड़ी में भारी मात्रा में शराब मिलने कि जानकारी मिली थी। इसी तरह लम्बर , सागरपाली , बिछिया के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रो में सर्वाधिक अवैध महुआ शराब का निर्माण व विक्रय किया जाता है । यहां आए दिनो कार्यवाही भी होती है उसके बाद फिर धड़ल्ले से शराब निर्माण व विक्रय प्रारम्भ हो जाता है ।
कुछ दिनों पूर्व इसी मार्ग पर एक मोटरसाइकिल दुर्घटना में डिक्की में भारी मात्रा में देशी शराब मिला था । मोटरसाइकिलो व स्कूटी में शराब लाना व ले जाना अब आम हो गया है । इनके पास से मिले शराब को देखने से ऐसा लगता है जैसे ये शराव ग्रामीण क्षेत्रो में बेचने के लिए ही ले रहे होंगे। आज इन होटलो, ढाबो, छोटे ठेलों व गुमटियों वालों का यह साइड व्यवसाय न होकर मुख्य व्यवसाय हो गया है।
पूर्व एसडीएम हेमंत नन्दनवार द्वारा नगर के कुछ होटलों में अवैध शराब विक्रय को लेकर कार्यवाही की गई थी वे होटलें लगभग 2 माह बाद भी बन्द होने के बाद खुल सकी है। इसी तरह की कार्यवाही वर्तन एसडीएम से भी लोग अपेक्षा कर रहे। बगैर कड़ी व दंडात्मक कार्यवाही के इस अवैध शराब निर्माण , विक्रय व भंडारण को नही रोका जा सकता ।