केशकाल का नाम सुनते ही सबसे पहले सर्पीली घाटी का ध्यान आता है. चारो तरफ हरियाली और गहरी खाई नजर आती है. लेकिन केशकाल की पहाड़ियों के बीच एक बहुत की खुबसुरत जगह है.
जिसे देख कर हर किसी के मुंह से अनायस ही निकल जाता है- वाह अद्भूत शानदार.
वास्तव में यह जगह एक ही नजर में आपकों सुकून पहुंचा देती है.
पहाड़, गहरी खाई और हरियाली से घिरे इस जगह का नाम है टाटामारी.

टाटामारी जो है वो केशकाल से लगा हुआ है. शहर के मुहाने में ही बसा यह सुंदर पर्यटन स्थल किसी जन्नत से कम नही है. जैसे जैसे हम शहर के बीच से टाटामारी की ओर बढ़ रहे थे हमारा रोमांच और भी बढ़ता जा रहा था. सीसीरोड और उसके चारो तरफ खेत बड़े-बड़े पेड़ हमारी उत्सुकता को और भी बढ़ा रहे थे. चलते-चलते हमें टाटामारी इको पर्यटन का द्वारा नजर आया. जहां पर्यटकों की जानकारी ली जाती है और फिर उनसे नाम मात्र का शुल्क लिया जाता है. इस स्वागत द्वार से कुछ दूर जाने पर हम पहुंचे जाते है उस जगह जो किसी स्वर्ग से कम नजर नही आता.

विहंगम प्राकृतिक दृश्यों एवं प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस स्थान को जिला प्रशासन और वन विभाग ने इस स्थान को ईको पर्यटन स्थल घोषित किया है. यहां बहुत ही सुंदर तरिके से पाथ वे और गार्डन बनाया गया है. जो बरबस ही पर्यटकों को मोहित कर लेता है. गार्डन के ठीक उस पार है पहाड़ों की श्रृंखला और गहरी खाई. पहाड़ों के चारो ओर नजर आते है बादल जो आपको और भी रोमांचित कर जाते है.
टाटामारी इको पर्यटन क्षेत्र में आपको पर्यटन के साथ रोमांचकारी खेलों, रॉक क्लाइंबिंग, धनुर्विद्या, पैरा सेलिंग और ट्रैकिंग का मजा भी मिलता है. जो आपमें उर्जा का संचार कर जाता है. इसके अलावा माझीनगढ़ पहाड़ के ऊपर भंगाराम मंदिर भी है. प्राकृतिक दृश्य, झरनों,और प्रागेतिहासिक चित्रों को देखने का भी अवसर मिलता है.
जिला प्रशासन और वन विभाग ने इस धरोहर को संजोने के लिए स्थानीय युवाओं को मौका दिया. जो बड़ी ही सहजता और सरलता से पर्यटकों को यहां भ्रमण कराते हैं और उनको टाटामारी की विशेषता से अवगत कराते हैं. युवाओं का व्यवहार भी पर्यटकों के मन में अपनी छाप छोड़ जाता है.
टाटामारी में ठहरने के लिए वन विभाग की ओर से रेस्ट हाउस भी बनाया गया है. जहां से आप प्रकृति के खुबसुरत नजारों का आनंद ले सकते है. सुबह हो चाहे दोपहर या फिर शाम हो या रात टाटामारी की हर पल अपनी खुबसुरती से पर्यटकों को अलग ही अनुभव कराती है.
