Vanshinarayan Temple Uttarakhand : सिर्फ रक्षाबंधन पर ही खुलते हैं इस अद्भुत मंदिर के द्वार, जानिए खासियत
उत्तराखंड
Vanshinarayan Temple Uttarakhand : अलग-अलग और अद्भुत संस्कृतियों भरे पूरे भारत में धार्मिक रीति-रिवाजों का भी अलग ही महत्व है। आप सभी जानते ही होंगे देश अपने अंदर एक अनूठी और पारंपरिक धार्मिक दुनिया को लिए बैठा है और यहाँ प्रकार के धर्म के रिवाजों और पूजा-पाठ के तरीकों का सच्ची निष्ठा लगन और भाव के साथ पालन किया जाता है।

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अब आज हम आपको भारत के एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो Uttarakhand में स्थित है। जी हाँ और इसके द्वार हर साल रक्षाबंधन के पावन पर्व पर ही खुलते हैं। आपको सुनकर हैरानी हो रही होगी लेकिन यह सच है और इस जगह के निवासी मंदिर में दर्शन करने के लिए रक्षाबंधन के खास मौके पर जरूर जाते हैं।

इस मंदिर का नाम Vanshinarayan मंदिर है और यह Uttarakhand के चमोली जिले की उर्गम घाटी में विराजमान है। कहा जाता है इस मंदिर तक पहुंचने का अनुभव बेहद अलग है, क्योंकि यहां लोग ट्रेकिंग करके पहुंचते हैं।
जी हाँ और ये मंदिर इसलिए भी खास है, क्योंकि इसका धार्मिक महत्व तो है, साथ ही इसका टूरिज्म से भी गहरा नाता है। इस मंदिर की घाटी को यहां बुगयाल भी पुकारा जाता है और ये घनी वादियों से चारो ओर से घिरी हुई है।

ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के द्वार साल में एक बार राखी के पवित्र मौके पर ही खुलते हैं। जी हाँ और रीति-रिवाजों के तहत यहां की महिलाएं और लड़कियां अपने भाईयों को राखी बांधने से पहले भगवान की पूजा करती हैं। कहते हैं यहां भगवान श्री कृष्ण और कल्याणकारी शिव की प्रतिमा मौजूद हैं और इस मंदिर से पौराणिक कथा जुड़ी हुई।
ऐसी माना जाता है कि विष्णु अपने वामन अवतार से मुक्ति के बाद सबसे पहले इसी स्थान पर विराजमान हुए थे। इसके बाद से देव ऋषि नारद भगवान नारायण की यहां पर रोज पूजा करते हैं। यही कारण से यहां पर मनुष्यों को सिर्फ एक दिन के लिए ही पूजा का अधिकार मिला है।

कहते हैं इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा मौजूद है और इस मंदिर की अंदर से ऊंचाई महत 10 फुट है। इसके पुजारी राजपूत हैं, जो हर साल राखी पर विशेष पूजा अर्चना का आयोजन करते हैं।
इसी के साथ इस मंदिर के पास एक भालू गुफा मौजूद है, जहां भक्त प्रसाद बनाते हैं। कहा जाता है कि हर घर से मक्खन आता है और इस मक्खन को प्रसाद में मिलाकर भगवान को भोग लगाया जाता है