राजकुमार मल
Waiting : सीजन का पहला महीना खाली
Waiting : भाटापारा– बारिश ऐसे ही होती रही, तो जाल के बाजार को और इंतजार करना पड़ सकता है। मछुआरों की मांग की राह देखते जुलाई का महिना निकल रहा है लेकिन खरीदी नहीं निकली। रही- सही कसर मत्स्याखेट पर प्रतिबंध ने पूरी कर दी है।
Waiting : बांध लबालब। छलक रहे जलाशय और तालाब। बरसाती नाले भी उफान पर हैं। बेहतर मांग और खरीदी की उम्मीद थी, मछली जाल बाजार को लेकिन रुक-रुक कर हो रही बारिश, बाजार की राह में बाधक बन रही है। समय के पहले आयातित मछली जाल से मुकाबला करने के लिए इस बाजार ने कीमत नहीं बढ़ाई थी। यह जतन और प्रयास अब काम नहीं आ रहे हैं क्योंकि मछुआरे, अभी भी दूर हैं बाजार से।
Waiting : सीजन का पहला माह
मछली जाल की खरीदी का पहला महिना यानी जुलाई बीत रहा है। मानसून के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए इसने तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल से अच्छी मात्रा में खरीदी की थी। कीमत स्थिर थी, इसलिए भी खरीदी की मात्रा बढ़ाई थी लेकिन मौसम ने झटका दिया। अब इंतजार है, आने वाले अगस्त माह का।
यहां भी आयातित
मछली जाल का बाजार बीते 2 साल से चाइनीज फिश नेट से आमना-सामना कर रहा है। भारतीय कंपनियों द्वारा बनाए गए जाल सस्ते हैं, इसलिए ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा है लेकिन उपभोक्ता मांग का प्रवाह दिशा बदल सकता है। इस संभावना को देखते हुए बाजार ने अलग से रणनीति बनाई है ताकि घरेलू उत्पादन की खरीदी बढ़ाई जा सके।
मांग क्षेत्र
अपने जिले से कोरबा, जांजगीर- चांपा, मुंगेली, गौरेला-पेंड्रा- मरवाही और बलौदा बाजार जिला के बांध और जलाशय क्षेत्र वाले ग्रामीण इलाकों को मछली जाल की आपूर्ति होती है। यह क्षेत्र फिलहाल शांत हैं। बताते चलें कि इस समय यह बाजार 250 से 700 रूपये किलो की दर पर मछली जाल के विक्रय की तैयारी में है।
कीमत स्थिर है लेकिन मांग वाले क्षेत्रों से खरीददारी नहीं है। सीजन का पहला महीना खाली निकल चुका है। अगस्त का महीना बेहतर जाने की संभावना है |
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